कोरोना: उपचुनाव में चोंगा और भोंपू का नहीं जोर, जनप्रतिनिधियों सहित कार्यकर्ताओं का दल पहुंच रहा गांव गांव
अनूपपुरPublished: Oct 24, 2020 09:23:50 pm
मतदाताओं में उपचुनाव को लेकर नहीं उत्साह भी प्रत्याशियों को दे रहा टशन
कोरोना: उपचुनाव में चोंगा और भोंपू का नहीं जोर, जनप्रतिनिधियों सहित कार्यकर्ताओं का दल पहुंच रहा गांव गांव
अनूपपुर। कभी चुनावी प्रचार में चोंगा और भोंपू किसी प्रत्याशी के हार और जीत का एक विशेष हथियार माना जाता था। गांव या शहर से गुजरते समय चोंगा और भोंपू से निकलने वाले कर्कश स्वर को सुनने लोगों का कान समय नहीं चुकना चाहता था। वहीं सडक़ से गुजरती वाहन के आगे और पीछे निकलती आवाज से सामने वाले राहगीर साइड हो जाया करते थे। लेकिन इस बार अनूपपुर विधानसभा उपचुनाव में कोरोना की मार में चोंगा और भोंपू का शोर मतदाताओं पर अपना जोर नहीं जमा रहा है। वहीं यह उपचुनाव दोनों मुख्य राजनीतिक पार्टियों के सम्मान का चुनाव बना हुआ है। इसे लेकर दोनों ही मुख्य पार्टियों के कार्यकर्ता व पदाधिकारी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने से कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वहीं कोरोना के कारण सडक़ों पर पसरी वीरानी और मतदाताओं में उपचुनाव को लेकर कोई खासा उत्साह भी होने के कारण प्रत्याशियों को टशन दे रही है। जिसे देखते हुए अब पार्टी कार्यकर्ता सहित जनप्रतिनिधियों का दल गांव गांव की दौड़ लगाकर मतदाताओं को अपने अपने पक्ष में रिझा रहे हैं। जबकि शहरी क्षेत्रों सहित ग्रामीण क्षेत्रों से गुजरने वाला चोंगा और भोंपू का स्वर दबा नजर आ रहा है। जानकारों का मानना है कि हाल के दिनों में राजनीति गलियारों में मतलबी हुई राजनीति और आम नागरिकों के उपर बोझा गया असामायिक चुनाव से मतदाता उब गए हैं। कार्यकर्ताओं में दल-बदल की राजनीति ने राजनीतिक विचारधारा को गौण कर दिया है। जिसके कारण गांवों से लेकर शहरों में होने वाले प्रचार में प्रत्याशी की जीत अहम हो गई, लेकिन क्षेत्र का विकास पीछे छूट गया। जबकि मतदाता अपने क्षेत्र के विकास और व्यक्ति विशेष को लेकर ही मतदान के प्रति उत्साह रहता है। फिलहाल सांसद हो या विधायक, मंत्री हो या संतरी, पदाधिकारी हो या कार्यकर्ता सभी के कदम गांवों की गलियों में मतदाताओं के घरों की दहलीज पर पहुंच रहे हैं। जहां मौन मतदाता की सहमति में सिर्फ सिर हिल रहे हैं, जुबां दबी हुई है।
———————————————