6.32 करोड़ से बनाई गई थी ट्रामा यूनिट की बिल्डिंग, दीवारों में पड़ गई दरारें
अनूपपुरPublished: Nov 13, 2019 03:03:17 pm
पांच सालों से मरीजों को नहीं मिली ट्रामा सेंटर की आपातकालीन स्वास्थ्य सुविधाएं
6.32 करोड़ से बनाई गई थी ट्रामा यूनिट की बिल्डिंग, दीवारों में पड़ गई दरारें
अनूपपुर। मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाली सबसे बड़ी जिला अस्पताल की ट्रामा सेंटर पिछले पांच सालों से मरीजों को अकस्मात स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं प्रदान कर सकी है। नवम्बर २०१४ में ६.३२.२० लाख की लागत से बनी ट्रामा सेंटर भवन इमरजेंसी स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रदान करने वाली मानकों पर खड़ा नहीं उतर सका। आनन फानन में बिना भौगोलिक सुविधाओं व मानकों के अनुरूप भवन की डिजाइन अब चंद वार्डो व पोषण पुनर्वास केन्द्र संचालन के अलावा अन्य किसी काम की नहीं रही। वहीं निर्माण में एजेंसी द्वारा बरती गई लापरवाही में ६.३२ करोड़ की भवन अब जगह जगह दरारों में तब्दील होने लगी है। भवन की अंदरूनी हिस्से सहित बाहरी दीवारों में सैकड़ों दरारें उभरी पड़ी है। जिसे देखने से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि करोड़ों की भवन अब किसी काम नहीं रहेगी। स्वास्थ्य विभाग सूत्रों का कहना है कि वर्ष २०१६ के दौरान स्वास्थ्य प्रमुख ने निरीक्षण में इसे शासकीय राशि के दुरूपयोग होने की बात कहते हुए भवन को ट्रामा सेंटर के लिए अनुपयोगी बताया था। साथ ही कहा था कि यह भवन सिर्फ गोदाम बनाने लायक ही डिजाइन की गई है। यहां मरीजों का इमरजेंसी उपचार सम्भव नहीं है। विदित हो कि वर्तमान में ट्रामा सेंटर में मरीजों के पर्ची बनाने, आयुष विंग, ब्लड प्रेशर मैपिंग, एक्सरे सेंटर, सोनोग्राफी सेंटर के अलावा दंत चिकित्सा कक्ष व पोषण पुनर्वास केन्द्र संचालित है। भवन के अनपयोगी होने की दशा में अब इसमें ऑपरेशन थियेटर बनाने की योजना बनाई जा रही है। फिलहाल यह करोड़ों की भवन मरीजों के लिए ट्रामा सेंटर के रूप में मात्र शोपीस बनी है।
बताया जाता है कि ६३२.२० लाख की लागत से यह ट्रामा सेंटर २९ नवम्बर २०१४ को स्व. दलपत सिंह परस्ते तत्कालीन सांसद शहडोल द्वारा उद्घाटित किया गया था। इसे लोक निर्माण विभाग परियोजना क्रियान्वयन इकाई सम्भाग अनूपपुर द्वारा कराया गया था। जिसमें यह व्यवस्था बनाया जाना था कि अकस्मात स्थिति में जिला अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को तत्काल ट्रामा सेंटर में एडमिट कराते हुए उसे प्राथमिक उपचार दिया जाए। यहां डॉक्टरों की सलाह के अनुसार भर्ती और रेफरल केस तैयार कराए जाए। इस व्यवस्था में मरीजों को डॉक्टरों के लिए अधिक समय इंतजार करने से मुक्ति दिलाने के साथ मरीजों को तत्काल स्वास्थ्य लाभ पहुंचाया जाना था। लेकिन बाद में डॉक्टरों की कमी और ट्रामा सेंटर के लिए उपलब्ध होने वाले संसाधनों में आई कमी के कारण ट्रामा सेंटर की योजना नाममात्र रह गई। जब कि वर्ष २०१६ में जिला अस्पताल निरीक्षण के लिए भोपाल से पहुंची तत्कालीन स्वास्थ्य प्रमुख गौरी सिंह ने ट्रामा भवन का निरीक्षण करते हुए इसे शासकीय राशि के दुपयोग करने तथा बिना डिजाइन एप्रूव कराने भवन निर्माण कराने पर पीडब्ल्यूडी(पीआइयू) को फटकार लगाई थी। साथ ही पीआईयू को आगामी जिला अस्पताल भवन अनूपपुर निर्माण में बिना उनके एप्रूव डिजाइन पास कराए भवन निर्माण नहीं कराने के निर्देश दिए थे।
बॉक्स: तो जर्जर हो जाएगा भवन
ट्रामा सेंटर भवन की दीवारों में पड़ी दरारों को देखने सुनने वाला कोई नहीं है। प्रत्येक कॉलम और दीवालों के बीच लम्बी दरारें यह बताने के लिए काफी है कि निर्माण में लापरवाही बरती गई। जानकारों का मानना है कि अगर इस भवन का उपयोग और उसकी मरम्मती जल्द नहीं कराई गई तो भवन जल्द ही जर्जर हो जाएगा।
वर्सन:
भवन निर्माण का कार्य भोपाल के निर्देश में हुआ था, जिसमें वार्ड और कक्षों का निर्माण में मानकों की कमी पाई गई। फिलहाल उसे उपयोग में लाने ऑपरेशन थियेटर व मरीजों की भर्ती के रूप में तैयार किया जा रहा है।
डॉ. एससी राय, सिविल सर्जन जिला अस्पताल अनूपपुर।