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कोयलारी में स्थापित 12वीं सदी की कल्चुरीकालीन शिव मंदिर, अब अवशेष में स्थापित जिले की धरोहर

locationअनूपपुरPublished: Jan 23, 2021 08:40:40 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

चिल्ड्रन पार्क में वर्ष 2014 में जिला प्रशासन द्वारा अवशेषों को एकत्रित कर पुन: स्थापित किया गया

12th century Kalchuri Shiva temple established in Koyalari, now the he

कोयलारी में स्थापित 12वीं सदी की कल्चुरीकालीन शिव मंदिर, अब अवशेष में स्थापित जिले की धरोहर

अनूपपुर। जिले के पुष्पराजगढ़ विकासखंड स्थित कोयलारी गांव में स्थापित 12वीं सदी की कल्चुरी कालीन मंदिर अब जिला मुख्यालय अनूपपुर के चिल्ड्रेन पार्क में अवशेष के रूप में धरोहर की तरह स्थापित है। जिसका निर्माण भारतीय पुरातत्व विभाग के सरंक्षण में पूरा किया गया है। हालंाकि यह मंदिर पूर्व की भांति उंचाई को नहीं छू सका, लेकिन वर्तमान अवशेष ऐतिहासिक कल्चुरीकालीन राजाओं द्वारा स्थापित मंदिर की पुरानी याद को विस्मरणीय बना देता है। माना जाता है कि कल्चुरी राजाओं द्वारा स्थापित इस मंदिर पर बारिश के दौरान गाज(ब्रजपात) का अधिक प्रकोप बना रहता था। यहीं कारण रहा कि लगातार गाज के प्रभाव में यह मंदिर कालांतर में धराशायी हो गई। पुरानी मंदिर को पुन: संवारने का प्रयास किया गया, लेकिन ग्रामीणों के विरोध में इसका पुनर्निमाण सम्भव नहीं हो सका। जिसके बाद वर्ष २०१४ में तत्कालीन कलेक्टर नंदकुमारम ने कोयलारी में अस्तित्व खोते जा रहे इस मंदिर को देखकर इसके पुनर्निर्माण के प्रयास किए। गाज के प्रकोप से गांव से अप्रिय घटनाओं की आशंकाओं में ग्रामीणों ने इसका विरोध करते हुए गांव में पुन: इस मंदिर को स्थापित ना किए जाने की बात कहीं गई। जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा मंदिर के अवशेष को कत्रित करते हुए इसे जिला मुख्यालय के चिल्ड्रन पार्क में स्थापित कराया गया। जिसे पुरातत्व विभाग के द्वारा अपनी देखरेख में मंदिर के स्वरूप में स्थापित किया गया है।
बॉक्स: आकाशीय गाज को अपने अंदर समाहित कर लेता था मंदिर
कलचुरी कालीन राजाओं द्वारा भगवान शिव का यह मंदिर बनाया गया था। नर्मदा तट के किनारे ऊंचे स्थान पर बने होने के कारण बारिश के महीने में आए दिन इस मंदिर पर आकाशीय बिजली गिरती रहती थी। जिसके कारण धीरे धीरे इसे गाज मंदिर के रूप में जाना जाने लगा था। ग्रामीणों का कहना था कि गाज गिरने के साथ मंदिर में समाहित हो जाती है। इसलिए डर से ग्रामीण इस मंदिर में पूजा के लिए भी नहीं आते थे।
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