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14 सालों से नामांतरण की प्रक्रिया में गुम रेलवे की 9.14 डिसमिल जमीन

locationअनूपपुरPublished: Apr 13, 2019 09:00:32 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

2005 में किसानों से अधिग्रहित की गई जमीन पर तहसील कार्यालय ने रेलवे को नहीं किया नामांतरण

9.14 Dissolved land of missing railway in the process of nomination fo

14 सालों से नामांतरण की प्रक्रिया में गुम रेलवे की 9.14 डिसमिल जमीन

अनूपपुर। अनूपपुर रेलवे विस्तार में वर्ष २००५ में दो दर्जन से अधिक किसानों से अधिग्रहित की गई ९.१४ डिसमिल जमीन को रेलवे १४ वर्ष बाद भी अपने नाम नामांतरित नहीं करा सकी। जिसके कारण अब अंडरब्रिज बाईपास मार्ग से लेकर इंदिरा तिराहा तक फैली ९.१४ डिसमिल जमीन के अधिकांश हिस्सों पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो गया है। जबकि नगरपालिका अनूपपुर ने भी वर्ष २०१५ के दौरान रेलवे की अनुमति बिना दो करोड़ की लागत से ७०० मीटर लम्बी सीसी बाईपास सडक़ बना दी। लेकिन रेलवे के विरोध के बाद सार्वजनिक मार्ग की बात कह रेलवे की जमीन मान ली। इसी आड़ में अब सडक़ के पश्चिमी हिस्से में सीसी मार्ग के बाद बचे जमीन पर दर्जनों अतिक्रमणकारियों ने अपना कब्जा जमा लिया है। बताया जाता है कि रेलवे ने वर्ष १९७० के दौरान यह जमीन किसानों से मुआवजा उपरांत अधिग्रहण किया था। जहां नगरीय क्षेत्र के विस्तार तथा रेलवे के प्रभावित हिस्से को देखते हुए वर्ष २००५ में अमरकंटक तिराहा रेलवे फाटक को बंद कराने का निर्णय लिया। इसमें रेलवे प्रशासन ने अनूपपुर के विस्तारीकरण में लगभग दो दर्जन किसानों से अधिग्रहण किए गए ९.१४ डिसमिल जमीन अधिग्रहण कर किसानों को मुआवजे प्रदान किए और नामांतरण के लिए जिला कलेक्टर सहित तहसील कार्यालय अनूपपुर में आवेदन देकर मामले को सुलझाने की अपील दर्ज कराई। लेकिन मामले में १४ वर्ष बीत जाने के बाद भी न तो जिला प्रशासन और ना ही तहसील अनूपपुर ने प्रकरण पर अपना सुझाव दिया और ना ही नामांतरण की प्रक्रिया पूर्ण की। हाल के दिनों में रेलवे की जमीन पर हुए अतिक्रमण में नगरपालिका ने भी रेलवे की जमीन पर किए गए कब्जा पर अपना दावा बताया। जिसपर रेलवे ने वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में बैठक में शामिल होकर मामले के निराकरण करने के लिए पत्र लिखे। वहीं अंडरब्रिज मार्ग पर हुए कब्जे पर रेलवे ने लोगों को नोटिस जारी करते हुए आरपीएफ से कार्रवाई के निर्देश दिए। उल्लेखनीय है कि वर्ष २००३ में शहडोल से अलग जिले के रूप में अनूपपुर के बनने के १६ बर्ष बाद भी शासन की जमीन को सहेजने के लिए अबतक प्रशासकीय स्तर पर विभागीय अधिकारियों सहित अन्य शासकीय संस्थाओं ने कोई पहल तक नहीं है। जबकि वर्ष २०१० में नगरीय विकास अनूपपुर के विकास में खींचा गया मॉड्यूल नक्शे में शासन की संरक्षित भूमि सहित आरक्षित शासकीय भूमि से अतिक्रमण नहीं हटाया गया। जिससे नाराज तत्कालीन एसडीएम अनूपपुर डीपी वर्मन ने पीडब्ल्यूडी विभाग सहित, रेलवे अनूपपुर व राजस्व क्षेत्र नगरपालिका अनूपपुर के अधिकारियों को भी नोटिस जारी कर सम्बंधित मामले में फिर से आवेदन देने तथा उनके जमीन का नामांतरण करने की कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।
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