कचरा डंपिंग करने ग्राउंड में नहीं जगह, निष्पादन बिना कचरे से स्थल हो गया फुल
अनूपपुरPublished: Aug 01, 2019 08:32:39 pm
आवंटन के बाद भी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नहीं जुटा पाया व्यवस्था, खुले में पड़ा कचरा
कचरा डंपिंग करने ग्राउंड में नहीं जगह, निष्पादन बिना कचरे से स्थल हो गया फुल
अनूपपुर। शहर की सफाई व्यवस्था को दुरूस्त और डस्टबीन फ्री शहर बनानेे के उद्देश्य से आधुनिक तकनीक के माध्यम से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की योजना नगर में फिसड्डी साबित हो रही है। नगरीय प्रशासन के पास पर्याप्त जमीन होने के बाद भी पिछले ११ सालों से प्लांट में ठोस अपशिष्ट पदार्थों सेे खाद बनाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी। जबकि नगरपालिका ने मुख्यालय से ४ किलोमीटर दूर सेंदुरी गांव के निकट अनूपपुर-जैतहरी मार्ग स्थित एक हेक्टेयर भूमि का आवंटन कर कचरा निष्पादन करने करने की योजना प्रस्तावित कर रखी है। हालात यह है कि नगर से निकलने वाला सैकड़ा टन कचरा निष्पादन के अभाव में अब डंपिंग स्थल पर फुल हो चुकी है। जिससे बचने नगरपालिका द्वारा कभी कभी कचरे रहवासी या वनीय क्षेत्रों के आसपास डंप कर दिया जाता है। इसी लापरवाही में हाल के दिनों में नगरपालिका द्वारा नगर के कचरे को नगर के सबसे सुरक्षित स्थल चिल्ड्रेन पार्क में ही डम्प करवा दिया गया है। नगरपालिका सूत्रों का कहना है कि पिछले ११ साल से निकलने वाले कचरे के कारण डंपिंग स्थल पूरी तरह कचरे से लबालब भरा हुआ है। जमीन से लगभग पांच फीट मोटी सरजमीं खड़ हो गई है। डंपिंग ग्राउंड में बाउंड्रीबॉल के अभाव में बारिश के दौरान कचरा तिपान नदी में समाहित कर जलधाराओं के साथ बह भी जाता है। लेकिन आजतक इन समस्याओं को देखने नगरपालिका प्रशासन मौके पर पहुंच कोई व्यवस्था नहीं बनाई है। जबकि पूर्व में ठोस अपशिष्ट पदार्थो के निष्पादन के लिए शासन की ओर से लगभग ५० हजार की राशि नगरपालिका के खाते में आवंटित कराई गई थी। लेकिन उसका उपयोग अबतक नहीं हो सका। बताया जाता है कि नगरीय प्रशासन द्वारा वर्ष २००७-०८ के दौरान करोड़ रूपए की कार्ययोजना बनाते हुए कचरा निष्पदान के लिए भी प्रस्ताव शासन को भेजा था। लेकिन ११ साल बाद कचरा निष्पादन केन्द्र लिए ना तो बजट का आवंटन हो सका और ना ही उसके प्रंबधन के लिए कोई संसाधन जुटाए जा सके। परिणामस्वरूप पिछले ११ साल से कचरे के बन रहे ढेर को नगरपालिका सफाई कर्मचारियों द्वारा जमीन पर समतलीकरण या फिर जला दिया जाता है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशित करते हुए राज्य शासन से भी नगरीय क्षेत्रों में हथालन नियम २००० लागू किया था। जिसके तहत साईंटिफिक लैंडफिल साईट पर ठोस अपशिष्ट पदार्थों को एकत्रित करके खाद बनाया जाना था। इनमें वहां आने वाले अपशिष्ट पदार्थों की छंटनी कर उसे अलग अलग तालाबनुमा सीमेंटेड गड्ढों में डालना तथा उन जैवीय पदार्थाे को खाद बनाने सम्बंधी छोटी फैक्टी के माध्यम से खाद बनाने की प्रक्रिया अपनाना था। लेकिन आज भी शहरी ठोस अपशिष्ट कचरे खुले में बिना बांउड्री के तिपान नदी किनारे पड़ा है।
वर्सन:
अभी कचरा डम्पिंग स्थल पर टैंक जैसी सुविधा नहीं बनाए गए हैं और ना ही बाउंड्रीबॉल बनाया जा सका है। कचरा निष्पादन सेंटर बनाने शासन के पास प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था।
रामखेलावन राठौर, अध्यक्ष नगरपालिका अनूपपुर।