यहां सडक़ की शोल्डर भरवाने विभाग ने भेजा 1.70 करोड़ का प्रस्ताव, शासन ने नहीं दी
स्वीकृति
अनूपपुरPublished: Jul 06, 2022 01:25:48 pm
अभियान: अब सडक़ के शोल्डर का नहीं हो सकेगा काम, 68 करोड़ की सडक़ पर कीचर और मिट्टी का करना होगा सामना
यहां सडक़ की शोल्डर भरवाने विभाग ने भेजा 1.70 करोड़ का प्रस्ताव, शासन ने नहीं दी स्वीकृति
अनूपपुर। मप्र-छत्तीसगढ़ की सीमा को जोडऩे वाली ६८ करोड़ की लागत से बनी ४० किलोमीटर लम्बी सीसी सडक़ नगरीय क्षेत्र अनूपपुर में बेहाल है। नगरीय सीमा के भीतर लगभग दो किलोमीटर लम्बी सडक़ के दोनों छोर पर आजतक शोल्डर नहीं बनाए जा सके हैं। यहां लगभग ३ फीट से अधिक चौड़ा शोल्डर जगह जगह गड्ढो और दलदल में तब्दील है, जहां मार्ग से गुजरने वाली भारी वाहनों के साइड लेने के दौरान हादसों की आशंका बनी रहती है। बारिश के सीजन में यह दोनों छोर पानी और कचरे से भरे रहते हैं। जो आवासीय निवास करने नागरिकों के साथ व्यापारिक प्रतिष्ठान संचालित करने वाले व्यवसायियों के लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं। इसे देखते हुए पूर्व में पीडब्ल्यूडी विभाग ने १ करोड़ ७० लाख की प्रस्ताव शासन को भेजा था, लेकिन शासन ने पूर्व में ही हुए खर्चो को देखते हुए कोई स्वीकृति नहीं प्रदान की है। जिसके बाद अब अनूपपुर नगरीय क्षेत्र के भीतर बेहाल शोल्डर पर कोई मरहम की लेप नहीं चढ़ पाएगी। नगरवासियों को अब इसी तरह कीचरयुक्त और बदहाल शोल्डर के बीच आवाजाही करनी होगी। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि ६८ करोड़ की लागत से जिस सडक़ का निर्माण कार्य जहां से आरंभ हुआ था, वह सडक़ सबसे अधिक उसी स्थान पर बदहाल बनी रह गई।
पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी का कहना है कि तत्कालीन कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर ने पीडब्ल्यूडी विभाग को शोल्डर पर पेवर-ब्लॉक लगाने के इस्टीमेंट तैयार कर शासन को भेजने के निर्देश दिए थे। जिसमें विधायक अनूपपुर बिसाहूलाल सिंह ने भी खनिज मद से कार्य कराने के निर्देश दिए थे। इसके लिए पीडब्ल्यूडी विभाग ने १ करोड़ ७० लाख की लागत का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा था। इसमें अमरकंटक तिराहा से तिपाननदी तट(तुलसी महाविद्यालय) तक पेवर ब्लॉक बिछाया जाता। लेकिन तीन साल बाद भी अब तक भेजे गए प्रस्ताव पर शासन ने स्वीकृति नहीं प्रदान की है। वहीं इस मामले में प्रशासनिक अधिकारियों ने भी दोबारा संज्ञान नहीं लिया। जिसके कारण शोल्डर के प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चले गए।
५७ करोड़ की परियोजना पर ६८ करोड़ खर्च, अन्य मद पर मंत्रालय की अस्वीकृति
विभागीय अधिकारी का कहना है कि ठेकेदार ने अपने पूर्व निर्धारित बजट के आधार पर सडक़ निर्माण का कार्य पूरा कर लिया है। इसमें बिजली, शोल्डर, और अन्य कार्य के लिए पीडब्ल्यूडी और नगरपालिका को निर्देशित किए गए थे। लेकिन बजट हीं नहीं आवंटित होने के कारण सारी योजनाएं जस के तस धरे रह गए। अधिकारियों का मानना है कि पूर्व में अनूपपुर-वेंकटनगर तक लगभग ४०.६०० मीटर लम्बी सीसी सडक़ निर्माण के लिए शासन ने ५७ करोड़ की राशि स्वीकृत की थी। इसके कार्य आरम्भ की तिथि २९ जनवरी २०१६ से कार्य समाप्ति १७ नवम्बर २०१७ तक तय की गई थी। लेकिन यहां ठेकेदार की मनमानी और धीमी रफ्तार में समय पर काम पूरा नहीं हो सका। इसके बाद ठेकेदार ने बजट कम पडऩे की बात कहते हुए अतिरिक्त ११ करोड़ और स्वीकृत करा लिया। इसे देखते हुए बाद के प्रस्ताव पर शासन ने मुंह फेर लिया है।
सूखा पड़ा नाला, सडक़ पर बारिश का पानी
लगभग दो किलोमीटर की लम्बाई में बनी ३३ फीट चौड़ी सडक़ के दोनों छोर पर नाला बनाया गया है। लेकिन यह नाला भी कहीं बनाया गया है कहीं छोड़ दिया गया है। न्यायालय के सामने से लेकर तुलसी महाविद्यालय तक लगभग आधा किलोमीटर में न तो नाला बनाया गया है और ना ही पानी निकासी की व्यवस्था बनाई गई है। यहां मार्ग पर बारहो मास पानी का बहाव बना रहता है। लेकिन जहां नाला बनाया गया है कि वे इंजीनियरों की लापरवाही में बारहो मास सूखा और बेकार पड़ा हुआ है।
वर्सन:
सडक़ का काम तो पूरा हो गया है, लेकिन शोल्डर नहीं बने हैं। ठेकेदार और विभाग से जानकारी लेकर देखता हूं कि क्या कोई इस्टीमेंट है जिससे व्यवस्था बनाई जा सकती हो।
एनके परते, कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी विभाग अनूपपुर।
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