अमानवीयता: घायलों व शवों के परिवहन के लिए पुलिस के पास नहीं कोई वाहन की सुविधा
अनूपपुरPublished: Nov 29, 2020 11:45:08 am
अस्पताल में एम्बुलेेंस और शव वाहन की कमी से इलाज और पीएम के लिए लम्बे समय का इंतजार
अमानवीयता: घायलों व शवों के परिवहन के लिए पुलिस के पास नहीं कोई वाहन की सुविधा
अनूपपुर। जैतहरी में एक ही परिवार के तीन सदस्यों की जलकर मौत और फंासी पर लटके एक अन्य शव के परिवहन में बरती गई अमानवीयता ने व्यवस्थाओं को कटघरे में ला खड़ा किया है। जिले में पूर्व में भी अनेक ऐसी घटनाएं सामने आई, जिसमें परिजनों को शव के परिवहन के अभाव में रात-रात भर शव के साथ घरों में समय व्यतीत करना पड़ा। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर ऐसी परिस्थितियों से निपटने कोई व्यवस्था नहीं बनाई जा सकी है। घायलों व शवों को लाने जिलेभर केे किसी थाना या चौकी में कोई शव वाहन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। सडक़ हादसों में घायल, आकस्मिक मौत या हत्या जैसे प्रकरणों में शव के पीएम की प्रक्रिया से गुजरने परिजनों के साथ साथ पुलिस को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय नगरपालिका और स्वास्थ्य केन्द्र वाहनों की कमी और खर्च की बात कह वाहन उपलब्धता से पल्ला झाड़ रहे हैं। जबकि पुलिस के पास निजी वाहन के अलावा अन्य कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं बचती, जिसमें घायल को तत्काल इलाज और मौत का पीएम कराया जा सके। हालंाकि पूर्व में दूर-दराज क्षेत्रों से शवों के स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचाने की प्रक्रिया में पुलिस की बनी परेशानियों पर थाना प्रभारियों ने कई बार पुलिस अधिकारियों का ध्यान इस ओर दिलाते हुए एक शव वाहन की मांग किया है। जिसमें पुलिस शव वाहन की सुविधा में बिना एम्बुलेंस का इंतजार किए शवों को स्वास्थ्य केन्द्र और उनके घरों तक परिवहन कर सकेंगे। और आपराधिक साक्ष्यों को सुरक्षित रखने में कामयाब हो सकेंगे। लेकिन पुलिस अधिकारियों द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद भी जिले में अबतक पुलिस विभाग की अपनी कोई शव वाहन की सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी है। वहीं इस मामले में जिला प्रशासन द्वारा भी संज्ञान नहीं लिया गया है। जिसके कारण जिले में हादसों व हत्या के बाद शवों के परिवहन और घायलों को इलाज के लिए स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचाने में अमानवीयता का दंश झेलना पड़ रहा है। विलम्बता में डॉक्टरों के पास साक्ष्य सहित शवों की प्रस्तुति नहीं हो पा रही है। पंचनामा और पीएम जैसी प्रक्रिया में पुलिस को चंद घंटों के बजाय पूरा दिन समय व्यतीत हो रहा है।
बॉक्स: एम्बुलेंस और शव वाहन की कमी
दुर्घटना, मौत या हत्या के जैसे मामलों में पुलिस द्वारा अस्पताल या नगरपालिका से वाहन की सुविधा मांगी जाती है। स्वास्थ्य केन्द्रों पर एम्बुलेंस की मौजूदगी तत्काल नहीं होने पर वाहनों के लिए अधिक समय तक इंतजार करना पड़ता है। अस्पताल एम्बुलेंस वाहनों की कमी और अस्पताल केसेज की अधिकता में अब अस्पताल प्रशासन भी एम्बुलेंस जैसी वाहन की उपलब्धता से इंकार कर दिया है। स्वास्थ्य केन्द्रों का तर्क है कि अस्पताल में ही प्रसव, इमरजेंसी केस, सहित दुर्घटना में घायल होकर आने वाले मरीजों की संख्या अधिक है। जबकि नगरपालिका के पास वाहन चालको की कमी।
केस ०१: अमानवीय तरीके से ट्रैक्टर में शव का हुआ परिवहन
धनगवां के पिपराहा टोला में आग में जलाए गए परिवार के तीन सदस्यों सहित आरोपी भाई मृतक के शव को भी ट्रैक्टर वाहन द्वारा बिना ढके ट्रैक्टर ट्रॉली में गांव के रास्ते बाहर ले जाया गया। इस दौरान शवों को सुरक्षित रखने और ढक़ने तक की भी व्यवस्था नहीं बनाई गई।
केस ०२: घर में पड़ी रही लाश, १५ घंटे बाद पीएम
कोतवाली थाना से २० किलोमीटर दूर कोलमी गांव में ७० वर्षीय वृद्धा की कुएं में डूबकर हुई मौत के बाद घर में१५ घंटे से अधिक समय तक लाश पड़ी है। पुलिसकर्मियों को जिला अस्पताल लाने के लिए रात के समय शव वाहन की सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी। जिसके कारण रात का शव दोपहर पीएम के लिए आया।
केस ०३: १८ घंटे से अधिक समय तक शव के साथ बैठे रहे परिजन
चचाई थाना में महिला की हत्या के बाद सुबह ८ बजे पीएम के लिए आया शव दोपहर सम्भव हो सका। वाहन की कमी में शव के साथ मृतिका के दो नौनिहाल और परिजन शव ले जाने रात ८ बजे तक अस्पताल परिसर में वाहन इंतजार में बैठे रहे। कलेक्टर को दी गई सूचना में ८.३० बजे वाहन उपलब्ध हुआ और पुलिस शव को घर भेज सकी।
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