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अनूपपुर

नर्मदा की पानी में बढ़ते प्रदूषण से कम संख्या में मिल रही महाशीर मछली

पर्यावरण प्रदूषण और वनों की कटाई से जैव विविधता प्रभावित
 

अनूपपुरFeb 25, 2021 / 11:49 am

Rajan Kumar Gupta

Increasing pollution in Narmada water, Mahasheer fish getting less num

नर्मदा की पानी में बढ़ते प्रदूषण से कम संख्या में मिल रही महाशीर मछली

अनूपपुर। नर्मदा में अन्य स्थानों पर बने बांधों और उससे होने वाली जैव विविधता में अमरकंटक में इसका प्रभाव कम माना गया है। मैकल और सतपुड़ा की पहाडिय़ों के बीच बसे अमरकंटक में नर्मदा का मुख्य उद्गम स्थल है, जहां नर्मदा की जलधारा आगे की दिशा में बढते विस्तृत स्वरूप लेती गई है। यहीं नहीं नर्मदा का यह क्षेत्र उपरी हिस्सा भी माना गया है, जहां आगे की दिशा में बढ़ते हुए यह निचले क्षेत्र में गहरी और चौड़ी होती चली गई है। अमरकंटक में नर्मदा के जलसंरक्षण और इन जल की उपयोगिता में तीन छोटे-छोटे डैम बनाए गए हैं। जिससे नर्मदा में जैव विविधता को लेकर ज्यादा असर नहीं माना जा रहा है। लेकिन इसके जैव विविधता के प्रभावित होने से इंकार भी नहीं किया जा सकता। नर्मदा नदी में मुख्य रूप से पाई जाने वाली राज्य मछली महाशीर अमरकंटक क्षेत्र में कम संख्या में पाई जाती है। वहीं अमरकंटक क्षेत्र में पर्यावरणीय प्रदूषण और वनों की कटाई के साथ प्राकृतिक आवास की कमी में जैव विधिवता को जन्म दिया है। वनों की कटाई में साल वृक्ष लगभग समाप्त हो गए हैं, वहीं वनों की कटाई और नर्मदा में उत्खनन से पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ा है। यहीं कारण है कि पाच-छह दशक पूर्व कभी नर्मदातटों पर उगने वाली ५-६ फीट उंची घास अब समाप्त हो गए हैं। बाघों और तेदुआ सहित अन्य विशेष जीवों का रहवास क्षेत्र समाप्त हो गया है। जिसके कारण कभी ठंड और मनोहारी आवोहवा के लिए पहचाने जाने वाली अमरकंटक नगरी में अब प्रतिवर्ष तापमान में बढोत्तरी दर्ज की जा रही है। वहीं नर्मदा की कल कल शुद्ध जल सकरी और दूषित हो गई है।
बॉक्स: नर्मदा और जोहिला में कम संख्या में मिल रहे महाशीर मछली
मत्स्य सहायक संचालक शिवेन्द्र सिंह परिहार बताते हैं कि जैव विविधता को बनाए रखने अमरकंटक के कुछ स्थानों खासकर डैम क्षेत्र में ग्रास कॉर्प मछली के बीज डाले जाते हैं। ताकि जल के अंदर बनने वाली काई और श्रद्धालुओं के द्वारा जल में प्रभावित करने वाले कुछ खाद्य पदार्थो को भी ये मछलियां खा जाए हैं। राज्य मछली महाशीर जिले के अंतिम निचले छोर दमगढ़ क्षेत्र में कम संख्या में पाई जाती है। महाशीर नर्मदा के अलावा जोहिला नदी में भी कुछ संख्या में पाई जाती है। महाशीर के लिए गहरा और स्वच्छ पानी चाहिए। लेकिन अमरकंटक के उपरी हिस्से में कम पानी का बहाव होता है तथा गंदगी के कारण प्रदूषण भी बना रहता है। कभी कभी जोहिला में महाशीर मछली निकल आती है।
बॉक्स: प्रदूषण से गर्म हुए वातावरण
वनों की कटाई और पक्के निर्माण से अब अमरकंटक के तापमान में बढोत्तरी हो गई है। पूर्व में मई-जून के समय में भी खुशनुमा माहौल बना रहता था। लेकिन अब गर्मी की आहट हो जाती है। मई-जून माह में लू जैसे हालात नजर आते हैं।
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