अनूपपुर। कटनी से चांडिल्य तक बनाए गए राष्ट्रीय राजमार्ग 43 के निर्माण के दौरान कोतमा और उससे सटे आसपास के ग्रामों के 31 किसानों की भूमि के भू-अर्जन में नया खुलासा सामने आया है, जिसमें अपर कलेक्टर द्वारा की जा रही जांच पड़ताल में यह बात सामने आई है कि भू-अर्जन के दौरान तत्कालीन अधिकारियों ने बिना किसी नक्शा तरमीम, और सीमांकन कार्य कराए मुआवजा रािश की सूची में किसानों के नाम शामिल कर दिए। जिसमें एक ही भूखंड में शामिल कई बटांक में शामिल किसानों में किसके नाम की जमीन भूअर्जित की गई है और किसके नाम मुआवजा की राशि वितरित होगी, कोई जानकारी नहीं है। यहां तक कि अधिकारियों द्वारा किए गए भू-अर्जन प्रक्रिया में किसानों से ली गई जमीनों का सडक़ के हिस्से में बिना शामिल किए सडक़ निर्माण का कार्य पूरा करवा दिया। हालात अब तक यह बने हुए है कि किसानों से ली गई जमीन और बनी सडक़ के नक्शे में सम्बंधित जमीन का सीमांकन तक शामिल नहीं किया गया है। जिसे देखते हुए अपर कलेक्टर ने राजस्व विभाग और एमपीआरडीसी विभाग को नोटिस जारी कर भू-अर्जन में बरती गई त्रुटि को सुधार का उसकी रिपोर्ट मांगी है। जिसमें विभागीय अधिकारियों द्वारा जल्द ही कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। अपर कलेक्टर सरोधन सिंह ने बताया कि यह त्रुटि वर्ष २०१६ से अब तक भू-अर्जन की प्रक्रिया में खामी बनी हुई है। जिसके कारण किसान वर्ष 2018 से ही शिकायत कर रहे हैं कि सिर्फ 2 किसानों को ही अवार्ड का भुगतान किया गया है, शेष 29 को भटकाया जा रहा है। विदित हो कि २०१५-१६ के दौरान कटनी से चांडिल्य तक सीसी सडक़ नेशनल हाइवे ४३ का निर्माण कार्य कराया गया, जहां शासन द्वारा सडक़ किनारे आने वाले कुछ किसानों से भू-अर्जन की प्रक्रिया पूरी कराते हुए मुआवजा वितरण कर सडक़ बनाया गया। लेकिन इस दौरान अधिकारियों ने कोतमा एवं उससे सटे क्षेत्र में बिना जमीनों को सीमांकन, नक्शा मिलान और वास्तविक किसानों की सूची तैयार किए मुआवजा राशि की सूची तैयार कर दी। इसमें लगभग २ करोड़ ३२ लाख रूपए का मुआवजा भी आवंटन हुआ। लेकिन अब तक मात्र २ किसानों के नाम मुआवजा की राशि वितरित हुई, शेष मुआवजा से वंचित रह गए। बॉक्स: भूमि सम्बंधित फाइल हो गई गायबकिसानों की शिकायत के बाद इस मामले में जब प्रशासन द्वारा खोजबीन आरंभ की गई तो पता चला की एसडीएम कोतमा कार्यालय से फाइल गुम हो गई है। इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर द्वारा एसडीएम कोतमा के रीडर को निलंबित कर दिया गया था। कलेक्टर कार्यालय से पहले एसडीएम के रीडर को नोटिस जारी हुई तो उन्होंने बताया कि फाइल मिली ही नहीं। इस मामले में 5 पटवारियों को नोटिस जारी की गई थी। जिसमें 2 पटवारियों ने कहा कि उनके द्वारा एसडीम कार्यालय में दस्तावेज जमा किए गए थे। कृषि भूमि संबंधी दस्तावेज एसडीएम कार्यालय में उपलब्ध ही नहीं है जिसके आधार पर प्रभावित किसको को अवार्ड का भुगतान किया जाना है।बॉक्स: ३ साल से मुआवजा के लिए परेशान किसानइस पूरे प्रकरण में जहां अधिकारियों की लापरवही में किसान परेशान है, वहीं उनके मुआवजा का वितरण भी अटका पड़ा है। वर्ष २०१८ से अब तक किसान मुआवजा राशि के लिए विभागीय कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन मुआवजा सम्बंधित फाइल के अभाव में वितरण का कार्य बंद है। वहीं अब अपर कलेक्टर द्वारा मामले की जांच आरंभ कर जानकारी कमिश्नर को भेजा है। वर्सन:इस मामले में राजस्व विभाग एवं एमपीआरडीसी अधिकारी को नोटिस जारी किया गया है। जिसमें कार्रवाई कर रिपोर्ट मांगी गई है। सरोधन सिंह, अपर कलेक्टर अनूपपुर।[typography_font:18pt;” >———————————————–