नदी के तेज बहाव में क्षतिग्रस्त पुल तलहटी में बैठा, दर्जनों गांव का आवागमन बंद
अनूपपुरPublished: Feb 24, 2020 09:51:31 pm
सूचना बाद भी मौके पर नहीं पहुंचे जिम्मेदार, 100 डायल वाहन जवान ग्रामीणों को रोकने रहे असमर्थ
नदी के तेज बहाव में क्षतिग्रस्त पुल तलहटी में बैठा, दर्जनों गांव का आवागमन बंद
अनूपपुर। जिला मुख्यालय अनूपपुर से फुनगा के दर्जनों गांव को जोडऩे वाली तिपान नदी पर बना ६० मीटर लम्बा पुल ७ अक्टूबर २०१९ से धंसकने के उपरांत २४ फरवरी को नदी के तेज बहाव में पूरी तरह क्षतिग्रस्त नदी की तलहटी में बैठ गया। अबतक पुल का बेस सूखे रेत के टीले पर अटका था, लेकिन पिछले दो दिनों से जिले में हुई तेज बारिश के उपरांत नदी में बने तेज बहाव में रेत का ओट भी खिसक गया और पुल का पाया आधा से अधिक नदी में समा गया। पुल के क्षतिग्रस्त होने पर जहां आसपास के गांवों के ग्रामीण चिंतित रहे, वहीं घटना की सूचना के बाद जलसंसाधन विभाग सहित अन्य विभागीय जिम्मेदारों ने मौके पर पहुंचकर सुरक्षा सम्बंधित कोई व्यवस्था नहीं बनाई। हालांकि इस क्षतिग्रस्त पुल पर कुछ युवाओं सहित अंजान ग्रामीणों की आवाजाही जारी रही, जिसकी सूचना पर मौके पर पहुंची १०० डायल वाहन के जवान ग्रामीणों की आवाजाही रोकने में असफल रहे। पुल का लगभग ४० फीट हिस्सा ५-६ फीट नीचे धसक गया है। आशंका है कि एकाध दिनों में पुल का ४० फीट हिस्सा नदी में नेस्ताबूत हो जाएगी। बावजूद इतनी बड़ी घटना के बाद भी जिला प्रशासन सुरक्षा को लेकर गम्भीर नहीं है। क्षतिग्रस्त पुल से ग्रामीणों की आवाजाही अब भी बनी हुई है। ७ अक्टूबर को पुल के क्षतिग्रस्त होने तथा ८ को पत्रिका में छपी खबर के बाद जिला प्रशासन ने आनन फानन में एसडीएम अनूपपुर को पुल पर आवाजाही बंद करने के निर्देश दिए। जिसमें एसडीएम ने कागजी आदेश जारी कर ६ विभागा प्रमुखों को कार्रवाई व जन प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी सौंपते हुए २ माह तक आदेशों के तामिली के आदेश जारी किए हैं। लेकिन आश्चर्य आदेश के प्रथम दिन से ही पुल की सुरक्षा को लेकर किसी विभाग ने गम्भीरता नहीं दिखाई और हालात यह रहे कि पिछले पांच माह के दौरान इस क्षतिग्रस्त से ग्रामीणों की आवाजाही बनी रही और जिला प्रशासन पुल को लेकर बेखबर रहा। वहीं पुलिस भी बेरीकेट लगाकर दोबारा देखने तक नहीं पहुंची। उल्लेखनीय है कि जलसंसाधन विभाग द्वारा वर्ष २००९ में १ करोड़ २७ लाख की लागत से पुल का निर्माण कराया गया था। लेकिन अचानक ७ अक्टूबर २०१९ की दोपहर ८ खम्भों सहित पुल का लगभग ४० फीट हिस्सा दरारों में तब्दील होकर धीरे-धीरे ४-५ फीट तक नीचे धंसक गया था। पुल का उपयोग हर्री, बर्री, भगताबांध, पसला, बिजौड़ी, चातरहिया, रक्शा, कोलमी, अमगंवा, छुलकारी से लेकर फुनगा तक के हजारों ग्रामीणों द्वारा किया जाता था। लेकिन अब क्षतिग्रस्त पुल के कारण इन ग्र्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
बॉक्स: ६ प्रमुखों के नाम आदेश जारी, एक भी नहीं उपस्थित
एसडीएम अनूपपुर द्वारा जारी आदेश में जलसंसाधन विभाग जैतहरी को क्षतिग्रस्त पुल के दोनों ओर बेरिकेटिंग कर मार्ग को अवरूद्ध करने, वाहनों की आवाजाही बंद करने, साथ ही दोनों छोर पर सूचना प्रदर्शित करने को कहा गया। जबकि कोतवाली थाना प्रभारी को जवानों को तैनात कर निर्देश के पालन कहे गए हैं। वहीं आरटीओ को आदेश के उल्लंधन करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई करने, तहसीलदार एवं सम्बंधित अधिकारियों को आदेश के प्रचार प्रसार, सीईओ जैतहरी को क्षेत्र के सचिव और रोजगार सहायक के माध्यम से सुबह शाम मुनादी के माध्यम से जानकारी देने को कहा गया। वहीं नगरपालिका अनूपपुर को निर्देशों के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी दी गई थी। साथ ही कहा गया कि यह आदेश आगामी ८ माह तक प्रभावी रहेगी। लेकिन आश्चर्य पुल की सुरक्षा में कोई भी अधिकारी मैदान में नहंी उतरे, नहीं कोई सूचना प्रसार कराया गया।
बॉक्स: ३५ फीट गहराई में है हार्ड रॉक
वर्ष २००९-१० के दौरान निर्माण से पूर्व विभाग द्वारा तकनीकि रूप में किए गए सर्वेक्षण में नदी के नीचे लगभग ३५ फीट गहराई में हार्ड रॉक होने की जानकारी देते हुए निर्माण से मनाही कर दी थी। लेकिन बाद में ग्रामीणों की मांग पर शासन के निर्देश में नदी के रेत पर मात्र सात फीट गहराई पर ही टाईबीम के रूप में बेस तैयार कर वर्ष २००९ में १ करोड़ २७ लाख की लागत से पुल का निर्माण कराया गया था। जिसकी लम्बाई लगभग ५५-६० मीटर थी। पुल आम व्यक्तियों के लिए वर्ष २०१० में खोला गया था। निर्माण के दौरान ही इंजीनियरों ने यह बात स्पष्ट कर दी थी कि नदी की रेत पर निर्मित इस पुल के नीचे से बहने वाली नदी की धार में रेत की कटाई से पुल अधिक लम्बे समय टिक नहीं पाएगा और जल्द क्षतिग्रस्त हो जाएगा। तिपान नदी पर जहां वर्तमान में पुल निर्मित है वहां एक किलोमीटर की लम्बाई में रेत की ही सिर्फ चादर बिछी है।
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