Canada Election Results 2025: कनाडा चुनाव में जीतने वाले मार्क कार्नी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक संतुलित और व्यावहारिक नेता माने जाते हैं, उनके नेतृत्व में भारत और कनाडा के संबंधों में स्थिरता लौट सकती है।
Canada Election Results 2025: कनाडा चुनाव (canada election 2025 results) में लिबरल नेता मार्क कार्नी (Mark Carney) ने जीत की घोषणा की है और कन्जर्वेटिव पार्टी के पोलीवरे ने हार स्वीकार कर ली है। परिणाम दर्शाता है कि पीएम मार्क कार्नी के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी, कन्जर्वेटिव के पियरे पोलीवरे ( pierre poilievre) को हरा कर अल्पमत सरकार बना रही है। मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी बहुमत के आंकड़े को पार करने में विफल रही है और हाउस ऑफ कॉमन्स की 343 सीटों में से 172 है, जो उन्हें किसी अन्य छोटी पार्टी के समर्थन के बिना सरकार बनाने की अनुमति देती है। लिबरल 167 सीटों पर आगे चल रहे थे या चुने गए थे, उसके बाद कन्जर्वेटिव 145 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर थे। जानकारी के अनुसार, कन्जर्वेटिव नेता पियरे पोलीवरे ने लिबरल से हार स्वीकार की और कहा कि उनकी पार्टी सरकार को जवाबदेह ठहराएगी। इस जीत में कनाडाई भारतीय समुदाय (Indian Diaspora) के लोगों का बड़ा योगदान है।
जनमत सर्वेक्षण: पोल ट्रैकर, नैनोस रिसर्च के अनुसार, जिस समय ट्रूडो ने अपने इस्तीफे की घोषणा की, उस समय रूढ़िवादी 47 प्रतिशत लोकप्रियता के साथ दौड़ में आगे चल रहे थे, जबकि लिबरल 20 प्रतिशत लोकप्रियता के साथ आगे चल रहे थे। हालाँकि, हाल ही में 26 अप्रैल को समाप्त हुए तीन दिवसीय सर्वेक्षण से पता चलता है कि लिबरल पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर 4 प्रतिशत अंकों और ओंटारियो में 6 अंकों के साथ अपना प्रमुख स्थान फिर से हासिल कर लिया है, जो कि 343 संसदीय सीटों में से 122 के साथ कनाडा का सबसे महत्वपूर्ण प्रांत है।
कनाडा चुनाव परिणाम को देखें तो मार्क कार्नी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यावसायिक और कूटनीतिक संतुलन के लिए जाने जाते हैं। वे बैंक ऑफ कनाडा और बैंक ऑफ इंग्लैंड जैसे संस्थानों के प्रमुख रह चुके हैं, जिससे यह उम्मीद की जा सकती है कि वे भावनात्मक राजनीति की जगह प्रोफेशनल और संतुलित विदेश नीति अपनाएंगे। इससे भारत-कनाडा के बीच हाल के वर्षों में खालिस्तान मुद्दे पर बढ़ता तनाव कम करने में मदद मिल सकती है।
मार्क कार्नी ने अमेरिका पर आर्थिक निर्भरता कम करने की बात कही है। इसका अर्थ है कि वे भारत जैसे बड़े और उभरते बाजारों के साथ व्यापारिक संबंध मजबूत करना चाहेंगे। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और तकनीकी सहयोग को नया बल मिलेगा।
कनाडा में हर साल हज़ारों भारतीय छात्र और प्रोफेशनल जाते हैं। यदि कार्नी आव्रजन नीति को "स्थायी और स्थिर" रखने का वादा निभाते हैं, तो वर्क वीज़ा, PR और शिक्षा नीति में सहूलियत मिल सकती है।
कार्नी ग्लोबल फाइनेंशियल नीति और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर सक्रिय रहे हैं। भारत के साथ ऐसे विषयों पर साझा दृष्टिकोण बन सकता है, जो G20, UN और अन्य वैश्विक मंचों पर सहयोग को बढ़ाएगा।
लिबरल पार्टी, विशेष रूप से पिछले कार्यकालों में, कनाडा स्थित खालिस्तान समर्थक समूहों के प्रति अपेक्षाकृत नरम रही है। यदि कार्नी इस मुद्दे पर भी संतुलित रुख न अपनाएं तो यह भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ा सकता है।
कार्नी ने डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति और कनाडा को "51वां अमेरिकी राज्य" बनाने की बात का कड़ा विरोध किया है। यदि अमेरिका और कनाडा के बीच व्यापार युद्ध शुरू होता है तो भारत पर दबाव बढ़ सकता है कि वह किस पक्ष के साथ खड़ा हो। वहीं वैश्विक सप्लाई चेन में अस्थिरता का असर भारत के निर्यात पर भी पड़ सकता है।
यदि कनाडा की अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी टैरिफ और आंतरिक संकट का असर बढ़ता है, तो भारत-कनाडा आर्थिक सहयोग भी प्रभावित हो सकता है। मसलन कनाडा में निवेश करने वाले भारतीय बिज़नेस और रियल एस्टेट सेक्टर को नुकसान हो सकता है।
बहरहाल मार्क कार्नी की जीत भारत के लिए एक अवसर और एक चेतावनी दोनों है। वे पेशेवर, वैश्विक सोच रखने वाले नेता हैं, जिनसे भारत को व्यापार, प्रवासन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के क्षेत्र में बड़े लाभ मिल सकते हैं। लेकिन यदि वे खालिस्तान या भारत-विरोधी तत्वों पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाते, तो संबंधों में तनाव की गुंजाइश बनी रहेगी।