सागर

महापौर का यू-टर्न: परिषद के निर्णय के बाद ही जारी होता है आदेश, एमआइसी ने जलकर न बढ़े, असहमति नहीं जताई

पत्रिका की खबर के बाद महापौर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रखा अपना पक्ष- 24 घंटे तो दूर की बात, प्रतिदिन जलापूर्ति नहीं कर पा रही नगर सरकार सागर. जलकर की राशि में प्रतिमाह इजाफा की बात से महापौर संगीता तिवारी ने यू-टर्न ले लिया है। बीते दिनों आयोजित हुई एमआइसी की बैठक में जलकर […]

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Nov 03, 2024
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पत्रिका की खबर के बाद महापौर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रखा अपना पक्ष- 24 घंटे तो दूर की बात, प्रतिदिन जलापूर्ति नहीं कर पा रही नगर सरकार

सागर. जलकर की राशि में प्रतिमाह इजाफा की बात से महापौर संगीता तिवारी ने यू-टर्न ले लिया है। बीते दिनों आयोजित हुई एमआइसी की बैठक में जलकर की राशि 215 रुपए प्रतिमाह करने के प्रस्ताव पर चर्चा कर नगर निगम परिषद की बैठक में भेजने का निर्णय लिया था। नगर निगम की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि उन्होंने एमआइसी में सिर्फ एमपीयूडीसी की ओर से भेजे गए जलकर वृद्धि के प्रस्ताव पर चर्चा की थी। इस मामले में अंतिम निर्णय नगर निगम परिषद लेगी।

...तो फिर दूर नहीं हो पाएगी विसंगति

महापौर संगीता तिवारी के बैकफुट पर आने के कारण पानी पर आरक्षण का मामला खत्म होने की उम्मीद बहुत ही कम बची है। एससी-एसटी वर्ग के अलावा अनारक्षित व अन्य पिछड़ा वर्ग के भी ऐसे कई लोग हैं, जो आर्थिक तंगहाली से जूझ रहे हैं। उनके लिए भी 215 रुपए प्रतिमाह की राशि अन्य लोगों की तरह ज्यादा है, फिर भी वे नगर सरकार की विसंगति का शिकार हो रहे हैं।

पत्रिका व्यू

नगर पालिक निगम अधिनियम-1956 में एमआइसी, नगर निगम परिषद के अधिकारों का स्पष्ट रूप से विभाजन है। जलकर की राशि में वृद्धि का मामला शहर के हर घर से जुड़ा है। एमआइसी चाहती तो इस पर अपनी विशेष टीप के साथ विषय को परिषद में भेज सकती थी, लेकिन एमआइसी ने ऐसा नहीं किया। अन्य कतिपय मामलों में एमआइसी स्वीकृति देते हुए विषयों को निगम परिषद में भेजती है। पांच सालों से शहर में चौबीस घंटे सातों दिन के नाम पर 350 करोड़ की बड़ी राशि खर्च की गई है। एमआइसी को यह मौका था कि वह एमपीयूडीसी को फटकार लगा सके कि आप प्रतिदिन शहरवासियों को पानी उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। जबकि आपकी ओर से चौबीस घंटे पानी सप्लाई का वादा किया गया था। एमआइसी की अदूरदर्शिता के कारण शहरवासियों पर अब जलकर के रूप में अनावश्यक भार लादा जाएगा और उन्हें उतना पानी भी नहीं मिलेगा, जिसका वे हकदार हैं।

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