Boat capsized in Mahan River: महान नदी में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब ग्रामीणों से भरी एक नाव अचानक तेज बहाव में पलट गई। बताया जा रहा है कि नाव में आधा दर्जन से अधिक लोग सवार थे...
Boat Capsized in Surajpur: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में रविवार को एक बड़ा हादसा टल गया। जिले की महान नदी में उस समय अफरा-तफरी मच गई जब ग्रामीणों से भरी एक नाव अचानक तेज बहाव में पलट गई। बताया जा रहा है कि नाव में आधा दर्जन से अधिक लोग सवार थे, जिनमें महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल थे। हालांकि, ग्रामीणों की तत्परता और साहस के कारण सभी सवारों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया और एक बड़ी त्रासदी होने से टल गई।
यह घटना ओड़गी ब्लॉक के मयूरधक्की और सोहार गांव के बीच की है। इस इलाके के लोग रोज़ाना अपने जरूरी कामों और खरीदारी के लिए ओड़गी मुख्यालय की ओर आते-जाते हैं। मगर, आज भी इस नदी पर कोई स्थायी पुल नहीं बना है। नतीजतन, ग्रामीणों को नदी पार करने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है।
पिछले कुछ दिनों से क्षेत्र में लगातार बारिश हो रही है, जिसके चलते महान नदी उफान पर है। इसी बीच रविवार को ग्रामीणों को दो छोटी डोंगी नुमा नावों में नदी पार कराया जा रहा था। तभी तेज धारा के कारण एक नाव का संतुलन बिगड़ गया और वह पलट गई। नाव पलटते ही सवार लोग घबराकर नदी में कूद पड़े। लेकिन गनीमत रही कि दूसरी नाव में बैठे ग्रामीणों और तट पर मौजूद लोगों ने बिना समय गंवाए मदद के लिए नदी में छलांग लगा दी और सभी सवारों को सुरक्षित किनारे ले आए।
घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे ग्रामीणों ने अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाई। इस पूरे वाकये ने एक बार फिर इलाके में बुनियादी सुविधाओं की कमी को उजागर कर दिया है।
ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के हर मौसम में उन्हें इसी तरह की खतरनाक स्थिति का सामना करना पड़ता है। कई बार छोटे हादसे भी हो चुके हैं, लेकिन अब तक प्रशासन की ओर से स्थायी समाधान नहीं निकाला गया है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और प्रशासन सिर्फ दावे करते हैं कि गांवों में बेहतर सड़क और पुलिया का निर्माण हो रहा है, लेकिन जमीनी सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है।
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि जल्द से जल्द महान नदी (Boat Capsized in Surajpur )पर एक स्थायी पुल बनाया जाए, ताकि ग्रामीणों की जान जोखिम में न पड़े और आवागमन सुचारू रूप से हो सके। यह घटना एक बार फिर से इस बात की याद दिलाती है कि गांवों में बुनियादी ढांचे की कमी आज भी लोगों की जिंदगी के लिए खतरा बनी हुई है।