कांग्रेस की मनमोहन सरकार के भगत सिंह को शहीद मानने के बाद भी सरकारी रिकार्ड मे इस क्रान्तिकारी को आज भी क्रान्तिकारी आतंकी लिखा जा रहा है। देश को आजाद हुए सात दशक से अधिक हो गए, लेकिन आज भी किताबों में उन्हें क्रांतिकारी आतंकी लिखा जा रहा है। भगत सिंह को जो अंग्रेज मानते थे, आजादी के बाद सरकारी रिकॉर्ड में आज भी वही स्थिति है। उनके वंशज शहीद का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए एसजीपीसी केंद्र सरकार को पत्र लिखने के निर्णय पर विवाद हो गया है। सिख विद्वान सवाल खड़ा करने लगे हैं कि क्या भगत सिंह पूर्ण मर्यादा वाले सिख थे? क्या यह काम एसजीपीसी का है? यह किसी से छिपा नहीं है कि आम लोग तो भगत सिंह को शहीद-ए-आजम कहती है। लेकिन सरकार ऐसा नहीं मानती। देश को आजाद हुए सात दशक से अधिक हो गए, लेकिन आज भी किताबों में उन्हें क्रांतिकारी आतंकी लिखा जा रहा है।
पंजाब सरकार ( Punjab Government ) भी भगत सिंह को शहीद का दर्जा देने पर अपने हाथ खड़े कर चुकी है। पंजाब सरकार ने संविधान के अनुच्छेद-18 के तहत एबोलिशन ऑफ टाइटल्स नियम का हवाला देते हुए कहा कि सरकार फौजियों के अलावा किसी को कोई टाइटल नहीं दे सकती। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट हरि चंद अरोड़ा ने सरकार को पत्र लिखकर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग की थी। इस पत्र के जवाब में सरकार ने इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च द्वारा प्रकाशित किताब डिक्शनरी ऑफ मार्टियर्स : इंडियाज फ्रीडम स्ट्रगल का जिक्र करते हुए कहा है कि इस किताब में भारत के शहीदों का वर्णन है।