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अमरकंटक पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक हैं पोषक तत्व, मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड बनवाकर ज्यादा उपज पा सकते हैं किसान

locationअनूपपुरPublished: Jan 17, 2019 08:38:04 pm

Submitted by:

shivmangal singh

अमरकंटक पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक हैं पोषक तत्व, मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड बनवाकर ज्यादा उपज पा सकते हैं किसान

Amarkantak hill areas have more nutrients, soil health card can produc

अमरकंटक पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक हैं पोषक तत्व, मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड बनवाकर ज्यादा उपज पा सकते हैं किसान

आईजीएनटीयू केवीके में नि:शुल्क होती है जांच, 200 किसानों ने उठाया लाभ
अनूपपुर। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के तत्वावधान में किसानों को उनकी मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देकर आवश्यक पोषक तत्वों को संतुलित बनाने के लिए वैज्ञानिक जानकारी दी जा रही है। अभी तक अनूपपुर के विभिन्न ग्रामों के लगभग 260 सैंपल लेकर दो सौ किसानों को उनकी मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों के बारे में उपयोगी वैज्ञानिक जानकारी प्रदान की जा चुकी है। मृदा स्वास्थ कार्ड केन्द्र सरकार की योजना है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक किसान को खेत की मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्रदान करना है जिससे किसान को मिट्टी में उपस्थित पोषक तत्वों की कमी, अधिकता एवं उपलब्धता के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। इस कार्ड में 12 मानक होते हैं जिनमें मृदा पीएच, मृदा चालकता, जैविक कार्बन प्रतिशत, नत्रजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सल्फर, आयरन, बोरान, जिंक, कॉपर, मैगनीज आदि शामिल हैं। मृदा परीक्षण से मृदा में उपस्थित पोषक तत्वों की एक निश्चित गणनात्मक मात्रा बताई जाती है जिसके आधार पर रासायनिक खादों की एक निर्धारित मात्रा अनुशंसित की जाती है। अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ विकासखंड के 13 ग्रामों लालपुर, बहपुरी, पोंडी, भेजरी, पोंडकी, फर्रीसेमर, दमगढ, बरसोत, हर्राटोला, पमरा, बिजौरी एवं नोनघटी आदि में अभी तक किसानों के खेतों के 260 मृदा नमूने एकत्रित किए गए है। यहां पर मिनी मृदा परीक्षक कीट के द्वारा मृदा वैज्ञानिक डॉ. अनीता ठाकुर ने 260 नमूनों का परीक्षण किया, जिसके आधार पर 200 किसानों के मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाए गए है। नमूनों में मृदा पीएच 6.02 से 7.00 के बीच पाया गया जो कि थोड़ी अम्लीयता दर्शाता है। जबकि अधिकतर नमूनों में नत्रजन एवं पोटाश की कमी पाई गई है। नत्रजन एवं पोटाश दोनों ही प्रमुख पोषक तत्व होते है इनकी कमी के कारण फसल पौधों की बढ़वार रूक जाती है। नत्रजन की कमी के कारण पौधे पीले पड़ जाते है। बढ़वार रूक जाना एवं फूलों का न बनना भी इसी समस्या का परिणाम है। जिससे पैदावार में कमी आती है। ठीक इसी प्रकार पोटैशियम की कमी के कारण पौधों के तने कमजोर होकर गिर जाते हैं एवं फलों का सिकुडऩा प्रारंभ हो जाता है जिसके कारण उपज में गिरावट आती है। इसके अलावा पहाड़ी या जंगलों से घिरे हुए गांवों जैसे भेजरी, बहपुरी, फर्रीसेमर एवं दमगढ़ के मृदा नमूनों में जैविक कार्बन की मात्रा 0.5 से 1.2 प्रतिशत तक पाई गई। जिसके कारण मृदा में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है जो कि मृदा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इससे भूमि की जल धारण करने की क्षमता में वृद्धि होती है इसके अलावा यह नत्रजन को भी बढ़ाता है। इसके साथ मृदा में उपस्थित सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ती है जैसे कि बैक्टीरिया, स्यूडोमोनास एवं फंगई जो कि फसलों को पोषक तत्व उपलब्ध कराने में मदद करते हैं। कृषि विज्ञान के द्वारा किसानों को मृदा स्वास्थ कार्ड बनाकर उन्हें मृदा स्वास्थ के प्रति जागरूक कराया जा रहा है। डॉ. ठाकुर ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे अधिक से अधिक संख्या में नि:शुल्क मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाकर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।

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