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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकारी बेवसाइट पर डाटा अपलोड करने वाले यूजर की आईडी और पासवर्ड लीक हो गए। जिसके बाद राज्य के अलग—अलग इलाकों में साइबर कैफे वालों के यहां लंबी कतारें लग गई। सरकारी स्कीम का फायदा उठाने के लिए लोगों ने बड़ी संख्या में आवेदन किया। हर गाँव में साइबर कैफे और कंप्यूटर सेंटर वालों ने उन लोगों का भी डाटा और बैंक खाते अपलोड कर दिए जिनके पास न तो जमीन थी और न ही उन्होंने कहीं धान आदि की काश्त की थी। इस तरह डाटा अपलोड होते ही सरकार के करोड़ों रुपए खाता धारकों के खातों में पहुँच गया जोकि उन्होंने उसी वक्त ही एटीएम के द्वारा या फिर बैंक में केश करवा लिया। इसलिए वह लोग भी इस स्कीम का लाभ ले गए जिन के पास न तो जमीन थी या फिर उन्होंने बासमती की खेती की थी।
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सरकार को जिस वक्त इस खबर की भनक लगी कि उस के साथ बहुत बड़ा धोखा हो गया है। तब तक काफी देर हो चुकी थी। फाजिल्का जिले के जलालाबाद शहर में से भी प्रशासन ने एक दुकान से दो कंप्यूटर जब्त किए हैं। और संचालक के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज की गई है। जबकि एक अन्य गाँव ख्यो वाली बोदला में से भी पुलिस द्वारा कंप्यूटर को कब्जे में ले कर जांच की जा रही है। जबकि दोशियों को मामूली नजराने के बाद गाँव में ही छोड़ दिया गया। इस सबंधी जिले के डिप्टी कमिशनर मनप्रीत सिंह छत्तवाल के साथ संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि यह धाँधली पूरे राज्य स्तर की है। पुलिस को जांच करने के लिए आदेश दे दिए गए हैं और किस सहकारिता विभाग या पंचायत विभाग के सचिव से इस के पासवर्ड और आई.डी. लीक हुई हैं का पता लगाया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अगले आदेशों तक सरकार की तरफ से यह पोर्टल बंद कर दिया गया है।