मुख्यमंत्री ने यह तेवर बुधवार को पुलिस के सीनियर अफसरों के साथ बंद कमरे में दिखाए। उन्होंने अनुशासन का पाठ पढ़ाते हुए यह तक कहा कि सेना में रहते हुए उन्होंने देखा है कि किस तरह नज़दीक के झगड़ों के बावजूद अनुशासन कायम रहता है। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यह भी कहा कि पुलिस के कुछ अफसर आपसी झगड़ों पर जो कुछ कर रहे हैं वह न केवल घटिया है बल्कि पंजाब के हितों के लिए भी घातक है।
अमरिंदर सिंह ने पुलिस अफसरों को अदालतों और मीडिया में चल रही निजी और पेशेवर लड़ाई को तुरंत ख़त्म करने का फरमान सुनाते हुए कहा कि पंजाब पुलिस का नाम बदनाम करने और गंभीर अनुशासनहीनता में व्यस्त रहने वाले किसी भी अधिकारी को हटाने की धमकी तक दे डाली। उन्होंने कहा कि अगर ज़रूरत पड़ी तो वह पुलिस फोर्स में अनुशासन का उल्लंघन करने वाले किसी भी अधिकारी को बर्खास्त करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री तक भी पहुंच जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने किसी अफसर का नाम लिए बिना कहा कि पेशेवर समस्याओं के साथ निपटने के अलग-अलग चैनल और ढंग तरीके हैं। पेशेवर मामलों को अदालत में ले कर जाना मंजूर करने योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी मुद्दे के हल के लिए कोई भी सीनियर अधिकारी सबसे पहले डीजीपी, उस के बाद गृह सचिव और मुख्य सचिव के पास पहुँच सकता है। अगर फिर भी वह संतुष्ट नहीं होता तो वह उनके पास आ सकता है।
मुख्यमंत्री ने साफ लहजे में कहा कि पुलिस फोर्स को डीजीपी सुरेश अरोड़ा की लीडरशिप मंजूर करनी होगी। वे एक काबिल अफसर हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने कभी भी पंजाब पुलिस में ऐसी बातें होती नहीं देखीं। यह वह पुलिस है जिसने राज्य को आतंकवाद, सामुहिक हत्याएँ, सुनियोजित हत्या करने, धार्मिक मौकापरस्ती, किसान असंतोष आदि समेत बहुत सी मुश्किलों भरे समय में से बाहर निकाला।
मुख्यमंत्री ने नसीहत दी कि पुलिस फोर्स के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। पड़ोसी देश की हमारी विरोधी शक्तियां सिर उठा रही हैं। इनसे मिलजुलकर निपटने की जरूरत है। नशा माफिया लगातार नुकसान पहुंचा रहा है और शान्ति और सदभावना के मद्देनजऱ हाल ही के दिनों में हुई इस घटना ने पुलिस फोर्स के छवि को नुकसान पहुंचाया है।
बैठक के दौरान डीजीपी सुरेश अरोड़ा ने कहा कि हालिया घटनाक्रम ने उनको मुश्किल स्थिति में डाल दिया है। परन्तु उन्होंने अधिकारियों को भरोसा दिलाया कि वह किसी भी कीमत पर उनको झुकन नहीं देंगे और वह फोर्स के पेशेवर मापदंडों में विस्तार करने के लिए लगातार कार्य करते रहेंगे। इसी तरह का गुस्सा गृह सचिव एनएस कलसी ने भी जारिर किया।
मीटिंग में मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल, मुख्य प्रमुख सचिव सुरेश कुमार, सुमेध सिंह सैनी के अलावा पंजाब पुलिस के सभी डीजीपी और 17 एडीजीपी मौजूद थे।
यह है विवाद
पंजाब पुलिस के कुछ सीनियर अफसर अपने ही सहयोगियों के आरोपों की जद में है। हाल में डीजीपी ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट एस चट्टोपाध्याय ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अर्जी देकर आरोप लगाया था कि डीजीपी सुरेश अरोड़ा व डीजीपी दिनकर गुप्ता के इशारों पर आईजी एलके यादव अमृतसर के हाईप्रोफाइल इंद्रजीत चड्ढा सुसाइड केस में उन्हें फंसाना चाहते हैं।
चट्टोपाध्याय ने यह भी आरोप लगाया था कि वे हाईकोर्ट के निर्देश पर नशे के माले में मोगा के एसएसपी की भूमिका की जांच के लिए गठित कमेटी का नेतृत्व कर रहे हैं, इस लिए अरोड़ा व गुप्ता के इशारे पर आईजी उनपर चड्ढा सुसाइड मामले के बहाने दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि चड्ढा सुसाइड केस से उनका कोई लेना-देना नहीं है।