ब्रिटिश सरकार के बारे में टिप्पणी से इंकार
वेल्बी ने कहा,”मैं यहाँ किए गए इस अपराध के प्रभाव के लिए बहुत शर्मिंदा हूँ और खेद व्यक्त करता हूँ। मैं सरकार के लिए नहीं बोल सकता। जो सरकार को करना है। मैं एक धर्मगुरु हूं, राजनीतिज्ञ नहीं। एक धार्मिक नेता के रूप में, मैं यहां आ रही त्रासदी का शोक मनाता हूं, “उन्होंने अधिनियम के लिए भगवान से क्षमा मांगने के लिए एक प्रार्थना भी पढ़ी।
नरसंहार पर गहरी शर्मिंदगी जताई
उन्होंने विजिटर बुक में लिखा है, ‘Ó इस जगह का दौरा करने के लिए गहरा शर्मिंदगी और भावनाओं को भड़काना इस तरह की घटना है जो सौ साल पहले ऐसे अत्याचार की गवाह थी। मेरी पहली प्रतिक्रिया, भारत और इसके अद्भुत लोगों के साथ रिश्तेदारों की, वंशजों की चिकित्सा के लिए प्रार्थना करना है। लेकिन, वह प्रार्थना मेरे लिए प्रार्थना करने और कार्य करने की इच्छा को नवीनीकृत करती है ताकि हम एक साथ इतिहास से सीख सकें, घृणा को खत्म कर सकें, सामंजस्य को बढ़ावा दे सकें और विश्व स्तर पर आम अच्छे की तलाश कर सकें। “
यह पूछे जाने पर कि क्या वह ब्रिटिश सरकार से नरसंहार के लिए माफी मांगने के लिए कहेंगे, उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि मुझे जो महसूस हो रहा है वह बहुत स्पष्ट है और जो इंग्लैंड में प्रसारित किया जाएगा।”
भारत में अपने अनुभव के बारे में, वेल्बी ने कहा, “यह एक तीर्थयात्रा रही है। यह प्रार्थना के लिए किया गया है। यह मेरे लिए गहन सीख और विशेषाधिकार का सबक रहा है जिसे मैं कभी नहीं भूलूंगा। मैं सभी संभावनाओं की प्रशंसा करता हूं और आशा करता हूं कि यह देश दुनिया को पेशकश करेगा। “
पूर्व प्रधानमंत्री टेरेसा ने माफी से कर दिया था इंकार
गौरतलब है कि ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री टेरेसा ( ex priminster ) मे ने अमृतसर के जलियांवाला नरसंहार कांड पर औपचारिक माफी मांगने से इंकार कर दिया था। मे ने यूटर्न लेते हुए इस नरंसहार को ब्रिटिश भारतीय इतिहास में ‘शर्मसार करने वाला धब्बाÓ जरूर करार दिया, लेकिन उन्होंने इस मामले में औपचारिक माफी नहीं मांगी। मे ने अपने बयान में इस घटना पर ‘खेद जताया जो ब्रिटिश सरकार पहले ही जता चुकी है। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘Ó1919 के जलियांवाला बाग नरसंहार की घटना ब्रिटिश भारतीय इतिहास पर शमज़्सार करने वाला धब्बा है। जैसा कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने 1997 में जलियांवाला बाग जाने से पहले कहा था कि यह भारत के साथ हमारे अतीत के इतिहास का दुखद उदाहरण है।”
४०० लोग मारे गए थे
जालियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के पंजाब प्रान्त के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में १३ अप्रैल १९१९ (बैसाखी के दिन) हुआ था। रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर ( General Dyer ) नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें ४०० से अधिक व्यक्ति मरे और २००० से अधिक घायल हुए।