अनूपपुर। 24 अगस्त की रात छत्तीसगढ़ की सीमा लांघकर अनूपपुर के बिजुरी वनपरिक्षेत्र के साजाटोला में पहुंचे सात हाथियों के झुंड के माहभर बाद एक बार फिर कोतमा वनपरिक्षेत्र के टांकी बीट में लगभग ४० से अधिक हाथियों का झुंड प्रवेश किया है। इनकी वास्तविक संख्या अधिक बताई जा रही है। ये हाथी २७ सितम्बर की सुबह छत्तीसगढ़ के मरवाही वनपरिक्षेत्र के भौता उसाड़ के क्षेत्र में देखे गए थे। जिसके बाद छत्तीसगढ़ वनअधिकारियों द्वारा अनूपपुर वनविभाग को दी गई सूचना के बाद इन पर निगरानी बढ़ा दी गई। जो शाम ६ बजे कोतमा वनपरिक्षेत्र के टांकी बीट में एक किलोमीटर भीतर आ घुसे हैं। वनमंडलाधिकारी अनूपपुर डॉ. अब्दुल अलीम अंसारी ने बताया है कि अब तक ३९ हाथियों के मूवमेंट देखे गए हैं। इनकी संख्या और भी हो सकती है। हाथियों के मूवमेंट और जान-माल की सुरक्षा को देखते हुए तत्काल कोतमा, जैतहरी और बिजुरी वनपरिक्षेत्र को अलर्ट किया गया है। साथ ही गश्त में शामिल अधिकारियों व कर्मचारियों को सुरक्षा उपाय व संसाधनों के साथ मानीटरिंग के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा ४ वाहनों को ग्रामीण क्षेत्रों में गश्त लगाते हुए जागरूकता बनाए रखने और हाथियों पर दूर से ही निगरानी रखने व उन्हें किसी प्रकार से भगाने के प्रयास भी नहीं करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा कच्चे मकानों में रहने वाले व असमर्थ चलने-फिरने वाले ग्रामीणों को पंचायत भवन में शिफ्ट कराया जा रहा है। जबकि ग्रामीणों को शाम के समय जंगल नहीं जाने, खेतों में बने झोपड़ी में नहीं सोने और अकेले जंगल से सटे मकानों में नहंी रहने की हिदायत दी है। ग्रामीणों को गांव में आग की उंची उठने वाली लपटों वाली आग जलाने के समझाईश दी है, ताकि हाथी आग को देखकर गांव की सीमा में प्रवेश नहीं करें। विभाग द्वारा टांकी बीट से सटे बैगान टोला के ६० से अधिक परिवारों को पंचायत भवन और दूसरे गांव में पहुंचाया गया है। वहीं विभागीय अधिकारियों को गांवों में निगरानी बनाए रखने के साथ हाथियों के हरेक मूवमेंट की जानकारी देने को कहा है। डीएफओ ने बताया कि ग्रामीण अंचलों में हाथियों द्वारा फसलों सहित मकानों के नुकसान पहुंचाए जाने पर उन्हें मुआवजा प्रदान किया जाएगा। लेकिन यह भी स्थिति न बने निगरानी दल तैनात किए गए हैं। [typography_font:18pt;” >———————————————-