10 वर्ष बाद भी जिला अस्पताल में टीबी मरीजों के लिए नहीं सुरक्षित वार्ड
सामान्य मरीजों के बीच हो रहा संक्रमित मरीजों का उपचार, १६ जांच केन्द्र भी असुरक्षित

अनूपपुर। एक टीबी का मरीज सालभर में ८-१० लोगों में अपना संक्रमण फैला सकता है और इसकी चपेट में आकर लोग संक्रमण का शिकार बन सकते हैं। बावजूद जिला अस्पताल में चिकित्सकों व प्रबंधकों की अनदेखी में टीबी मरीजों का उपचार सामान्य वार्डो के मरीजों के साथ किया जा रहा है। सुरक्षित वार्ड की सुविधा नहीं होने के कारण टीबी संक्रमित मरीज सामान्य मरीजों तथा अन्य रोगियों के साथ अपना उपचार करा रहे हैं। जिसके कारण सामान्य रोगियों के साथ साथ उनके परिजन भी टीबी संक्रमण का शिकार बन रहे हैं। लेकिन ऐसे संक्रमित मरीजों को अलग उपचार के लिए वार्ड की व्यवस्था नहीं कराई जा रही है। बताया जाता है कि इसके लिए टीबी नोडल अधिकारी द्वारा बार बार वार्ड दिलाए जाने की अपील की जा रही है, लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा इन खतरनाक संक्रमण की अनदेखी कर कोई वार्ड नहीं दिलाया गया है। यहीं कारण है कि अस्पताल प्रशासन की अनेदखी में वर्ष २०१५ के दौरान तीन स्टाफ नर्स टीबी प्रोजिटिव रिपोर्ट की मरीज बनकर सामने आई थी। इसका मुख्य कारण विशेष इलाज की सुविधाओं वाले बर्न वार्ड, कोमा वार्ड, टीबी वार्ड जैसे विशेष गहन कक्ष का अभाव माना गया। डॉक्टरों का कहना है कि टीवी एक संक्रमित रोग है इसकी जानकारी अधिकांश लोगों को नहीं होती है। जिसके कारण परिजन से लेकर आम लोग भी ऐसे रोगियों के सम्पर्क में आते रहते है। क्योंकि यह बीमारी संक्रमित रोगी के सांसों से, उसके छींकने-खखारने से, आसपास उठने बैठने से, यहां तक कि उसके शरीर या सांसों के हवाओं के सम्पर्क में आने से भी दूसरे सामान्य लोग बीमारी के शिकार हो सकते है।
जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल सहित जिलेभर के १२ जांच केन्द्रों में टीबी रोग से ग्रसित मरीजों का उपचार किया जा रहा है। जिसमें वर्ष वर्ष २०१४ मेें ६३१७ लोगों ने अपनी जांच कराई और इनमें ८५८ लोगों का उपचार हुआ, इनमें ५४५ पॉजिटिव पाए गए। वहंी वर्ष २०१५ में यह आंकड़ा ८८४ पहुंच गया है। वर्ष २०१६ में १००७ टीबी के मरीज सामने आए। जबकि वर्ष २०१७ में भी हजार से अधिक आंकड़े आने की सम्भावना जताई गई है। फिलहाल जिला अस्पताल में सुरक्षित वार्ड के अभाव में सामान्य मरीजों के साथ स्टाफ नर्स भी टीबी मरीजों के संक्रमण के साए से भयभीत है।
जमीनी अमले को निर्देश देकर जागरूकता लाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही जिला प्रशासन से भी एक सुरक्षित वार्ड उपलब्ध कराने की अपील की है। अगर वार्ड उपलब्ध हो जाता है तो ऐसे मरीजों को एक स्थान पर रखकर उसका अधिक और बेहतर तरीके से उपचार किया जा सकेगा।
डॉ. आरपी सोनी, टीवी विशेषज्ञ, जिला अस्पताल अनूपपुर।
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