नोटिस और जांच रिपोर्टो तक सिमटा बकरी ईकाई योजना घोटाला , दोषियों पर तय नहीं जिम्मेदारी
दो माह से जांच और नोटिस पर नोटिस जारी का चल रहा सिलसिला
अनूपपुर
Published: January 21, 2022 10:11:31 pm
अनूपपुर। पशु पालन विभाग की बकरी ईकाई योजना में वर्ष २०१८-२१ के दौरान जिले में हितग्राहियों के बीच बांटे गई लोन तीन साल बाद आई गड़बड़ी अब नोटिस और जांच रिपोर्टो तक सिमट कर रह गई है। पशु पालन विभाग द्वारा सौंपे गए जांच प्रतिवेदन और बैंकिंग रिपोर्ट के बाद भी प्रशासन मामले में दोषियों के खिलाफ जिम्मेदारी तय नहीं कर पाई है। जबकि यह जांच और नोटिस का खेल पिछले दो माह से लगातार जारी है। जिसमें द्वारा अपनी जांच प्रतिवेदन सहित अन्य जरूरी दस्तावेजों को ३ जनवरी को ही सुपुर्द कर चुका है। लेकिन इसके बाद भी १७ दिनों का समय बीत चुका है। बताया जाता है कि इस पूरे प्रकरण में एलडीएम अनूपपुर द्वारा बैंकिंग संबंधित जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंपा जाना था। लेकिन एलडीएम द्वारा निर्धारित किए गए समय में प्रतिवेदन नहीं सौंपे गए थे। वहीं अब पिछले एक सप्ताह से कलेक्टर अवकाश पर चली गई है। जिसमें यह मामला अब भी फाइलों में अटका पड़ा है। उपसंचालक पशुपालन विभाग एवं डेयरी अनूपपुर डॉ. वीपीएस चौहान ने बताया कि विभागीय स्तर पर सारी जानकारी कलेक्टर को सुपुर्द किया जा चुका है। एलडीएम को भी पूर्व में जांच प्रतिवेदन सौंपने के निर्देश दिए थे। इसी दौरान त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के साथ अमरकंटक में कैबिनेट स्तरीय मंत्रियों के कार्यक्रम के कारण तत्कालीन प्रतिवेदनों का अवलोकन नहीं हो सका, अब कलेक्टर के अवकाश के वापसी पर कार्रवाई संभव हो सकेगी। विदित हो कि कलेक्टर ने पत्रिका की खबरों पर संज्ञान लेते हुए बकरी ईकाई योजना में शामिल कमेटी के सभी सदस्यों को नोटिस भेजा था। जिसमें सात दिनों में उनके जवाब मांगे गए थे। वहीं कलेक्टर ने एलडीएम अनूपपुर को पत्र जारी करते हुए लोन मामले में पूरी जानकारी मांगी थी। कलेक्टर सोनिया मीणा का कहना था कि विभागीय स्तर पर कराई गई तीन सदस्यी जांच रिपोर्ट के बाद इनमें शामिल सभी लोगों को उनके अभिमत रखने के लिए मौका दिया जाना चाहिए। जिसके लिए कमेटी के सभी सदस्य, ब्लॉक पशु चिकित्सक, बैंक अधिकारी, बीमा कंपनी एजेंट, वेंडर सहित गांव के सरपंच सहित अन्य को नोटिस जारी किया गया था।
बॉक्स: मनमाने तरीके में बंटी योजना की लोन राशि
पुष्पराजगढ़ में योजना के तहत ऋण वितरण का कार्य आधे-अधूरे कागजी दस्तावेजों को जमा कर किया गया था। जिसमें बैंक ने जहां विभाग द्वारा बिना स्वीकृत सब्सिडी की राशि वाले व्यक्तियों को लोन राशि जारी कर दी गई। वहीं पशु पालन चिकित्सक और बीमा कंपनी व बैंक अधिकारियों ने बिना कमेटी सदस्यों और हितग्राहियों के बीच कागजी कोरम पूरा करते हुए ऋण प्रक्रिया को पूरा किया था। और कम संख्या में बांटी गई बकरियों की तस्वीर प्रमाणिक रूप में दस्तावेज के साथ संलग्न कर कर्जदार बना दिया था। शिकायत बाद कार्रवाई से बचने वेंडर ने हितग्राहियों के नाम चेक भी बांटे और बाद में राशि देने का आश्वासन भी दिया। लेकिन पूरी जांच प्रक्रिया में कमेटी के सदस्यों को दोषी माना गया। अगर कार्रवाई हुई तो सभी दोषी से राशि वसूली के साथ उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराए जाएंगे।
वर्सन:
हमारी ओर से सारी रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपा जा चुका है। कलेक्टर के अवकाश के कारण अब तक कार्रवाई नहीं हुई है, संभावना है कि एकाध सप्ताह में कार्रवाई अवश्य होगी।
डॉ. वीपीएस चौहान, उपसंचालक पशुपालन एवं डेयरी विभाग अनूपपुर।
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