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बिना सोनोग्राफी सुविधा की जिला अस्पताल, 8 माह से नहीं हैं रेडियोलॉजिस्ट

locationअनूपपुरPublished: May 17, 2019 12:00:36 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

प्रसव पीडि़ताओं की जांच रिपोर्ट की भगमभागी, सामान्य मरीज निजी सेंटरों का लगा रहे चक्कर

District hospital without Sonography facility, not from 8 months radio

बिना सोनोग्राफी सुविधा की जिला अस्पताल, 8 माह से नहीं हैं रेडियोलॉजिस्ट

अनूपपुर। जिले की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सुविधा देने वाली जिला अस्पताल में सोनोग्राफी जांच का अभाव है। अस्पताल प्रशासन द्वारा की गई वैकल्पिक व्यवस्था में सप्ताह में मात्र दो दिन बुधवार और शनिवार को निजी विशेषज्ञ द्वारा जांच कराई जाती है। इसमें ऐसे मरीज शामिल नहीं हैं, जिसे डॉक्टरों द्वारा सामान्य जांच के लिए सोनोग्राफी कराने के लिए सलाह दी गई है। जिला अस्पताल ओपीडी सूची के अनुसार रोजाना २५०-३०० मरीज उपचार के लिए जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। जिनमें ५५-६० केसेज पेट सम्बंधी विकार से सम्बंधित होते हैं, जिसके लिए डॉक्टरों द्वारा सोनोग्राफी की जांच अनिवार्य मांगी जाती है। लेकिन इस जांच के दायरे में मात्र प्रसव पीडि़त और तत्काल जरूरत वाली महिलाओं को ही शामिल किया गया है। जबकि सामान्य दर्द और जांच रिपोर्ट के लिए सोनोग्राफी सेंटर आई ऐसी माताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। इसके कारण प्रसूता पीडि़त माताओ को अस्पताल परिसर से बाहर निजी सेंटरों से जांच कराना पड़ता है। सोनोग्राफी की इस अव्यवस्था में सबसे अधिक परेशानी पेट सम्बंधी उपचार के लिए आने वाले मरीजों को उठाना पड़ता, जिसके लिए जिला अस्पताल के सोनोग्राफी सेंटर में कोई सुविधा ही नहीं है। यानि जिला अस्पताल में करोड़ों की सोनोग्राफी मशीनों के बावजूद उसका लाभ मरीजों को नहीं मिल रहा है। जानकारी के अनुसार तत्कालीन रेडियोलॉजिस्ट के सेवानिवृत्त होने पर लगभग ८ माह पूर्व यह पद खाली हो गया था। रेडियोलॉजिस्ट की मांग में जिला अस्पताल प्रशासन नेंं शासन को अबतक ४-५ पत्रचार कर सोनोग्राफी के लिए रेडियोलॉजिस्ट, आंख-कान-नाक के लिए ईएनटी स्पेशलिस्ट तथा पॉथोलॉजिस्ट की मांग की। लेकिन शासन स्तर पर अबतक रिक्त पदो को भरपाई नहीं की गई। जिसके कारण जिला अस्पताल में पिछले ८ माह से रेडियोलोजिस्ट के अभाव में सोनोग्राफी जैसी सुविधा मरीजों को नहीं मिल पा रही है। वर्तमान उदर चिकित्सीय उपचार में सोनोग्राफी को मुख्य सहायक उपकरण बताया गया है। जिसे हर जांच में अनिवार्य रूप से शामिल किया गया है।
बॉक्स: समय पर नहीं मिलती जांच रिपोर्ट
कलेक्टर दर पर सोनोग्राफी के लिए रखे गए निजी विशेषज्ञ की मनमानी भी मरीजों के लिए मुसीबत बन गई है। बताया जाता है कि विशेष निर्धारित दो दिनों बुधवार और शनिवार को अस्पताल समय सुबह ८ बजे से दोपहर १ बजे की बजाय अपने मनमाने समय से अस्पताल पहुंचते हैं। जहां कतार में जांच के लिए खड़ी महिलाओं को घंटो इंतजार करना पड़ता है। जांच के बाद उनकी रिपोर्ट के लिए भी अगले दिन की तारीख बताई जाती है। समय से रिपोर्ट नहीं मिलने के कारण अधिकांश प्रसव बिना जांच रिपोर्ट के ही हो जाते हैं। सीएस जिला अस्पताल का कहना है कि हमारी मजबूरी है, कलेक्टर दर पर विशेषज्ञ को २०० रूपए प्रति जांच की दर से भुगतान कराया जाता है।
बॉक्स: निजी सेंटरों से भरोसे मरीज
मेटरनिटी सेंटर की जानकारी के अनुसार अस्पताल में रोजाना १२-१३ प्रसव केसेज होते हैं। इसके अलावा सामान्य पेट सम्बंधी उपचार के लिए लगभग ५० से अधिक मरीजों का अमूनन रोजाना आना होता है। लेकिन इनमें मात्र प्रसव पीडि़ताओं की जांच होती है। इसमें मध्यम परिवार तो निजी सेंटरों से जांच करा लेते हैं, लेकिन गरीब आदिवासी परिवार बिना जांच उपचार कराने के लिए विवश हो जाते हैं।
वर्सन:
रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में सोनोग्राफी जांच प्रभावित है। निजी विशेषज्ञ सिर्फ प्रसव पीडि़ताओं का जांच करने तैयार है। हमने शासन को ४-५ पत्र लिखकर रेडियोलॉजिस्ट सहित अन्य रिक्त पदों के विशेषज्ञों की मांग की। लेकिन अबतक कोई पद नहीं भरे गए हैं।
डॉ. एसआर परस्ते, सिविल सर्जन जिला अस्पताल अनूपपुर।

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