वनविभाग की सर्च ऑपरेशन योजना में शिकारियों पर अधिकारियों की होगी टेंडी निगाहें
सुबह-शाम अधिकारी कर्मचारी बीटों में लगाएंगे गश्त, पूर्व शिकारियों व संदिग्धों के घर की होगी तलाशी
वनविभाग की सर्च ऑपरेशन योजना में शिकारियों पर अधिकारियों की होगी टेंडी निगाहें
अनूपपुर। जिले में जंगली जानवरों के शिकार करने वाले शिकारियों की अब शामत आती नजर आने लगी है। जिले के 90 हजार हेक्टेयर भूमि से अधिक पर फैले वनीय क्षेत्र तथा उनमें रहवास करने वाले जंगली जीवों को शिकारियों से बचाने की मुहिम में अब वनविभाग सर्च ऑपरेशन फॉमूले पर काम करने की रणनीति बना रही है। जिसमें वनीय रेंज में तैनात अधिकारी-कर्मचारी दो-दो घंटे सुबह और शाम गश्त लगाकर बीटों के आसपास शिकार की सम्भावनाओं की तलाश करेंगे। यहीं नहीं पूर्व शिकार के मामले में चिह्नित आरोपियों के साथ साथ संदिग्ध शिकारियों के घरों की भी तलाशी लेने का भी काम करेंगे। जबकि बिजली विभाग की रिपोर्ट पर सबसे अधिक फॉल्ट बने संवेदनशील वनीय क्षेत्रों में सर्च ऑपरेशन चलाते हुए आसपास के गांवों पर निगरानी रखेंगे। इसके लिए सभी रेंज अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस दौरान अगर कहीं शिकार का प्रकरण सामने आता है तो इसकी जवाबदारी भी रेंजर की मानी जाएगी। हालांकि वनीय जीवों की सुरक्षा में विभाग ने अमले को मुखबिर की सहायता लेने की भी अनुमति प्रदान की है। वनमंडलाधिकारी जेएस भार्गव का कहना है कि इस सर्च ऑपरेशन से शिकारियों पर निगरानी रखते हुए वनीय जीवों को अधिक सुरक्षित रखने का प्रयास किया गया है। साथ ही हमें अपने वनीय क्षेत्र के भ्रमण या गश्त के दौरान वनीय जीवों के हालात को भी जानने का मौका मिलेगा। सर्च ऑपरेशन में रेंजर अधिकारी से लेकर सुरक्षा श्रमिक प्रतिदिन सुबह दो घंटे तक और शाम 2 घंटे तक बीट क्षेत्र के जलाशय, वनीय क्षेत्र से गुजरी बिजली के तारों व खम्भों के आसपास, पूर्व शिकारियों व संदिग्ध शिकारियों के घरों के आसपास खोजबीन करेंगे। यह सर्च ऑपरेशन हाल के दिनों में सम्भाग स्तर पर हुए जंगली जीवों के अधिक संख्या में शिकार पर आरम्भ किया गया है। दरअसल हाल के दिनों में अनूपपुर में भालू, तेंदुआ, हिरण सरीखे जानवरों का अत्याधिक संख्या में शिकार का मामला सामने आया था। जिसे पूर्व के शिकार की अपेक्षा यह शिकार की संख्या अधिक माना गया। बताया जाता है कि बिजली करंट से मौत के मामले में वनविभाग ने बिजली विभाग से भी सर्वाधिक फॉल्ट वाले क्षेत्रों की सूची मंगवाई है। जिसमें फिलहाल अहिरगंवा में सर्वाधिक 5-6 बार फॉल्ट होना बताया गया। लेकिन विभाग ने इसे तकनीकि खामी बताया है। लेकिन विभाग का कहना है कि अब ऐसे संवेदनशील क्षेत्र जहां बिजली की सर्वाधिक फॉल्ट बनने की स्थिति में अमला उसे संवेदनशील क्षेत्र मानते हुए बिजली तारों, खम्भों व झाडिय़ों की जांच पड़ताल करेंगे। हालंाकि विभाग ने इनमें मात्र दो वनपरिक्षेत्र अमरकंटक और राजेन्द्रग्राम को छोडक़र शेष पांच वनपरिक्षेत्र अनूपपुर, कोतमा, बिजुरी, जैतहरी और अहिरगवां को शिकार के मामले में संवेदनशील क्षेत्र माना गया है। इनमें भी अहिरगंवा और कोतमा को अतिसंवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है।
बॉक्स: कहां कितना रकबा वन
विभागीय जानकारी के अनुसार अनूपपुर जिले के दो सब डिवीजन अनूपपुर और राजेन्द्रग्राम वनक्षेत्र के अंतर्गत सात वनपरिक्षेत्र आते हैं। इनमें अनूपपुर, जैतहरी, कोतमा, बिजुरी, राजेन्द्रग्राम, अमरकंटक, अहिरगवां वनपरिक्षेत्र के 90559 हेक्टेयर वनीय क्षेत्र में लगभग 104 बीट बनाए गए हैं। आंकड़ों के अनुसार अनूपपुर में लगभग 13418 हेक्टेयर, जैतहरी में 15420 हेक्टेयर, बिजुरी में 10016 हेक्टेयर, कोतमा 14192 हेक्टेयर, राजेन्द्रग्राम में 13723 हेक्टेयर, अमरकंटक में 8554 हेक्टेयर तथा अहिरगवां में 15223 हेक्टेयर में वनीय क्षेत्र फैला हुआ है।
वर्सन:
हाल के दिनों में शिकार के बढ़ते प्रकरण पर यह निर्णय लिया गया है। इसमें सभी रेंजर व कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया है। साथ ही उन्हें सख्ती के साथ निर्देशों के पालन के लिए निर्देशित किया गया है।
जेएस भार्गव, वनमंडलाधिकारी अनूपपुर।
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