सेना ने छह जून, 1984 को आतंकवादियों से खाली करा लिया था स्वर्ण मंदिर
बरसी पर अकाल तख्त करा रहा अखंड पाठ, एसजीपीसी भी छह जून को डालेगी भोग
स्वर्ण मंदिर अमृतसर में हर साल होती है बहसबाजी, तलवारें तक चल चुकी हैं
Operation Blue Star की बरसी का फाइल फोटो
अमृतसर। ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी को लेकर अमृतसर के अकाल तख्त पर अखंड पाठ का आरंभ हो चुका है। इसका भोग 6 जून को डाला जाएगा। 6 जून ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए लोगों की याद में शिरोमणि गुरुद्वारा परबंधक कमेटी (एसजीपीसी) भी अखंड पाठ का भोग डलवाती है। गरम दलिए इस दिन भिंडरावाला की याद में रखे गए अखंड पाठ का भोग डालते हैं। यहां पर खालिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं। यह हर 6 जून को होता है। हर साल जहां पर एसजीपीसी टास्क फोर्स की गरम दलों के साथ बहसबाजी होती है और जहां तक कि कभी-कभी तलवारें भी चलती हैं। पुलिस प्रशासन मुस्तैद है। बेरीकेडिंग की गई है। प्रयास है कि किसी को स्वर्ण मंदिर परिसर की ओर न जाने दिया जाए। हिन्दूवादी बरसी पर होने वाले कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं। इस कारण भी टकराव के आसार बन रहे हैं। इसे देखते हुए 5500 पुलिस वाले तैनात किए जा रहे हैं। सीसीटीवी से निगाह रखी जा रही है।
खालिस्तान समर्थक नहीं भूले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्वर्ण मंदिर को खालिस्तान समर्थकों से मुक्त कराने के लिए ऑपरेशन ब्लू स्टार के आदेश दिए थे। ऑपरेशन ब्लू स्टार सेना का एक ऐसा ऑपरेशन था जिसने देश में सिख इतिहास व सिखी के सियासी मिजाज को भी बदल कर रखा दिया। इस ऑपरेशन का खामियाजा भारत की ताकतवर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपनी जान देकर भुगतना पड़ा। खालिस्तान का सपना देखने वाले लोग आज भी इस ऑपरेशन को भूले नहीं हैं। सेना की कार्रवाई के वो चार दिन लोगों के रोंगटे खड़े कर देते हैं। कुछ चश्मदीद उस घटना के बारे में तारीख दर तारीख बताते हैं। वे और उनके जैसे कई लोग सेना की कार्रवाई और वहां मौजूद खालिस्तानी समर्थकों के जवाबी हमले का गवाह बने।
अकाल तख्त के पास हुआ था बम धमाका उस समय दरबार साहब परिसर में मौजूद थे प्रत्यक्षदर्शी मनजीत सिंह भोमा। वे इस समय एसजीपीसी के सदस्य भी हैं। उन्होंने बताया कि पांच जून को स्वर्ण मंदिर के आसपास तैनात केंद्रीय रिजर्व फोर्स के जवानों से शिरोमणि गुरुद्वारा परबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के कुछ सेवादारों की परिसर के अंदर जाने को लेकर झड़प हुई थी। इसके बाद तनाव काफी बढ़ गया था। पूरा दिन सेवादारों और अर्धसैनिक बलों के बीच तना-तनी चलती रही। शाम तक पूरे इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया था। पैरा-मिलिट्री फोर्स ने हालात काबू में रखने के लिए फ्लैग मार्च भी किया था। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होने लगी थी। 5 जून को गुरु अर्जुन देव का शहीदी दिवस मनाया जाना था। लेकिन सेना स्वर्ण मंदिर को मुक्त कराना चाहती थी। इसके लिए व्यापक योजना पर काम शुरू हो चुका था। मंदिर परिसर में श्रृद्धालुओं समेत तकरीबन पांच हजार लोग जमा हो चुके थे। भाई अमरीक सिंह कीर्तन कर रहे थे। सुबह लगभग चार बजे अकाल तख़्त के पास सिंधियों की धर्मशाला पर बम से हमला किया गया। वहां मौजूद श्रद्धालु सहम गए। अफरा-तफरी के बीच लोग बाहर निकलने लगे। शाम होते-होते दोनों तरफ से गोलियां चलने लगीं। परिसर में सिख लड़ाकों ने मोर्चाबंदी कर ली थी। उस वक्त मंदिर परिसर के साथ कई इमारतें जुड़ी हुई थीं और आसपास के सभी मकानों पर सेना के जवान तैनात थे। मकानों की छतों पर मशीनगनें लगाई गई थीं।
5 जून, 1984 को क्या हुआ पांच तारीख को दिन भर दोनों ओर से गोलीबारी होती रही। शाम होते ही कमांडिंग ऑफिसर मेजर जनरल कुलदीप सिंह बरार ने कमांडो दस्ते को स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने का आदेश दिया, लेकिन आतंकियों ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। इस जवाबी हमले में सेना के 20 से अधिक जवान शहीद हो गए। मजबूरी में सेना को टैंक और बख़्तरबंद गाड़ियों का इस्तेमाल करना पड़ा। परिसर के बीच टैंक आ गए। चश्मदीदों ने चार टैंक वहां देखे। लड़ाकों ने एक टैंक पर रॉकेट से हमला किया। रातभर भीषण गोलाबारी हुई। इसके बाद खालिस्तानी समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाला उसके साथ ही मारे गए, किसकी याद में आज भी खालिस्तानी समर्थक यह बरसी अकाल तख्त पर मनाते हैं।
ऑपरेशन ब्लू स्टार 6 जून 1984 सुबह हुए जोरदार धमाके में अकाल तख्त को काफी नुकसान हुआ। सुबह आठ बजे तक सेना पूरी तरह स्वर्ण मंदिर परिसर में दाख़िल हो गई थी। सेना ने एक-एक कमरे में बम फेंके और वहां मौजूद लोगों को बाहर निकालने की कोशिश की। कई लोग इस कार्रवाई में मारे गए और कई जगह आग लग गई। अकाल तख़्त में जरनैल सिंह के साथ सेवादार, हेड ग्रंथी प्रीतम सिंह समेत लगभग 40 लोग थे। बाक़ी सभी लोग अकाल तख़्त से मौका मिलते ही बाहर चले गए थे। वहां मौजूद इन लोगों का सेना के साथ सीधा टकराव हुआ। इस टकराव में जरनैल सिंह भिंडरांवाले, उसका सहयोगी जनरल शाहबेग सिंह और उसके लगभग सभी साथी मारे गए। शाम पांच बजे तक गोलाबारी पूरी तरह बंद हो गई थी। इसके बाद करीब 200 आतंकियों ने समर्पण किया था। इस दौरान 492 लोगों की जान गई। सेना के चार अफसरों सहित 83 जवान शहीद हुए थे। यह आधिकारिक आंकड़ा है। हालांकि बताया जाता है कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान 5000 से अधिक लोग मारे गए थे। पूरे परिसर में दिखाई दे रहा था सिर्फ खून। स्वर्ण मंदिर परिसर को आतंकवादियों से मुक्त करा लिया गया था।