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कॉलरी भू-प्रभावित किसानों ने बुलाई बैठक, 25 जनवरी को एसडीएम व कॉलरी के साथ बातचीत करने लिया निर्णय

locationअनूपपुरPublished: Jan 20, 2019 09:16:05 pm

Submitted by:

shivmangal singh

कॉलरी भू-प्रभावित किसानों ने बुलाई बैठक, 25 जनवरी को एसडीएम व कॉलरी के साथ बातचीत करने लिया निर्णय

Callari land-affected farmers convened meeting, 25th January, the deci

कॉलरी भू-प्रभावित किसानों ने बुलाई बैठक, 25 जनवरी को एसडीएम व कॉलरी के साथ बातचीत करने लिया निर्णय

लिखित आश्वासन की रखेेंगे मांग, नहीं तो २५ जनवरी से होगा उग्र आंदोलन
अनूपपुर। एसईसीएल अंतर्गत हसदेव के क्षेत्र में कोल उत्खनन विस्तार के लिए वर्ष २०१२ में चार गांवों कुरजा, दलदल, पडरीपानी तथा रेउंदा में २३१ किसानों से अधिग्रहित की गई १८८ हेक्टेयर भूमि के बदले प्रभावित किसानों को अबतक मुआवजा सहित करारनामें तहत दी जाने वाली अन्य सुविधाओं के नहीं मिलने से फिर से चारों गांव के किसानों में कॉलरी व प्रशासन के विरोध की आवाज सुगबुगाने लगी है। जहां २० जनवरी को प्रभावितों किसानों ने एक बैठक आयोजित कर प्रशासनिक व्यवस्था के तहत मुआवजा और अन्य मांगों की पूर्ति की रणनीति तैयार की है। २० जनवरी को कोरजा में लगभग सैकड़ा भर किसानों ने बैठक आयोजित कर सभी किसानों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि २५ जनवरी को एसडीएम कोतमा, कॉलरी प्रबंधन अधिकारियों व प्रभावित किसानों के बीच बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें किसान एक सप्ताह के अंदर कॉलरी प्रशासन से मुआवजा देने प्रशासन से अपील करेगी। इस दौरान प्रशासन के समक्ष अगर कॉलरी प्रबंधन समस्त प्रभावित किसानों को मुआवजा देने के लिए लिखित आश्वासन नहीं देती है तो समस्त किसान २५ जनवरी के बाद उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे, जिसकी समस्त जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। प्रभावित किसान कमलेन्द्र आर्मो का कहना है कि पूर्व वर्ष में भी प्रभावित किसानों को प्रशासन ने कॉलरी प्रबंधन के साथ वार्ता कर मुआवजा प्रदान करने आश्वस्त किया था। इसमें जिला कलेक्टर ने दो बैठके बुलाकर कॉलरी प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन से समस्याओं के निराकरण करने के निर्देश दिए थे। गांवों में किसानों का पक्ष सुनने प्रशासनिक स्तर पर सभाएं भी हुई। लेकिन आजतक कॉलरी प्रबंधन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जबकि पूर्व में प्रभावित किसानों ने आत्मदाह करने की चेतावनी देते हुए प्रशासन को निर्धारित तिथियां भी दी थी, जिसपर प्रशासन ने चालाकी दिखाते हुए अंतिम दिन आत्मदाह जैसे कदम को रोकते हुए बातचीत के माध्यम से समस्या निदान का आश्वासन दिया। लेकिन अब प्रशासन के साथ साथ कॉलरी प्रबंधन भी बेसुध हो गई है। किसानों के अनुसार चार गांवों के किसानों द्वारा बार बार अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया। जिला प्रभारी मंत्री ने भी किसानों के साथ छल करते हुए तीन बार बैठक बुलाई, लेकिन कभी बैठक में शामिल नहीं हुए। वहीं कॉलरी की तर्ज के अनुसार मुआवजे पर किसान तैयार नहीं हुए। इस प्रक्रिया में अबतक पूरा ६ साल बीत गया है।
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