अनूपपुर। रेलवे फाटक अनूपपुर पर प्रस्तावित ओवरब्रिज निर्माण को लेकर वर्ष २०१८ में २८ प्रभावित परिवारों के बीच शासन द्वारा वितरित कराए गए ७ करोड़ ६३ लाख ५४ हजार रूपए के मामले में ९ परिवारों द्वारा कम मुआवजा के दिए गए आवेदन में ३० अक्टूबर को न्यायपालिका मौका मुआयना करने रेलवे फाटक पहुंचा। जहां जिला न्यायाधीश राजेश अग्रवाल के साथ एसडीएम अनूपपुर कमलेश पुरी, तहसीलदार भागीरथी लहरे, नायब तहसीलदार दीपक तिवारी, राजस्व अमला, नगरपालिका अमला, पीडब्ल्यूडी कार्यपालन यंत्री सहित अमला और पुल निगम शहडोल की टीम ने रेलवे फाटक स्थित हटाए जा रहे अतिक्रमण का निरीक्षण किया। वहीं मुआवजा वितरण से सम्बंधित प्रभावित ९ परिवारों के घर पहुंचकर उनकी समस्याओं को सुना। प्रभावित परिवारों द्वारा राजस्व विभाग द्वारा आवासीय प्लांट के अनुसार सभी प्रभावित को वितरित किए गए मुआवजे पर आपत्ति जातते हुए विरोध दर्ज किया। प्रभावित परिवारों का कहना था कि यहां किसी आवेदक की दो मंजिला आवासीय परिसर, किसी का होटल, किसी की दुकान बनी हुई थी, जिसमें प्रावधानों के अनुसार मुआवजा वितरण की अलग अलग प्रक्रिया और राशि है। लेकिन राजस्व विभाग ने सभी प्रभावित परिवारों को आवासीय प्लांट के रूप में १८ हजार रूपए प्रति वर्ग मीटर स्क्वायर के अनुसार वितरित कर दिया। यह मुआवाजा राशि प्रथम मंजिल और द्वितीय मंजिल दोनों पर लागू की गई। प्रभावित परिवारों की शिकायत सुनते हुए जिला न्यायाधीश ने नाराजगी जताते हुए स्वयं द्वारा किए गए निरीक्षण में गलत पाए जाने पर राजस्व अधिकारी व पीडब्ल्यूडी विभाग अधिकारी को जमकर फटकार लगाई। जिला न्यायाधीश ने जांच में इसे गलत पाते हुए कहा- नियमों व प्रावधानों के बावजूद इस प्रकार की लापरवाही क्योंï?। दुकान, होटल और आवासीय परिसरों के मुआवजा प्रावधान अलग अलग है तो उन्हें सामूहिक रूप में ही एक ही राशि क्यों बांटी गई। जिसपर एसडीएम अनूपपुर कमलेश पुरी द्वारा सुधार करने की बात कही गई। इस दौरान जिला न्यायाधीश ने सभी ९ प्रभावित परिवारों के घर के सामने पहुंचकर उनकी समस्याओं को सुना और रजिस्टर में बातों को दर्ज किया। बॉक्स: जिला न्यायाधीश ने पक्षकारों से २०१८ तक की मांगी रिपोर्टभू-प्रभावित परिवारों की बातों को सुनते और विभागीय अधिकारी की गलतियों पर जिला न्यायाधीश राजेश अग्रवाल ने सभी आवेदकों को मुआवजा वितरण समयावधि तक मुआवजा के लिए रखे गए मांग में उन सभी की एनओसी प्रमाण पत्र की मांग की है। जैसे किसी ने मकान या बोर के मुआवजा नहीं दिए जाने की बात रखी है तो मकान के लिए नगरपालिका की मंजूरी प्रमाण पत्र, बोर के लिए प्रमाण पत्र या जमीन का टैक्स सहित अन्य जरूरी प्रमाण पत्रों की एनओसी की मांग की है। जिसपर आवेदकों ने जल्द ही न्यायालय में पेश का आश्वासन दिया है।बॉक्स: कलेक्टर ने आवेदन को किया था खारिज, न्यायालय में स्वीकारआवेदकों के अनुसार फरवरी २०१८ के दौरान शासन-प्रशासन द्वारा ओवरब्रिज के लिए अतिक्रमण चिह्नित करते हुए मुआवजा राशि वितरण की प्रक्रिया अपनाई गई थी। जिसमें भू-प्रभावित ९ परिवारों ने शासन द्वारा उनके अतिक्रमण के एवज में कम मुआवजा की बात कहते हुए कलेक्टर को आवेदन दिया था। जिसपर तत्कालीन कलेक्टर ने प्राप्त मुआवजा के बाद अब और राशि नहीं मिलने की आशंका पर आवेदन को खारिज कर दिया था। इसके बाद आवेदकों ने जिला न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए पूर्ण मुआवाजा दिलाने की मांग करते हुए आवेदन दिए थे, जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए आज मौका निरीक्षण में रेलवे फाटक पहुंचे।बॉक्स: ओवरब्रिज निर्माण में बन सकता है बाधामाना जाता है कि न्यायालय द्वारा किए गए मौका निरीक्षण आगाामी आने वाले आदेश में भू-प्रभावितों के हिस्से मिलने वाले मुआवजा के नहीं मिलने पर ओवरब्रिज का निर्माण कार्य प्रभावित हो सकता है। लेकिन प्रभावित परिवारों ने ओवरब्रिज पर अपनी कोई आपत्ति नहीं जताते हुए प्रशासन के निर्देशन में चिह्नित जगह खाली करने की बात कही है। वहीं फिलहाल राजस्व द्वारा सुधार का आश्वासन दिया गया है।[typography_font:18pt;” >———————————————–