ज्ञानी गुरबचन सिंह ने यह आदेश अकाल तख्त साहिब पर सभी तख्तों के जत्थेदारों के साथ हुई बैठक के बाद जारी किया है। अकाल तख्त साहिब से आज जिन सिख प्रतिनिधियों के विरूद्ध हुक्मनामा जारी किया गया है, वही कई दिनों से विवादों में घिरे हुए हैं। सरबत खालसा द्वारा चुने गए मुतवाजी जत्थेदारों ने गत दिवस ही हुक्मनामा जारी करके गुरूद्वारा घल्लूघारा साहिब के अध्यक्ष को तनखाईया करार दे दिया था।
क्या है पूरा विवाद: बीते अगस्त माह के दौरान काहनूवान स्थित गुरूद्वारा छोटा घल्लूघारा के कोषाध्यक्ष बूटा सिंह को एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा गया था। इसके बाद एसजीपीसी ने उन्हें पदमुक्त कर दिया था। इस विवाद को लेकर अकाल तख्त साहिब द्वारा बूटा सिंह तथा गुरूद्वारा साहिब के अध्यक्ष मास्टर जौहर सिंह को आज तलब किया गया था। अकाल तख्त साहिब द्वारा की जाने वाली कार्यवाही से एक दिन पहले ही मास्टर जौहर सिंह समानांतर जत्थेदारों के समक्ष पेश हुए और उन्हें तनखाईया करार दे दिया गया। हालांकि बृहस्पतिवार को इसी मुद्दे को लेकर अकाल तख्त साहिब परिसर में खासा हंगामा हुआ था।
इस बीच आज फिर से अकाल तख्त साहिब पर बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें तख्त श्री पटना साहिब, तख्म श्री दमदमा साहिब, तख्त श्री केसगढ़ साहिब तथा तख्त श्री हजूर साहिब के जत्थेदारों ने भाग लिया।
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लेते हुए गुरदासपुर जिला के गुरूद्वारा छोटा घल्लूघारा साहिब के पूर्व कोषाध्यक्ष बूटा सिंह को सिख पंथ से बाहर करते हुए समूची सिख कौम को बूटा सिंह के साथ रोटी-बेटी की सांझ समाप्त करने, सिख धार्मिक संगठनों से बाहर करने के आदेश जारी किए गए हैं।
इसके अलावा जौहर सिंह का सामाजिक बहिष्कार करने के आदेश देते हुए उन्हें तनखाईया करार दिया गया है। जत्थेदार ने कहा कि जब तक जौहर सिंह अकाल तख्त साहिब के समक्ष पेश होकर क्षमा याचना नहीं करता है और अपनी धार्मिक सजा नहीं सुनता है तब तक देश-विदेश में रहने वाली सिख कौम उनका सामाजिक,धार्मिक व राजनीतिक बहिष्कार रखेगी।