विद्युत खंबे पर काम करते समय करंट लगने से दोनो हाथ गवाने वाले उदयलाल की पीड़ा राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित होने के बाद आखिरकार प्रशासन व निजी कंपनी ने सुध ली। सामाजिक सुरक्षा विभाग ने पीडि़त के परिवार को पालनहार योजना, दिव्यांग पेंशन के लिए मेडिकल रिपोर्ट जरूरी दस्तावेज तैयार करवाए जिससे कुछ दिनो मे उदयलाल को मासिक पेंशन, बच्चो को पालनहार योजना में राशि मिलनी शुरू हो जाएगी। इधर, संबंधित कंपनी ने पीडि़त को पांच लाख का मुआवजा दिया।
गोगुंदा. (उदयपुर). विद्युत खंबे पर काम करते समय करंट लगने से दोनो हाथ गवाने वाले उदयलाल की पीड़ा राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित होने के बाद आखिरकार प्रशासन व निजी कंपनी ने सुध ली। सामाजिक सुरक्षा विभाग ने पीडि़त के परिवार को पालनहार योजना, दिव्यांग पेंशन के लिए मेडिकल रिपोर्ट जरूरी दस्तावेज तैयार करवाए जिससे कुछ दिनो मे उदयलाल को मासिक पेंशन, बच्चो को पालनहार योजना में राशि मिलनी शुरू हो जाएगी। इधर, संबंधित कंपनी ने पीडि़त को पांच लाख का मुआवजा दिया।
राजस्थान पत्रिका ने 8 मई को करंट से छीने दोनों हाथ एकमात्र कमाने वाला ही हुआ बेसहारा शीर्षक से खबर प्रकाशित कर उदयलाल की व्यथा की जानकारी दी थी। खबर के बाद गुरूवार को विद्युत विभाग ने इस प्रकरण की पूरी जांच कर रिपोर्ट तैयार की वही कंपनी के प्रतिनिधि ने उदयलाल को पांच लाख की आर्थिक सहायता राशि दी। सामाजिक सुरक्षा अधिकारी प्रवीण पानेरी ने उदयलाल के बच्चो को पालनहार योजना में जोडऩे व पीडि़त को दिव्यांग पेंशन के लिए दस्तावेज और मेडिकल रिपोर्ट तैयार करवाई जिससे उसके दोनो बच्चो को और से प्रतिमाह राशि मिलेगी। सामाजिक सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि उदयलाल अगर कोई व्यवसाय करना चाहेगा तो बैंक से उसे एक लाख की राशि का लोन भी मिलेगा जिसमे आधी राशि विभाग की ओर से सब्सिडी दी जाएगी।
यह था मामला
ओबरा कला गांव निवासी उदयलाल गमेती विद्युत विभाग की निजी कंपनी में वर्कर हो कर 25 दिसंबर को बरवाड़ा गांव में कृषि कनेक्शन करने गया था। पोल पर काम करने के पहले पानेर गांव स्थित पॉवर हाउस पर सप्लाई बंद करने की जानकारी दी लेकिन सप्लाई बंद नही हुई जैसे ही वह पोल पर चढ़ा और उसी समय हाइटेंशन लाइन से आए करंट से दोनो हाथ झुलस गए और नीचे गिर गया। साथी कार्मिकों ने उसे उदयपुर चिकित्साल्य पहुंचाया जहा दो माह तक ईलाज चला और कलाइयों के नीचे के हिस्से को काटना पड़ा। घर में बूढ़ी मां छोटे बच्चे का पालन पत्नी मजदूरी कर कर रही है, अब पांच माह बाद राशि मिलने से राहत मिली है।