छड़ों के जाल पर टिका क्षतिग्रस्त पुल, कभी धराशायी हो जाएगी 40 फीट चौड़ी स्लैप
खतरे से बेखबर, जान माल की सुरक्षा की नहीं तैयार

अनूपपुर। जिला मुख्यालय के सामतपुर और हर्री गांव को जोडऩे वाली तिपान नदी पर बनी 60 मीटर लम्बे पुल क्षतिग्रस्त के बाद भी जिला प्रशासन खतरों से बेखबर है। क्षतिग्रस्त पुल का लगभग ४० फीट लम्बा स्लैप क्षतिग्रस्त छड़ के जालों के सहारे टिका है, जो नदी के कटाव में कभी भी टूटों खम्भों के साथ जलधारा में समा जाएगा। इस दौरान बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती है। लेकिन क्षतिग्रस्त पुल होने के बाद जहां जिला प्रशासन सुरक्षा व्यवस्थाओं को बनाने में लापरवाही बरत रही है, वहीं ग्रामीण भी खतरों से बेखबर इस क्षतिग्रस्त से रोजाना आवाजाही कर रहे हैं। जानकारों का कहना है कि जिस प्रकार से पुल की स्थिति बनी है, यह कभी भी धराशायी हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि २२ फरवरी से २५ फरवरी के बीच लगातार हुई जोरदार बारिश में पिछले पांच माह से क्षतिग्रस्त हालत में रेत के ओट पर टिका पुल नदी की तलहटी में धंसकते हुए पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। ग्रामीणों द्वारा पुलिस को दी गई सूचना पर तत्काल १०० डायल वाहन ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों की आवाजाही को बंद कराया था। लेकिन चंद घंटों के बाद पुन: क्षतिग्रस्त पुल से ग्रामीणों की आवाजाही आरम्भ हो गई। इस दौरान न जो जलसंसाधन विभाग और ना ही जिला प्रशासन का कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर पहुंचकर पुल का जायजा लिया और ना ही सुरक्षा के कदम उठाए। हालात यह है कि एक सप्ताह के बाद भी क्षतिग्रस्त पुल के प्रति प्रशासनिक असंवदेनशीलता बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि पुल का उपयोग हर्री, बर्री, भगताबांध, पसला, बिजौड़ी, चातरहिया, रक्शा, कोलमी, अमगंवा, छुलकारी से लेकर फुनगा तक के हजारों ग्रामीणों द्वारा किया जाता था। पुल ही जिला मुख्यालय तक कम समय में पहुंचने का एकमात्र रास्ता है। लेकिन अब क्षतिग्रस्त पुल के कारण इन ग्र्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिला प्रशासन को क्षतिग्रस्त हालत में खड़ी पुल को या तो तोडक़र गिरा देना चाहिए था, या फिर मार्ग के बंद करने वैकल्पिक प्रयास करने चाहिए थे। लेकिन प्रशासन ने यहां दोंनो उपायों पर कोई पहल नहीं कर खतरे के मार्ग को खुला छोड़ दिया है, जो कभी भी हादसों का कारण साबित हो सकता है। दरअसल जलसंसाधन विभाग द्वारा वर्ष २००९ में १ करोड़ २७ लाख की लागत से बनाए गए पुल में ७ अक्टूबर २०१९ को पुल अचानक नदी के तेज कटाव में धंसकना आरम्भ किया था, जो २४ फरवरी को नदी के तेज बहाव में पूरी तरह क्षतिग्रस्त होकर नदी की तलहटी में बैठ गया। पुल का लगभग ४० फीट हिस्सा ५ फीट से अधिक नीचे धंसका हुआ है।
बॉक्स: हादसों के लिए कौन होगा जिम्मेदार
८ अक्टूबर को पुल के क्षतिग्रस्त होने तथा ९ अक्टूबर को पत्रिका में छपी खबर के बाद जिला प्रशासन के निर्देश में एसडीएम अनूपपुर ने पुल पर आवाजाही बंद करने के निर्देश दिए थे। साथ ही ६ विभागा प्रमुखों को कार्रवाई व जन प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी सौंपते हुए ८ माह तक आदेशों के तामिली के आदेश जारी किए थे। जिसमें जलसंसाधन विभाग जैतहरी को क्षतिग्रस्त पुल के दोनों ओर बेरिकेटिंग कर मार्ग को अवरूद्ध करने, वाहनों की आवाजाही बंद करने, साथ ही दोनों छोर पर सूचना प्रदर्शित करने, कोतवाली थाना अनूपपुर प्रभारी को जवानों को तैनात कर निर्देश के पालन करने, आरटीओ को आदेश के उल्लंधन करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई करने, तहसीलदार एवं सम्बंधित अधिकारियों को आदेश के प्रचार प्रसार, सीईओ जैतहरी को क्षेत्र के सचिव और रोजगार सहायक के माध्यम से सुबह शाम मुनादी के माध्यम से जानकारी देने को कहा गया था। लेकिन आश्चर्य पुल की सुरक्षा में कोई भी अधिकारी मैदान में नहंी उतरे, नहीं कोई सूचना प्रसार कराया गया।
बॉक्स: मार्ग को नहीं किया प्रतिबंधित
६० मीटर लगभग १८० फीट लम्बे पुल पर वर्तमान में ग्रामीणों की आवाजाही जारी है। नियमानुसार क्षतिग्रस्त हालत में प्रशासन को इसे प्रतिबंधित करना था। लेकिन अबतक पुल के दोनों छोर पर मार्ग अवरूद्ध करने कोई कदम नहीं उठाए गए हैं।
वर्सन:
इस सम्बंध में जलसंसाधन विभाग के एसडीओ को निर्देशित किया गया था, अभीतक कोई व्यवस्था नहीं बनाई गई है तो मैं इसे देखवा कर आगे की कार्रवाई करता हूं।
कमलेश पुरी, एसडीएम अनूपपुर
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