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ओवरब्रिज के लिए शासन ने 7.63 करोड़ का बांट दिया मुआवज, निर्माण के लिए प्रशासन नहीं गम्भीर

locationअनूपपुरPublished: Oct 20, 2019 08:47:16 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

दस माह बाद भी रेलवे ने डिजाइन नहीं किया अप्रूव, नगर विकास को लगा ग्रहण

Government distributed compensation of 7.63 crores for overbridge, adm

ओवरब्रिज के लिए शासन ने 7.63 करोड़ का बांट दिया मुआवज, निर्माण के लिए प्रशासन नहीं गम्भीर

अनूपपुर। रेलवे फाटक अनूपपुर पर प्रस्तावित ओवरब्रिज निर्माण के लिए शासन ने २८ भू-स्वामियों के बीच ७.६३ करोड़ की राशि का वितरण कर दिया। लेकिन मुआवजा राशि के वितरण के दस माह बाद भी ओवरब्रिज का निर्माण कार्य आरम्भ नहीं हो सका। रेलवे ओवरब्रिज निर्माण को लेकर बार बार रेलवे द्वारा डिजाइन में बदलाव भी किए गए, जहां निरीक्षण में जमीनी हालात के अनुसार पूर्व प्रस्तावित डिजाइन को ही सही माना, बावजूद रेलवे ने ओवरब्रिज निर्माण की प्रक्रिया को अप्रूव नहीं किया है। हालात अब यह है कि फरवरी २०१८ से निर्माण की आरम्भ हुई प्रक्रिया डेढ़ साल बाद भी निर्माण कार्य तक नहीं पहुंच सकी। पूरी प्रक्रिया प्रशासनिक अधिकारियों के साथ साथ रेलवे अधिकारियों की टालमटोल का शिकार बन गया है। ओवरब्रिज निर्माण के अभाव में रेलवे लाइन के कारण दो हिस्सों में बंटा अनूपपुर नगरीय क्षेत्र का समुचित विकास नहीं हो पा रहा है। पुल निर्माण निगम का आरोप रहा है कि रेलवे की सीमा में खड़ी होने वाली ओवरब्रिज को लेकर रेल प्रबंधन बार बार डिजाइन बदलाव कर प्रस्तावित योजना को अधर में अटकाएं रखा है। जबकि पुल निगम शहडोल का कहना है विभाग की तरफ से निर्माण की पूरी तैयारी है। इसके लिए फरवरी २०१९ में मुआवजे के वितरण का कार्य भी पूरा कर लिया गया है। जिसमें प्रभावित भू-स्वामियों ने निर्माण के दायरे में आने वाले अतिक्रमण को हटाकर निर्माण का रास्ता साफ कर दिया है। लेकिन अब भू-स्वामियों के साथ साथ नगरवासियों का आरोप है कि जब ओवरब्रिज का निर्माण नहीं किया जाना है तो शासन ने करोडों की राशि क्यों वितरित की और प्रभावित भू-स्वामियों के आवासीय व व्यापारिक प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाकर उन्हें प्रभावित क्यों किया। फिलहाल इन सवालों का जवाब न तो जिला प्रशासन और ना ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों के पास हैं। विदित हो कि दशको से ओवरब्रिज की मांग में वर्ष २०१६ के दौरान शासन द्वारा जिला प्रशासन के प्रस्तावित मांग पर ९० फीट चौड़ी ओवरब्रिज निर्माण के लिए ११ करोड़ ७० लाख की राशि आवंटित करते हुए ६१२ मीटर लम्बी फ्लाईओवर निर्माण के लिए अनुमति प्रदान की थी। इसमें प्रभावित भू-स्वामियों की आपत्ति पर और नगरवासियों के विरोध में अनेक बार पुल की चौड़ाई में बदलाव करते हुए प्रशासन ने अंत में २२ मीटर चौड़ी ओवरब्रिज निर्माण की योजना पर मंजूरी प्रदान की गई थी। इसमें ११-११ मीटर चौड़ी पुल के साथ ५-५ मीटर सर्विस लाईन का निर्माण प्रस्तावित किया। वहीं पुल के प्रभाव में प्रभावित होने वाले भू-स्वामियों के लिए शासन द्वारा ७ करोड़ ६३ लाख ५४ हजार की मुआवजा राशि भी उपलब्ध कराई गई।
बॉक्स: डिजाइन अप्रूव में दस माह से निर्माण अटका
पूर्व में रेलवे द्वारा अपने क्षेत्राधिकार में खड़ी होने वाले पुल में ३६ मीटर लम्बी स्पान की मंजूरी दी थी। लेकिन बाद में रेलवे द्वारा उसे ४५ मीटर बढ़ा लाने के निर्देश दिए। पुन: ४५ मीटर लम्बी स्पान की तैयार डिजाइन पर रेलवे ने अब ५४ मीटर और फिर बाद में ६० मीटर स्पान के डिजाइन बनाने के लिए कहा। लेकिन इसके बाद भी रेलवे अपने डिजाइन या पुल निगम की प्रस्तावित डिजाइन पर मंजूरी नहीं दी है। वहीं रेलवे द्वारा समस्त रेलवे फाटक के २०२२ तक बंद करने के आदेश को लेकर खुद गम्भीर नहीं दिख रहा है। जिसके कारण निर्माण की प्रक्रिया लम्बित के साथ नगरवासियों को परेशानियों से रोजाना जुझना उनकी विवशता बन गई है।
वर्सन:
ैंमैंने अपने समय में पुल निर्माण की प्रक्रियाओं को बढ़ाते हुए ७.६३ करोड़ मुआवजा की राशि भी आवंटित करवा दी। अब यह जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी है कि फाटक पर ओवरब्रिज का निर्माण कब आरम्भ करवा कर उसे पूरा करते हैं। पुल के अभाव में नगर का विकास नहीं हो पा रहा है।
रामलाल रौतेल, पूर्व विधायक विधानसभा क्षेत्र अनूपपुर।

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