Same-sex marriage: आम तौर पर समलैंगिक संपर्क या संबंध को समाज बहुत बुरा मानता है,ऐसे में समलैंगिक विवाह को मंजूरी मिलने का सवाल ही नहीं है, लेकिन यहां तो देश की सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानूनन मंजूरी दे दी है।
Same-sex marriage: देश ने समलैंगिक विवाह को वैध बनाकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है, और यह इस तरह के संघों को मान्यता देने वाला दक्षिण पूर्व एशिया का पहला देश बन गया है। बिल, जिसे जून में सीनेट ने मंजूरी दे दी थी, उसे शाही मंजूरी मिल गई और यह अगले साल 22 जनवरी से प्रभावी हो जाएगा। ध्यान रहे कि ऐन चुमापोर्न सहित एलजीबीटीक्यू+ नेता इस बात पर जोर देते हैं कि यह विकास समानता और स्वीकृति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करता है। आम तौर पर समाजों के सामूहिक विवाह होते हैं, लेकिन यहां तो समलैंगिकों का सामूहिक विवाह (Same-sex marriage) होने की लंबे समय से बात होती रही है। कानून के लागू होने की तारीख के लिए 1,000 से अधिक जोड़ों को शामिल करने वाले सामूहिक विवाह समारोह की योजना पहले से ही चल रही है।
थाईलैंड (Thailand) के पूर्व प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन और वर्तमान प्रधानमंत्री पेटोंगटार्न शिनावात्रा दोनों ने थाई समाज में समानता को बढ़ावा देने में इसका महत्व रेखांकित करते हुए, विधेयक के लिए समर्थन व्यक्त किया है। इस कानून के साथ, थाईलैंड समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाले एकमात्र एशियाई देशों में ताईवान और नेपाल के साथ शामिल हो गया है, जो एलजीबीटीक्यू+ अधिकारों के प्रति क्षेत्रीय दृष्टिकोण में एक उल्लेखनीय बदलाव का प्रतीक है। उल्लेखनीय है कि भारत में समलैंगिक विवाह को अभी तक कानूनी मान्यता नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को वैध बनाने से इनकार कर दिया है और कहा है कि यह विधायिका का काम है।