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फसलों की चिंता: कृषि विभाग ने टिड्डी के जिले में प्रवेश की जारी की चेतावनी

locationअनूपपुरPublished: May 30, 2020 09:32:25 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

अधिकारियों से ध्वनि विस्तारक यंत्र, ढोल, मांदल थाली बजाकर टिड्डी दल को रोकने दिए निर्देश

Concerns about crops: Agriculture department issued warning to enter g

फसलों की चिंता: कृषि विभाग ने टिड्डी के जिले में प्रवेश की जारी की चेतावनी

अनूपपुर। इरान से चला टिड्डी दल प्रदेश के अनेक जिलों से होता हुआ अब अनूपपुर जिले के सटे क्षेत्र उमरिया तक अपनी दस्तक दे चुका है। जिसके एकाध दिनों में अनूपपुर में पहुंचने की सम्भावना को देखते हुए कृषि उपसंचालक एनडी गुप्ता ने जिलेभर के लिए चेतावनी जारी कर दी है। उपसंचालक ने बताया कि पड़ोसी जिलों में टिड्डी दल का प्रवेश होने की सूचना है और यह दल हवा के बहाव के साथ अपने जिले में किसी भी समय प्रवेश कर सकता है। जो जिले के किसानों की फसल सब्जी की फसल, फलदार पौधों एवं अन्य वानस्पतिक संपत्ति को नष्ट कर देते है। दल के सदस्यों की संख्या अत्यधिक होती है तथा यह कई किलोमीटर के क्षेत्रफल में एकसाथ नुकसान करने में समर्थ होते है। इनके प्रवेश करते ही इनका उपचार तथा रोकथाम करना आवश्यक है। इसके लिए समय पर सूचना मिलनी आवश्यक है। जिसकी जिम्मेदारी ग्रामीण कृषक किसान मित्र, पंच, सरपंच, रोजगार सहायक, पंचायत सचिव, पटवारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, उद्यान विभाग, वन विभाग, पशु चिकित्सा विभाग या अन्य सभी विभागीय ग्रामीण कर्मचारी अधिकारी के माध्यम से प्राप्त होनी आवश्यक होगी, ताकि समय पर कार्रवाई करते हुए नुकसान से बचा जा सके। उपसंचालक कृषि ने सभी वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी को अनूपपुर, जैतहरी, कोतमा और पुष्पराजगढ़ विकासखंड की सूचना देते हुए ध्वनि विस्तारक यंत्र, ढोल, मादर, थाली बजाकर टिड्डी दल को रोकने के निर्देश दिए हैं। साथ ही ग्राम पंचायतों में किसान या ग्रामीणों को टिड्डी दल के आने की सूचना तत्काल देने की अपील की है। ताकि नुकसान को रोका जा सके। उप संचालक ने बताया कि टिड्डी दल हवा की गति अनुसार लगभग 100-150 किमी प्रति घंटा की गति से उड़ सकती हैंं। टिड्डा टिड्डी दल फसलों को नुकसान पहुंचाने वाला कीट है जो कि समूह में एक साथ चलता है और बहुत लम्बी-लम्बी दूरियों तक उड़ान भरता है। यह फसल को चबाकर, काटकर खाने से नुकसान पहुंचाता है।
बॉक्स: परम्परागत विधि और रसायनिक विधि से करे बचाव
इसके नियंत्रण के लिए टोली बनाकर विभिन्न तरह के परम्परागत उपाय जैसे शोर मचाकर तथा ध्वनि वाले यंत्रो को बजाकर, टिड्डियों को डराकर भगा सकते हैं। मांदल, ढोलक, ट्रैक्टर बाइक का सायलेंसर, खाली टीन के डिब्बे, थाली इत्यादि से भी सामूहिक प्रयास से ध्वनि की जा सकती है। ऐसा करने से टिड्डी नीचे नहीं उतरता है। रासायनिक नियंत्रण में सुबह से कीटनाशी दवा जैसे क्लोरपॉयरीफॉस 20 ईसी 1200 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8 ईसी 600 मिली अथवा लेम्डाईलोथिन 5 ईसी 400 मिली, डाईफ्लूबिनज्यूरॉन 25 डब्ल्यूटी 240 ग्राम प्रति हेक्टेयर 600 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करें। सामान्यत: टिड्डी दल का आगमन शाम को लगभग 6 बजे से 8.00 बजे के मध्य होता है तथा सुबह 7.30 बजे तक दूसरे स्थान पर प्रस्थान करने लगता है। ऐसी स्थिति में टिड्डी का प्रकोप हाने पर बचाव के लिए उसी रात्रि में सुबह 3 बजे से लेकर 7.30 बजे तक उक्त विधि से टिड्डी दल का नियंत्रण किया जा सकता है।
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