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अमृतसर

Pakistan ने Kartarpur Sahib के लिए की एंट्री बंद, India ने पाकिस्तानियों का प्रवेश रोका

करतारपुर जाने वाले श्रद्धालुओं के पंजीकरण किए गए बंद
भारत ने वाघा सीमा से पाकिस्तानी नागरिकों का प्रवेश रोका

अमृतसरMar 15, 2020 / 11:42 pm

Bhanu Pratap

Attari Border

Attari Border

अमृतसर (धीरज शर्मा)। करतारपुर कॉरिडोर Kartarpur corridor जाने वाले श्रद्धालुओं Devotees के लिए बुरी खबर है। बीएसएफ अधिकारियों (BSF Officers) के मुताबिक, आज से करतारपुर जाने वाले श्रद्धालुओं के पंजीकरण नहीं किए जाएंगे। कोरोनावायरस coronavirus के खतरे को देखते हुए पाकिस्तान Pakistan ने करतारपुर साहिब की एंट्री बंद कर दी है। पाकिस्तानी अधिकारियों ने यह कदम उस समय उठाया जब भारत India ने वाघा सीमा Wagha Border के रास्ते पाकिस्तान से आने वाले नागरिकों के लिए वाघा का रास्ता बिल्कुल बंद कर दिया। शनिवार शाम कुछ पाकिस्तानी भारत में प्रवेश कर रहे थे जिसे बीएसएफ ने रोक दिया।
Attari Border
बीएसएफ ने वापस भेजा

सीमा सुरक्षा बल के उप महानिरीक्षक पंजाब फ्रंटियर बीएस रावत ने बताया कि भारत सरकार ने अटारी सड़क सीमा के रास्ते पाकिस्तानी और विदेशी नागरिकों के भारत में प्रवेश पर रोक लगा दी है। जो भारतीय नागरिक अपने सगे-संबंधियों से मिलने पाकिस्तान गए हैं, वे लौट सकते हैं। पाकिस्तान से लौटे जम्मू कश्मीर के आसिफ ने बताया कि वह पाकिस्तान के कराची में पढ़ते हैं। कोरोनावायरस के कारण भारत सरकार अटारी सीमा से प्रवेश करने पर पाबंदी न लगा दे, यह सोचकर वे लौट आए। वहीं पाकिस्तान से अपने परिवार को मिलने भारत आ रहे एक परिवार को बीएसएफ ने वाघा सीमा से ही वापस पाकिस्तान भेज दिया।
घंटों इंतजार के बाद लौटे लोग

जानकारी के अनुसार पंजाब के अहमदगढ़ से एक परिवार लाहौर से आने वाले कुछ रिश्तेदारों का अटारी सड़क सीमा पर घंटों इंतजार करने के बाद लौट गया। अटारी सड़क सीमा पर तैनात बीएसएफ के जवानों ने इस परिवार को पाकिस्तान सीमा से अटारी सीमा से प्रवेश करने से रोक दिया। इस परिवार के एक रिश्तेदार मोहम्मद मनीर ने बताया कि कई घंटे इंतजार के बाद रिश्तेदारों का फोन आया कि अटारी सीमा पर उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया गया।
wagha border
गुरुद्वारा कतारपुर साहिब का महत्व

पंजाब में डेरा बाबा नानक मंदिर से स्पष्ट दिखाई देने वाला करतारपुर साहिब का लगभग 500 वर्षों का समृद्ध इतिहास है। ऐसा कहा जाता है कि इसकी स्थापना सिखों के गुरु नानक देव द्वारा 1522 में कराई गई थी। यह वही जगह है जहां पर नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष व्यतीत करते हुए, अंतिम सांसे ली थीं। इस दौरान, उन्होंने क्षेत्र में एक सिख समुदाय को संकलित किया। करतारपुर साहिब की वर्तमान इमारत पटियाला के महाराजा सरदार भूपिंदर सिंह द्वारा बनवाई गई थी। हालांकि, नष्ट हो जाने के बाद, 1999 में पाकिस्तान के अधिकारियों द्वारा इसकी बहाली तक यह जनता के लिए बंद रहा। मुसलमानों और सिखों दोनों के लिए गुरु नानक देव एक पवित्र व्यक्ति थे, गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर दोनों समुदायों के लिए एक पवित्र स्थल बन गया।
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