अनूपपुर-राजेन्द्रग्राम के बीच किररघाट बहुत संवेदनशील क्षेत्र है. यहां के हनुमान मंदिर क्षेत्र के आसपास तेज बारिश में 6 जुलाई को जबर्दस्त भूस्खलन हुआ. चट्टानों के बहकर नीचे गिरने से किररघाट से अनूपपुर और राजेन्द्रग्राम की आवाजाही पूरी तरह बंद हो गई। चट्टानों के खिसकने से सडक़ पर करीब 100 मीटर क्षेत्र में जगह—जगह चट्टानों के टुकड़े बिखर गए थे। चट्टानों के लगातार खिसकने के बाद सुरक्षा के नजरिए से यहां से जिला प्रशासन ने यातायात बंद कर दिया। बताया जाता है कि करीब 600 मीटर का दायरा बहुत खतरनाक हो चुका है. यहां कभी भी लैंड स्लाइडिंग जैसी स्थिति निर्मित हो सकती है। बारिश के कारण चट्टानें खिसक सकती हैं।
एमपीआरडीसी के अधिकारियों ने भी निरीक्षण के बाद कहा कि इस इलाके में तेज बारिश से चट्टानोंं के नीचे से मिट़्टी खिसक सकती है जोकि बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। चट़्टानों के खतरनाक मोड पर होने के कारण अब विभाग इसे अभी पुन: चालू करनेे के पक्ष में नहीं दिख रहा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार बारिश में तो इस मार्ग को बंद ही रखा जा सकता है।
प्रशासन ने वैकल्पिक मार्ग के रूप में अनूपपुर-जैतहरी-राजेन्द्रग्राम मार्ग पर यातायात बहाल के भी निर्देश दिए हैं। इधर विधायक फुंदेलालसिंह ने अनूपपुर-शहडोल को राजेन्द्रग्राम और अमरकंटक से जोडऩे वाले किररघाट मार्ग को चालू करने की बात कही है. इसके लिए उन्होंने कलेक्टर कार्यालय का घेराव भी किया. विधायक ने समर्थकों के साथ प्रदर्शन करते हुए मार्ग को जल्द से जल्द प्रारंभ किए जाने की मांग की। यह करीब 5 किलोमीटर लंबा पहाड़ी मार्ग है. अनूपपुर-शहडोल को राजेन्द्रग्राम और अमरकंटक को जोडऩे वाले किररघाट में पिछले साल भी चट्टानें धसकीं थीं।