पंद्रह साल से कीचडय़ुक्त सडक़ से गुजरने को विवश बैगा समुदाय
अनूपपुरPublished: Aug 05, 2019 04:00:30 pm
स्कूली बच्चों सहित आधा दर्जन गांवों के ग्रामीणों को रोजाना परेशानियों का करना पड़ता है सामना
पंद्रह साल से कीचडय़ुक्त सडक़ से गुजरने को विवश बैगा समुदाय
अनूपपुर। अनूपपुर जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत कदमटोला का पाठटोला पिछले पंद्रह साल से कीचडय़ुक्त सडक़ में तब्दील है। पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा वर्ष २००४-०५ में बीएमसी सडक़ का निर्माण कराई थी। जिसमें विभाग ने नेशनल हाईवे ४३ से गांव के अंत छोर लगभग डेढ़ किलोमीटर तक गिट्टी बिछाकर छोड़ दिया था। इसके बाद इस सडक़ पर आजतक न तो ग्राम पंचायत और ना ही पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा सडक़ का निर्माण कराया गया। हालात यह है कि डेढ़ किलोमीटर लम्बी सडक़ चंद स्थानों को छोडक़र पूरी तरह बड़े बड़े गड्ढे व उसमें बारिश के पानी से बने कीचड़ के रूप में तब्दील है। ग्रामीणों का कहना है कि इस सम्बंध में अनेक बार ग्राम पंचायत जनप्रतिनिधियों से सडक़ निर्माण की अपील की गई। यहंा तक जनसुनवाई के दौरान भी आवेदन देकर प्रशासन से सडक़ की मांग की गई। लेकिन आजतक किसी ने सडक़ निर्माण तो दूर गांव की सुधी तक नहीं ली। जबकि नेशनल हाईवे ४३ से जुड़े होने के कारण इस मार्ग से बोकराही बस स्टंैंड, बरकाटोला, गोटीटोला, अमलई रोड तथा बड़टोला के ग्रामीणों की दिन-रात आवाजाही बनी रहती है। ग्राम पंचायत होने के कारण यहां प्राथमिक स्कूल से लेकर हाई स्कूल की कक्षाएं संचालित होती है, जिसमें शिक्षा ग्रहण करने पांच सैकड़ा से अधिक बच्चे पाठटोला सहित आसपास के गांवों से आते हैं। लेकिन एक मात्र पाठटोला सडक़ होने के कारण इसी जर्जर और बदहाल सडक़ से आवाजाही करना उनकी विवशता है। बताया जाता है कि पाठटोला गांव में मुख्य रूप से बैगा समुदाय की जनजाति निवासरत है। गांव की आबादी लगभग ४०० से अधिक है। पूर्व में नेशनल हाईवे ४३ से जुड़े गांव के बावजूद अविकसित होने के कारण पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा बीएमडब्ल्यू सडक़ का निर्माण औने पौने रूप में की थी। लेकिन बाद में यह पाठटोला आधा दर्जन गांवों का मुख्य सम्पर्क मार्ग बन गया, जहां गांव में विकास की गति बढ़ी, सडक़ का दायरा और हालात नहीं बदले।
बॉक्स: प्रशासनिक उपेक्षा में स्कूली बच्चे परेशान
आदिवासी प्रदेश के बावजूद बैगा समुदाय सडक़ और बिजली की सुविधा से वंचित है। शासन ने प्राथमिकता के आधार पर बैगा विकास परियोजना में उन्हें समाज से जोडऩे पर जोर दिया। लेकिन पाठटोला गांव आज भी सडक़ और बिजली जैसी असुविधा से जूझ रहा है। गांव के अंतिम छोर पर बसे आधा दर्जन घर बिजली के कनेक्शन से दूर है। जबकि गांव में संचालित स्कूलों तक पहुंच मार्ग बेहतर नहीं होने के कारण बच्चों को परेशानियों के बीच शिक्षा ग्रहण करना पड़ रहा है।
वर्सन:
इस्टीमेट तैयार किया जा रहा है, अभी स्वीकृति प्रदान नहीं हुई है। जल्द ही सडक़ का निर्माण कराया जाएगा
बुद्धू सिंह, सरपंच कदमटोला अनूपपुर।