दशहरा पर्व के मौके पर शुक्रवार शाम हुए इस हादसे में दो परिवारों के सात और चार लोग एकसाथ मारे गए। जलसा स्थल से थोड़े ही फासले पर स्थित प्रीतनगर के दिनेश और उनके परिवार के छह अन्य सदस्य डीएमयू ट्रेन के पहियों के नीचे कुचलकर एक साथ मारे गए। दिनेश की पत्नी प्रीति ने अपनी बहन को उत्तरप्रदेश के सुल्तानपुर से बुलाया था। दशहरे के बाद प्रीति अपनी बहन को वैष्णोदेवी ले जाना चाहती थी। वहां बहन के नौ माह के बच्चे का मुंडन करवाना था। प्रीति अपने पुत्र आरूष के साथ अस्पताल में इलाज करवा रही है लेकिन उसने पति दिनेश और नौ वर्षीय पुत्र अभिषेक के अलावा अपनी मां,बहिन,बहिन के पति बुधराम व उनके दो बच्चों विशाल व सरोजिनी को एक साथ गंवा दिया। मां और बहन का परिवार दो दिन पहले ही प्रीति के घर पहुंचा था।
दशहरे का जलसा देखने के लिए दिनेश का परिवार सजधज कर पहुंचा था। उन्हें क्या पता था कि मौत उन्हें सजधज के साथ लेने आ रही है। इनके अलावा दशमेशनगर के एक परिवार के भी चार लोग एक साथ मारे गए। इनमें निर्मला,उनकी पुत्री नीतू,गर्भवती पुत्रवधू करमजोत और भतीजी कुसुम ट्रेन के पहियों के नीचे कुचलकर एक साथ मारे गए। अमृतसर के शिवपुरी शमशान पर एक के बाद एक शव का अंतिम संस्कार भी हृदयविदारक था।
दुर्गियाना मंदिर प्रबन्धक कमेटी के अध्यक्ष रमेश चन्द्र ने कहा कि उन्होंने एक दिन में इतनी संख्या में दाह संस्कार पहले कभी नहीं देखे। कमेटी ही शमशान का प्रबन्ध करती है। हादसे में मारे गए ज्यादातर लोगों का अंतिम संस्कार इस शमशन पर कर दिया गया। दुर्गियाना मंदिर प्रबन्धक कमेटी ने अंतिम संस्कार का कोई शुल्क नहीं वसूल किया। शिवपुरी में 29 शवों का दाहसंस्कार किया गया। पांच शवों का दाहसंस्कार मोहकमपुरा इलाके में किया गया। दो शवों का अंतिम संस्कार गुरूद्वारा शहीद बाबा दीप सिंह के निकट स्थित शमशान पर किया गया। चार शवों को उत्तर प्रदेश भेजा गया। कमेटी ने तीन शव अपनी संरक्षा में रखे है क्योंकि उनके परिजन रास्ते में है।