सीकर

बेटे की मौत से बूढ़ी मां के कंधों पर 5 लोगों की जिम्मेदारी, रुंधे गले से इतना ही कह पाई ‘अब मेरे परिवार का क्या होगा?’

Rajasthan News : दुख की दरिया में डूबी एक दुखियारी बूढ़ी मां की ये दास्तां दम घुटाने वाली है। उसके कलेजे में दबी कसक को कहने के लिए भी उनके पास ना सुध बची है और ना ही शब्द… बस आंसू है जो बेटे की याद और पांच पोते-पोतियों व बीमार बहू की पेट की आग की फिक्र में झर—झर बहते हैं।

2 min read
Sep 06, 2024

सीकर/खंडेला. दुख की दरिया में डूबी एक दुखियारी बूढ़ी मां की ये दास्तां दम घुटाने वाली है। उसके कलेजे में दबी कसक को कहने के लिए भी उनके पास ना सुध बची है और ना ही शब्द… बस आंसू है जो बेटे की याद और पांच पोते-पोतियों व बीमार बहू की पेट की आग की फिक्र में झर—झर बहते हैं। उपर से कर्ज के बोझ की चिंता भी चिता की तरह भीतर ही भीतर सुलगाती रहती है। लाचार मां बेसुधी में रुंधे गले से इतना ही कह पाती है कि ’अब मेरे परिवार का क्या होगा?’

पांच दिन पहले हुई बेटे की मौत

कोटड़ी लुहारवास निवासी धोली देवी के बेटे सैतान की पांच दिन पहले लीवर की नौ साल लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई थी। गरीबी की मार के बीच सैतान बीमारी में भी गुजरात में मजदूरी करके बूढ़ी मां, पत्नी व पांच बच्चों का परिवार पाल रहा था। उसकी मौत ने परिवार को झकझोर कर रख दिया है।

बूढ़े कंधों पर आया पांच बच्चों व बीमार बहू का भार

लंबी बीमारी के बाद काल का शिकार बने सैतान के चार बेटी व एक बेटा है। सबसे छोटा बेटा अक्षय चार साल का है। पायल, प्राति, अंशु व खुशी की उम्र आठ से 15 साल के बीच की है। उनकी मां भी गंभीर बीमारी से जूझ रही है। ऐसे में परिवार का पूरा भार बूढ़ी मां धोली देवी के कंधों पर आ गया है। परिवार के सामने बच्चों की पढ़ाई की भी समस्या हो गई है।

कर्ज चुकाने के साथ कैसे जले चूल्हा

गरीबी में बीमारी के दंश ने परिवार की आर्थिक कमर पूरी तरह टूट चुकी है। बकौल धोली देवी बेटे व बहू के उपचार के साथ परिवार के पालन में अब तक तीन लाख रुपए का कर्ज चढ़ चुका है। जिसे चुकाने के साथ घर का चूल्हा जलाना बूढ़े शरीर के लिए असंभव हो गया है। पहले तो मनरेगा में मजदूरी कर लेती थी। पर बूढ़े शरीर व परिवार के हालातों में वह भी मुश्किल हो गई है।

Published on:
06 Sept 2024 02:52 pm
Also Read
View All

अगली खबर