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कोरोना ने पंजाब के होटलों को मारा, अब राहत पैकेज का ही सहारा

locationअमृतसरPublished: May 20, 2020 04:33:13 pm

Submitted by:

Bhanu Pratap

अमृतसर में ही एक लाख श्रद्धालु आते थे प्रतिदिन, खाली नहीं रहता था एक भी होटल
लॉकडाउन के कारण 70 फीसदी होटल बंदी के कगार पर, फिर भी फिक्स चार्ज का भार

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अमृतसर (धीरज शर्मा) । कभी मैं आबाद था। दुनिया में आजाद था। करोना महामारी आई। मेरी सारी शान मिट्टी में मिला दी। यह कहानी है पंजाब की होटल इंडस्ट्री की। करोना संक्रमण के कारण चल रहे लॉकडाउन में पूरे प्रदेश के होटल इंडस्ट्री की कमर तोड़ कर रख दी है। अब इस इंडस्ट्री को उबरने में शायद सालों लगेंगे, क्योंकि करोना महामारी के चलते पूरी दुनिया का टूरिज्म प्रभावित हो चुका है।
एक लाख श्रद्धालु रोज आते हैं अमृतसर

स्वर्ण मंदिर, अमृतसर में ही रोजाना एक लाख श्रद्धालु माथा टेकने आता था। कोई भी होटल खाली नहीं मिलता था। आज सभी होटल वीरान हैं। इंतजार कर रहे हैं कि शायद सरकार हमारी भी सुनेगी। हमें भी उबारने में कुछ सहायता करेगी। पंजाब होटल एसोसिएशन का कहना है कि पंजाब में अब 70 फ़ीसदी होटल बंद होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है होटल बंद रहें या चालू, सरकार को हर महीने होटल मालिकों को एक फिक्स चार्ज देना होता है। ये अब कहां से दिया जाएगा।
ये है समस्या

पंजाब होटल एसोसिएशन व रेस्टोरेंट एसोसिएशन के प्रधान अमरबीर सिंह कहते हैं कि राज्य में 23000 होटल और रेस्टोरेंट उनकी एसोसिएशन के साथ जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि होटलों को कैटिगरी के हिसाब से फिक्स चार्ज पड़ता है। फाइव स्टार होटल को हर माह 25 लाख रुपए फिक्स चार्ज पड़ते हैं। थ्री स्टार की बात करें तो उन्हें पांच से सात लाख रुपया हर माह फिक्स चार्ज देना होता है। छोटे होटलों की बात करें तो 80 से 90 हजार रुपए फिक्स चार्ज पड़ते हैं। करोना संक्रमण के कारण 50 दिन से ज्यादा हो गए हैं होटल इंडस्ट्री को बंद हुए अभी तक। छोटे होटलों में 70 फ़ीसदी होटल बंद हो चुके हैं। बड़े होटलों की बात करें तो इनमें से तीन स्टार होटलों में 30% होटल बंद होने के कगार पर हैं। यह आंकड़ा 70 फ़ीसदी तक जा सकता है। केंद्र सरकार सभी इंडस्ट्री को कर्ज दे रही है कारोबार चलाने के लिए मगर होटल इंडस्ट्री को कर्ज की नहीं राहत कोष की जरूरत है, ताकि यह इंडस्ट्री आने वाले समय में भी कायम रहे और फिर से पर्यटकों की देखरेख कर सकें।
टैक्स में छह माह की छूट दी जाए

अमृतसर के होटल रोश के मालिक दीपक अरोड़ा बताते हैं- सरकार होटल को इंडस्ट्री तो मानती है लेकिन इसमें जितने भी टैक्स हैं वह सभी कॉमर्शियल के तहत वसूल किए जाते हैं। अगर सरकार होटल इंडस्ट्री को बचाने के लिए गंभीर है तो लोकल टैक्स में छह माह की छूट दी जाए। उन्होंने बताया कि ज्यादातर होटलों में बार के लाइसेंस भी है इसके तहत एक्साइज में भी 3 महीने की कम से कम छूट देनी चाहिए। होटल इंडस्ट्री को पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकारों को होटल मालिकों को दो साल के लिए ब्याज रहित लोन देना चाहिए।
क्या लोन उतारने के लिए लोन लेना उचित है?

होटल किंग लुधियाना के डायरेक्टर गुरदीप सिंह कहते हैं उनके होटल का खर्चा प्रति माह ₹2000000 है। उन्होंने होटल में कुछ नई सुविधाएं देने के लिए बैंक से लोन लिया था। उसके बाद लॉकडाउन हो गया और होटल बंद हो गया पर बैंक की किस्त और ब्याज नहीं रुके। वह तो जाने ही हैं क्योंकि फिक्स हैं। अब सरकार लोन देने की बात कर रही है। क्या लोन उतारने के लिए लोन लेना उचित है? वह कहते हैं कि सरकार सभी इकाइयों को किसी ना किसी तरह का राहत पैकेज देकर उन्हें उबारने की कोशिश की कर रही है। हमारी भी सरकार से मांग है कि अगर पंजाब की होटल इंडस्ट्री को बचाना है तो कर्ज नहीं, राहत पैकेज दे।
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