रायपुर

CG News: मुन्ना भाइयों के सहारे बन गए डॉक्टर, 2008 का पीएमटी टॉपर 15 साल में हो सका पास

CG News: प्रदेश में वर्ष 2008 से 2011 तक मुन्ना भाइयों के सहारे पीएमटी पास करने का सनसनीखेज मामला सामने आया था। तब इस मामले को लेकर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी और सीआईडी को जांच का जिम्मा दिया गया था।

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Nov 06, 2024

CG News: प्रदेश में मुन्ना भाइयों के सहारे पीएमटी पास करने वाले 6 छात्र अब डॉक्टर बन चुके हैं, इनमें 2008 का प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) टॉपर पिछले साल यानी 15 साल बाद एमबीबीएस पास कर पाया। हाल ही में उन्होंने इंटर्नशिप भी पूरी कर ली है। अब दो साल के बांड पर संविदा सेवा दे रहा है। सीआईडी ने प्रदेश में मुन्ना भाइयों के सहारे पीएमटी पास करने के शक में 50 छात्रों का थंब इंप्रेशन भी लिया था।

हालांकि कोई भी छात्र दोषी साबित नहीं हो पाया। 6 छात्रों ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत लगाई थी। कोर्ट ने सभी को पढ़ने की अनुमति भी दी थी। इसके बाद सभी ने पढ़ाई जारी कर एमबीबीएस पास किया और अब वे डॉक्टर बनकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

यह है मामला

प्रदेश में वर्ष 2008 से 2011 तक मुन्ना भाइयों के सहारे पीएमटी पास करने का सनसनीखेज मामला सामने आया था। तब इस मामले को लेकर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी और सीआईडी को जांच का जिम्मा दिया गया था। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि 50 छात्रों के थंब इंप्रेशन लेने के बाद भी कोई दोषी साबित नहीं हुआ।

प्रदेश में पहली बार मुन्नाभाई के सहारे पीएमटी पास करने वाली छात्रा ने नेहरू मेडिकल कॉलेज में जूनियर रेजीडेंट की नौकरी भी की थी। पीएमटी टॉपर 2008 बैच का छात्र फर्स्ट से लेकर सेकंड ईयर में लगातार फेल होता रहा। अगर एनएमसी का नया नियम उस समय लागू होता तो छात्र 4 अटेंप्ट में फेल होने पर कॉलेज से बाहर हो गया होता। एनएमसी का यह नियम 2019 बैच से लागू हुआ है और अभी प्रदेश के चार छात्र लगातार 4 बार फेल होने के कारण मेडिकल कॉलेज से बाहर हो चुके हैं।

सीआईडी ने धारा 420 के तहत की थी एफआईआर

सीजीपीएमटी में उक्त छात्रा समेत दूसरे छात्रों के स्थान पर मुन्ना भाइयों ने परीक्षा दी थी। इसका सबूत मिलने पर सीआईडी ने आईपीसी की धारा 420 के तहत एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद छात्रा ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन किया। जमानत मिलने के बाद छात्रा नियमित रूप से एमबीबीएस की पढ़ाई करती रही। बाकी छात्र भी क्लास अटेंड करते रहे।

हालांकि मुन्ना भाइयों के सहारे पीएमटी में अच्छा खासा नंबर लाने वाले ये छात्र 10 से 15 साल में पास हो सके। जबकि एमबीबीएस कोर्स साढ़े 4 साल का होता है। एक साल की इंटर्नशिप होती है। फिर दो साल बांड के तहत मेडिकल अफसर या जूनियर रेजीडेंट के बतौर संविदा नियुक्ति होती है।

बालाजी मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ. देवेंद्र नायक ने बताया हाईकोर्ट से राहत के बाद सभी छात्राें ने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की और वे पास होकर डॉक्टर बन गए हैं। भले ही छात्र लंबे समय में पास हुए हों, लेकिन उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई की है। मुन्ना भाइयों वाला सिस्टम अब प्रदेश में खत्म हो गया है, ये राहत की बात है। एमबीबीएस की पढ़ाई में कड़ी मेहनत की जरूरत पड़ती है।

Published on:
06 Nov 2024 07:56 am
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