कॉलरी और किसानों के बीच हुए समझौते के निराकरण में सैकड़ों किसान पहुंचे कलेक्ट्रेट
कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंप जमीनी समस्याओं के निराकरण की मांग, दो गुटों में उलझा विवाद
अनूपपुर। कोतमा जनपद पंचायत के आमाडांड ओसीपी परियोजना से प्रभावित सैकड़ों किसान शुक्रवार की दोपहर अनूपपुर जिला मुख्यालय के कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे, जहां कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर पूर्व में कॉलरी और जिला प्रशासन के तहत ग्राम कुहका में हुए समझौते के अनुसार किसानों की समस्याओं के निराकरण की मांग की। किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे पूर्व कोतमा विधायक दिलीप जायसवाल ने ज्ञापन के माध्यम से कलेक्टर को बताया कि आमाडांड खुली खदान परियोजना से प्रभावित समस्त किसानों, कास्तकारों व एसईसीएल प्रबंधन व कलेक्टर की ओर से तहसीलदार की उपस्थिति में ग्राम कुहका में दोनों पक्षो की बीच
रोजगार को लेकर चर्चा हुई थी। जिसमें कोतमा प्रबंधन के सुझाव अनुरूप दो एकड़ के समूह पर रोजगार देने की बात पर सहमति बनी थी। बैठक में संक्षिप्त पत्र तैयार कर प्रबंधन प्रतिनिधि, ग्राम पंचायत, सरपंच, सचिव व प्रशासन की ओर से तहसीलदार ने संयुक्त रूप से सहमति पत्र में हस्ताक्षर कर पत्र तैयार किया था और एसईसीएल प्रबंधन द्वारा इस समझौते के अनुसार रोजगार की कार्रवाई की गई। जिसमें ५१६ लोग रोजगार प्राप्त किए। लेकिन जमुना कोतमा प्रबंधन द्वारा कुछ किसानों से साथ सांठ-गांठ कर आगे किसानों को रोजगार न देना पड़े इसके लिए उन्होंने कुछ किसानोंं को आर्थिक मदद दे कर न्यायालय भेजा। जहां न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत होने के बाद रोजगार देने की प्रक्रिया बंद कर दी गई। जब लोग एसईसीएल मुख्यालय
बिलासपुर में रोजगार प्राप्त करने के लिए अपनी शिकायत दर्ज कराने लगे तब एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर ने जमुना कोतमा क्षेत्र से रोजगार देने में विलंब का कारण पूछा जिस पर जमुना कोतमा क्षेत्र ने न्यायालय का हवाला दिया। मामले में एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर के डायरेक्टर पर्सनल राधेश्याम ङ्क्षसह ने श्रम
शक्ति महाप्रबंधक बिलासपुर को पत्र के माध्यम से आमाडांड, छाल, अमगांव, अमेरा, दामिनी परियोजनाओ में मप्र. पुर्नावास नीति को मानते हुए विशेष दो एकड़ पैकेज के तहत रोजगार की स्वीकृति प्रदान की। लेकिन एसईसीएल ने अनदेखी करते हुए रोजगार देने पर ही रोक लगा दी। वहीं आमाडांड खुली खदान परियोजना से प्रभावित दूसरे गुट में पहुंचे किसान जिन्हें कॉलरी समर्थक माने जा रहे है। जिन्होंने अपने ज्ञापन के माध्यम से प्रभावित ग्राम निमहा की रोजगार प्रदान करने की कार्यवाही में बाहरी एवं राजनैतिक व्यक्तियों द्वारा हस्तक्षेप कर बाधा डालने एवं ग्राम पंचायत में अशांति फैला फर्जी ज्ञापन देकर प्रशासन को भ्रमित करने का आरोप लगाया है।