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श्रमिकों के साथ प्रशासन और प्रबंधक की बैठक, नौकरी पर वापसी की मांग लिए धरने पर अड़े किसान

locationअनूपपुरPublished: Jan 23, 2021 11:27:55 am

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

10 सदस्यी टीम ने कहा सभी निकाले गए 58 कर्मियों को काम पर हो वापसी, कलेक्टर ने मामले सम्बंधित कॉलरी प्रशासन से मंगाई रिपोर्ट

Administration and manager meeting with workers, farmers adamant on dh

श्रमिकों के साथ प्रशासन और प्रबंधक की बैठक, नौकरी पर वापसी की मांग लिए धरने पर अड़े किसान

अनूपपुर। आमाडांड खुली खदान परियोजना में मजदूरों की भर्ती करने के १३ साल प्रबंधन द्वारा नौकरी से निकाले गए ५८ श्रमिकों के समर्थन में किसानों व गोंगपा सदस्यों के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। नौकरी से निकाले गए मजदूरों के लगातार धरना प्रदर्शन और कॉलरी की प्रभावित हो रही उत्पादन में २२ जनवरी को अपर कलेक्टर सरोधन सिंह मजदूरों के पक्ष में प्रबंधक के साथ बातचीत के लिए पहुंचे। जहां मजदूरों की १० सदस्यी टीम के साथ जिला प्रशासन और कॉलरी प्रबंधन के बीच घंटो बातचीत हुई। जिसमें बैठक में शामिल श्रमिकों ने बिना सभी ५८ कर्मियों की नौकरी पर वापसी धरना समाप्त करने से मनाही कर दी। अपर कलेक्टर द्वारा जानकारी मांगे जाने पर प्रबंधन ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए नौकरी दिए गए लोगों में अपात्र को नौकरी से निकालने जाने की बात रखी। जिसपर यह भी बात सामने आई कि पूर्व में क्लबिंग रूप में आवेदन और नौकरी प्रदान किए गए थे, जिसमें पात्र-अपात्रों की छंटनी नहीं हो सकी थी। वहीं अब इस मामले में कलेक्टर ने प्रबंधन से निकाले गए कर्मियों के सम्बंध में जांच रिपोर्ट मांगी है। अपर कलेक्टर ने बताया कि कलेक्टर के पास जांच रिपोर्ट पहुंच गई है। जिसमें अब कलेक्टर द्वारा यह देखा जाएगा कि प्रबंधन ने नियमों के विरोध में कर्मचारियों को छांटा है या छंटनी के लायक ये कर्मी थे।
बॉक्स: बैठक में रखी अन्य मांग
किसान व प्रशासन की बैठक विफल रही। कोई भी निष्कर्ष नहीं निकल सका। जिससे किसान अनशन के लिए अड़े हुए हैं। और किसानों द्वारा कॉलरी परिसर के मुख्य द्वार को जाम कर दिया गया है। अन्य मांगों में जब तक विस्थापितों को अन्य जगह पर विस्थापित ना कर दिया जाए तब तक मप्र पुनर्वास नीति का पालन किया जाए, निमहा, टिमकीटोला को ना हटाया जाए, ग्राम भलवाही के जिस भूस्वामी के पास जितनी भी जमीन है उसे उतनी ही जमीन में नौकरी दी जाए। ग्रामीणों की जमीन पर कोयला उत्खनन के बाद उस भूमि को समतलीकरण करके किसानों को वापस दी जाए। निकाले गए कामगारों को तत्काल वापस लिया जाए।
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