बारिश के बाद इस पहाड़ पर चट्टानें हुई हाईरिस्क, किररघाट मार्ग की 600 मीटर से अधिक चट्टानी हिस्सों के धसकने का खतरा
बारिश में 150-200 मीटर का हिस्सा बहकर गिरा था सडक़ पर, पीडब्ल्यूडी व एमपीआरडीसी विभाग स्थल का कर रहे निरीक्षण
अनूपपुर
Published: July 08, 2022 03:14:44 pm
अनूपपुर। अनूपपुर-राजेन्द्रग्राम के बीच किररघाट के हनुमान मंदिर क्षेत्र के आसपास तेज बारिश के बहाव में ६ जुलाई की दोपहर हुए भूस्खलन और चट्टानों के बहकर नीचे गिरने से किररघाट से अनूपपुर और राजेन्द्रग्राम की आवाजाही पूरी तरह बंद हो गई है। चट्टानों के खिसकने से हनुमान मंदिर के आसपास के सडक़ पर लगभग १०० मीटर के क्षेत्र में जगह जगह चट्टानों के टुकड़े पत्थर के रूप में बिखरे पड़े हैं। जिला प्रशासन ने बुधवार को हुई बारिश और चट्टानों के खिसकने के बाद सुरक्षा एतिहातन में रातभर के लिए यातायात बंद कर दिया था। लेकिन अब इस मार्ग पर आगामी दिनों तक पूर्णत: यातायात बंद होने की आशंकाएं दिखने लगी है। चट्टान खिसकने के बाद दूसरे दिन भी किररघाट मार्ग पर आम नागरिकों की आवाजाही के लिए पूर्णत: बंद रखा गया। बताया जाता है कि जहां चट्टान खिसकी है, वहां लगभग ६०० मीटर का दायरा भविष्य में लैंड स्लाडिंग जैसी स्थिति के रूप में निर्मित हो रही है। या भविष्य में बारिश के कारण खिसक सकती है। जिसमें बुधवार की दोपहर लगभग १५०-२०० मीटर दायरे के ही चट्टान टूटकर नीचे गिरे थे। वहीं घटना के बाद चट्टानों की स्थिति और मार्ग की बहाली को लेकर एमपीआरडीसी और पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों ने क्षेत्र का भ्रमण किया है। सुबह दोनों विभागों के अधिकारी ने मौके स्थल पर गिरे चट्टानों की स्थिति और उपरी हिस्से पर अटकें चट्टानों का वास्तविक आंकलन किया। एमपीआरडीसी सहायक प्रबंधक शहडोल मुकेश बेले ने बताया कि अभी मार्ग को बहाल लेकर कोई निर्णय या प्रशासनिक स्तर पर आदेश जारी नहीं किए गए हैं। जहां चट्टानों का खिसकाव हुआ है, वहां लगभग ६०० मीटर का दायरा प्रभावित दिख रहा है, अगर तेज बारिश होती है और चट्टानोंं के नीचे से मिट़्टी का बहाव बनता है तो यह खतरनाक हो सकता है। जांच पड़ताल के बाद प्रशासनिक अधिकारियों को सूचना देने के बाद आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। विदित हो कि लगभग ५ किलोमीटर पहाड़ी मार्ग के रूप में अनूपपुर-शहडोल को राजेन्द्रग्राम और धार्मिक नगरी अमरकंटक को जोडऩे वाली किररघाट पिछले वर्ष ८ जुलाई २०२१ को तेज बारिश के उपरांत तीन स्थानों से धसक गई थी। चट्टानों के खिसकने के साथ पानी के बहाव में घटना स्थल के आसपास गोफ जैसे एरिया भी बन गए थे। जिसे देखते हुए प्रशासन ने हाईरिस्क मानते हुए आगामी आदेश तक इस मार्ग को पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया था।
सालभर बाद बंद हुआ मार्ग, अब राजेन्द्रग्राम-बैहर मार्ग से आवागमन
इससे पूर्व ८ जुलाई की शाम को किररघाट आम नागरिकों के लिए बंद हुआ था, जो हाईरिस्क होने के कारण मरम्मती उपरांत १५ दिसम्बर २०२१ के बाद पुन: यातायात बहाल हो सका था। लेकिन सालभर बाद अब फिर से इस मार्ग पर यातायात बहाल को लेकर संशय बन गए हैं। चट़्टानों के खतरनाक मोड पर होने के कारण अब विभाग इसे पुन: चालू करनेे की मूड में नहीं दिख रहा है। विभागीय सूत्रों की माने तो बारिश के दौरान इस मार्ग को बंद ही रखा जा सकता है। क्योंकि किररघाट की चट्टान जिंदा चट्टान नहीं है, साथ ही इसके नीचे जमीं मिट्टी गर्मी में अधिक तप कर फैल जाती है और बारिश के दौरान पानी पडऩे पर भूरभूरी होकर पानी के साथ बह जाती है। जिसमें चट्टानों के नीचे से मिट्टी का बहाव होने पर यह लैंड स्लाडिंग का स्वरूप ले लेती है। वहीं प्रशासन ने ६ जुलाई की शाम को ही आदेश जारी कर आवाजाही के लिए वैकल्पिक मार्ग के लिए अनूपपुर-जैतहरी-राजेन्द्रग्राम मार्ग पर यातायात बहाल के निर्देश दिए हैं। हालांकि राजेन्द्रग्राम-बैहारघाट भी तकनीकि खामियों में खतरनाक मार्ग मानी जाती है। जिसमें पिछले वर्ष लगभग आधा दर्जन बस व छोटी वाहन के हादसे घटित हुए थे, इसमें कई की जान भी गई थी।
टूटा सीधा सम्पर्क, लोगों की बढ़ी परेशानी
फिलहाल अनूपपुर से किररघाट होकर राजेन्द्रग्राम और अमरकंटक आने वाला मार्ग अब बंद हो गया है। जिसके कारण यहां से दोनों दिशाओं की ओर गुजरने वाली वाहनों के साथ यात्रियों की परेशानी बढ़ गई है। वैकल्पिक मार्ग अधिक घूमावदार होने के कारण वाहन चालकों को अधिक दूरी तय कर राजेन्द्रग्राम या अमरकंटक आना जाना पड़ेगा। वहीं अनूपपुर से राजेन्द्रग्राम जाने वाले लोगों को भी वैकल्पिक मार्ग ही एक मात्र आवाजाही का मार्ग होगा। ग्रामीणों को बस से आवागमन में पैसे के साथ दिनभर का समय व्यतीत हो जाएगा। जबकि राजेन्द्रगाम और उससे लगे सैकड़ो गांव फिर व्यापारिक दृष्टि से अधिक प्रभावित हो जाएगा। जबकि दो साल कोरोना महामारी से अस्त-व्यस्त रही धार्मिक नगरी अमरकंटक एक बार फिर श्रद्धालुओं की कमी से खलेगा।
वर्सन:
घटना के बाद मैंने भी किरर घाट का निरीक्षण किया है । इसमें पीडब्ल्यूडी और एमपीआरडीसी अधिकारियों को निरीक्षण कर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं ।प्रतिवेदन के आधार पर आगे मार्ग बहाल करने पर निर्णय लिया जाएगा।
सोनिया मीणा कलेक्टर अनूपपुर।
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अभी मार्ग को पुन: बहाल करने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिए गए हैं। किररघाट के घटना स्थल पर लगभग ६०० मीटर का एरिया प्रभावित हुआ है। पीडब्ल्यूडी और एमपीआरडीसी अधिकारियों के निरीक्षण के उपरांत आगे की कार्ययोजना तय की जाएगी।
मुकेश बेले, सहायक प्रबंधक मप्र सडक़ विकास निगम लिमिटेड शहडोल।
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बारिश के बाद इस पहाड़ पर चट्टानें हुई हाईरिस्क, किररघाट मार्ग की 600 मीटर से अधिक चट्टानी हिस्सों के धसकने का खतरा
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