हरियाली की जगह गाजरघास का कब्जा

ayazuddin siddiqui | Publish: Sep, 10 2018 05:27:18 PM (IST) Anuppur, Madhya Pradesh, India
सफाई में नगर परिषद की अनदेखी
अमरकंटक. पर्यटक नगरी तथा पवित्रनगरी का दर्जा प्राप्त अमरकंटक की वादियां अब जंगली गाजरघास से अटी पड़ी है। जिसकी सफाई में नगरपरिषद अमरकंटक के सफाई कर्मचारियों सहित अधिकारियों की भी अनदेखी बनी हुई है। जबकि नर्मदा मंदिर दर्शन के साथ अन्य धार्मिक स्थलों को देखने हजारो की तादाद में रोजाना पर्यटक आते हैं। इसके अलावा अमरकंटक में कई स्थानों पर श्रेष्ठ शिक्षण संस्थान भी संचालित हैं।
माता नर्मदा के दर्शन बारहो मास भक्त अमरकंटक पहुंचते हैं, बावजूद नर्मदा के तटों के साथ मुख्य धार्मिक स्थलों के आसपास जंगली गाजर घास सहित अन्य झाड़ फानुस उगे हुए हैं। गाजर घास के फूलने-फलने तथा बीज अकुरित होने का समय आ गया है, अगर इन गाजर घासों को अभी साफ नहीं किया गया तो आगामी वर्ष यह इससे से भी अधिक तादाद में नमर्दा के तटों पर उगेगी और आसपास के वातावरण को प्रभावित करेगी। नगर के पार्षद और नगरीय प्रशासन इन जंगलों की अनदेखी किए हुए हैं, इससे अमरकंटक की सौन्दयर्ता पर ग्रहण लगता जा रहा है। हालांकि पिछले कई वर्षो से गाजर घास को हटाने के लिए वार्ड पार्षदों को जिम्मेदारी देकर हटाने का कार्य कराया जाता रहा है। लेकिन इस वर्ष नगर परिषद गाजर घास हटाने के प्रति गम्भीर नहीं है। जिसके कारण अमरकंटक की समस्त १५ वार्डो सहित नदीतटा व धार्मिक स्थल के आसपास गाजर घास लहलहा रही है।
पुरातत्व विभाग मार्ग के दोनों छोर सहित इन्द्रदमन तालाब सहित अन्य मार्ग गाजरघास से भरी पड़ी है। नगर परिषद के कर्मचारी साफ सफाई के लिए नियुक्त हैं उनका यह कार्य है कि इसकी सफाई कराए। गाजर घास से नर्मदा प्रवाह को भी अवरूद्ध कर रही है। वहीं मंडलम उपाध्यक्ष मनोज जैन का कहना है कि हर वर्ष गाजर घास निकलवाई जाती थी तो इस वर्ष भी निकाला जाना चाहिए था। बताया गया कि गाजरघास न निकलवाने की वजह से एक तो मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है, वहीं गंदगी भी इस जगह को प्रदूषित कर रही है। लोगों को यहां आने जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं लोग बीमारी की चपेट में भी आ रहे हैं। गाजरघास के फूल से इंसानी जीवन को अत्यधिक खतरा होता है। इसके सम्पर्क में आने से लोगों को कई तरह के त्वचा रोग होने का भी खतरा बढ़ जाता है।
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