एक स्ट्रेचर के भरोसे जिला अस्पताल, परिजन गोद में उठाकर मरीजों का करा रहे उपचार
अनूपपुरPublished: Jan 06, 2019 09:19:23 pm
एक स्ट्रेचर के भरोसे जिला अस्पताल, परिजन गोद में उठाकर मरीजों का करा रहे उपचार
एक स्ट्रेचर के भरोसे जिला अस्पताल, परिजन गोद में उठाकर मरीजों का करा रहे उपचार
सोनोग्राफी सेंटर पर लगा ताला मरीजों का बढ़ा रहा दर्द, निजी क्लीनिक में मोटी रकम खर्च से परिजन कर रहे तौबा
अनूपपुर। जिला अस्पताल अनूपपुर में प्रशासनिक लापरवाही सुधरने का नाम नहीं ले रही है। रोजाना सैकड़ों की तादाद में आने वाले मरीजों को परेशानियों के बीच उपचार कराना उनकी वेवशी बन गई है। जिले के विभिन्न१६ प्राथमिक तथा ७ सीएचसी सेंटर से रेफर होकर जिला अस्पताल आने वाले मरीजों को जिला स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। गम्भीर रूप से जख्मी या पैदल चलने में असमर्थ मरीज स्ट्रेचर की बजाय परिजनों की गोद में उठाकर वार्डो तक पहुंच रहे हैं। यहीं नहीं भर्ती के बाद जांच परीक्षण के लिए भी मरीजों को गोद में ही उठाकर एक्सरे व सोनोग्राफी सेंटर तक पहुंचाने तथा पुन: भर्ती वार्ड तक लाने की व्यवस्था भी कर रहे हैं। बताया जाता है कि ये हालात पिछले छह माह से बनी हुई है। इसका मुख्य कारण जिला अस्पताल में मरीजों की सुविधा के नाम पर मात्र एक स्ट्रेचर की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। जिसपर हमेशा मरीजों को लाने-ले जाने के लिए मारामारी बनी रहती है। स्ट्रेचर नहीं मिलने पर दर्द से कराहते मरीजों को परिजन थककर गोद में उठाकर जांच परीक्षण के लिए ले जाते हैं। लेकिन इस दौरान डॉक्टरों या अस्पताल प्रशासन की नजर पडऩे के बाद भी उनकी सुधि लेने की जहमत कोई पहल नहीं करता।
बॉक्स- गोद में ही बाहरी क्लीनिकों तक की दौड़
डॉक्टरों की जांच में मरीजों को डिजिटल एक्सरे के लिए तो परिजनों को गोद में उठाकर अस्पताल परिसर से बाहर १०० मीटर का फासला भी तय करना पड़ता है। जिसे देखकर आम लोगों की मानवीयता भी कुछ पल के लिए शर्मसार सी होती है। जबकि इसमें सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को उठानी पड़ती है जिनके साथ एकाध परिजन होने पर महिला को परेशानियों के बीच निजी क्लीनिक तक सफर तय करना पड़ता है। मरीजों का कहना है कि सोनोग्राफी के लिए सबसे अधिक परेशानी बनती है। सेंटर पर बुधवार और शनिवार को उपचार करने की जानकारी दी गई है। लेकिन यहां जांच तो कभी १२ बजे दिन तो कभी नहीं भी होती है। जिसके कारण मरीजों को बिना उपचार ही वापस लौटना पड़ता है। निजी सेंटर पर सोनोग्राफी ८०० रूपए की होती है। इसमें गरीब परिवार इतनी मोटी रकम खर्च करने में खुद को असमर्थ पाते हुए बिना सोनोग्राफी ही दवाई का सेवन करते हैं।
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