पंजाब में डेढ़ लाख लोक गायक, सबके सब बेरोजगार
कोई धान बीजाई कर रहा तो कोई ई-रिक्शा चला रहा
पंजाबी लोक गायकों पर कोरोना का कहर, अब सब्जी बेच रहे घर-घर
अमृतसर। लॉकडाउन की मार पूरे देश को झकझोर गई है। इसमें क्या आम आदमी, क्या नौकरी पेशा और क्या सरकारी कर्मचारी, सब अपना सुर अपना राग और अपनी नौकरी बचाने में लगे हुए हैं। हर सरकारी अफसर अपनी नौकरी जस्टिफाई करके काम कर रहा है। पगार आधी मिल रही है। जरा सोचिए उन लोगों के बारे में जो कभी आकाश में थे, जिन्हें सिर्फ दूर से देखकर नमतस्तक हो जाते थे, आज जमीन पर हैं। उन्हें पूछने वाला कोई नहीं। हम बात कर रहे हैं पंजाबी लोक गायकों की।
ई रिक्शा भी चला रहे पंजाबी कार्यक्रम में लाखों रुपया बटोरने वाले यह पंजाबी लोक गायक आज कोरोना महामारी के चलते बेरोजगारी का शिकार हो चुके हैं। बेरोजगारी का शिकार हुए नए पंजाबी लोक गायक कोई न कोई जुगाड़ कर अपने घर का राशन डालने के लिए कोई धान की फसल की बुवाई कर रहा है तो कोई ई-रिक्शा चला रहा है। यहां तक कि सब्जी बेचने को मजबूर हो चुके हैं। बेरोजगारी का आलम यह है कि स्टेज पर गाना गाने वाले मेहनत मजदूरी और सब्जी बेचते दिखाई दे रहे हैं। पेट पालना भी जरूरी है।
एक लाख रुपये कमात थे, आज बेरोजगार अमृतसर के रहने वाले पंजाबी लोक गायक जीत कोटली व प्रीत कोटली ने बताया कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है तब से बेरोजगार हैं। अब सब्जी बेच रहे हैं। गली-गली, घर-घर जाकर सब्जी बेचने के बाद शाम को अपने घर आकर अपने परिवार के 10 सदस्यों का पेट पालते हैं। जब हमने उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि पूरे पंजाब में डेढ़ लाख के करीब पंजाबी लोक गायक हैं। लोक गायक गांव और कस्बे में जाकर अखाड़े लगाता है। महफिलें सजाता है। एक अखाड़े और महफिल में वह कम से कम ₹100000 कमाता है। आज हालत यह है कि दाने-दाने को भी मोहताज हो गए हैं। अंत में यही सोचा कि चलो सब्जी बेचकर ही गुजारा करते हैं। सब्जी बेचते-बेचते भी वह अपने सुरों से बेजार नहीं हुए। उन्होंने कोरोना महामारी पर भी एक गीत लिखा। उसे लोगों तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। हालांकि इससे उन्हें कोई फायदा नहीं होने वाला था पर नाम की खातिर उन्हें यह करना पड़ रहा है।