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दादी का दर्द- परवरिश करने घर ले आई थी, पता नहीं था कि पसनी संस्कार भी नहीं कर पाऊंगी

locationअनूपपुरPublished: Dec 03, 2020 11:44:35 am

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

अचानक बिगड़ी हालत तो प्राइवेट वाहन कर ले गए थे शहडोल, इलाज के दौरान हो गई तीन माह के बच्चे की मौत

Grandma's pain - brought home to raise, I did not know that I would no

दादी का दर्द- परवरिश करने घर ले आई थी, पता नहीं था कि पसनी संस्कार भी नहीं कर पाऊंगी

अनूपपुर। बड़े पुत्र की शादी के बाद जन्म लिए पहले बच्चे की मात्र तीन माह की आयु में सांस की तकलीफ से हुई मौत के बाद शिव प्रसाद सिंह के घर में मातम छाया है। मां के चेहरे पर खामोशी और कुछ खो देेने का गम बार बार नम होती आंखों से छलक आते हैं। वहीं पिता अपने गम को कम करने खेतों में काम कर छिपाने का प्रयास कर रहा है। जबकि दादी का दर्द बस यही कि पोते के जन्म के बाद परवरिश के लिए बेटे के घर से बहु और बेटे दोनों को अपने पास ले आई थी। लेकिन यह पता नहीं था कि पसनी संस्कार भी नहीं कर पाऊंगी। दादी बताती है कि मंगलवार को अचानक पोते की सांसे तेज चलने लगी, और रोने लगा। २ हजार रूपए में प्राइवेट वाहन कर शहडोल ले गए। लेकिन वहां तीन दिनों तक चली इलाज बाद भी उसकी मौत हो गई। मेरे लिए पोते का सुख भगवान को मंजूर नहीं था। दादी राधाबाई बताती है कि सरकार हम जैसे परिवारों के लिए यह भी करें तक मजबूरी में जब भी एम्बुलेंस वाहनों की जरूरत हो तो उसकी सेवाएं दिलवा दें और उसके अंतिम संस्कार के लिए भी थोड़ी सहायता कर दें। नहीं तो गरीबी में इस प्रकार की घटनाएं घर की और परेशानियों को बढ़ा देती है। घर के लोगों ने बताया कि उसके पास पुरखों की थोड़ी बहुत जमीन है, जिसमें खेती कर किसी प्रकार परिवार का बेहतर से गुजारा हो जाता है। दरअसल जिला मुख्यालय से ७ किलोमीटर दूर जैतहरी विकासखंड के कर्राटोला निवासी शिवप्रसाद सिंह के प्रथम पुत्र की अचानक बिगड़ी तबियत में इलाज के दौरान शहडोल अस्पताल में मौत हो गई थी।
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