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टिड्डी के नियंत्रण और बचाव के लिए कलेक्टर सतर्कता बरतने दिए निर्देश

locationअनूपपुरPublished: May 23, 2020 10:05:01 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

कृषि विभाग ने नोडल अधिकारी किए नियुक्त, टिड्डी दल दिखने पर दे तत्काल सूचना

Instructions given to the collector for vigilance and control of grass

टिड्डी के नियंत्रण और बचाव के लिए कलेक्टर सतर्कता बरतने दिए निर्देश

अनूपपुर। मध्यप्रदेश के पश्चिमी-उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्र में टिड्डी दलों के बहुतयात होने तथा इससे फसलों को होने वाले नुकसान को देखते हुए कलेक्टर ने टिड्डी के नियंत्रण और बचाव के लिए राजस्व और कृषि विभाग अधिकारियों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। साथ ही दोनों अमलों को क्षेत्र का निरीक्षण कर किसानों को इनके प्रकोप से बचाने जानकारी देने के निर्देश दिए हैं। इसपर उप संचालक कृषि एनडी गुप्ता ने टिड्डी दल के नियंत्रण एवं बचाव कार्यों के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की है। साथ ही कहा कि अगर किसानों को टिड्डी दल दिखे या उनके बारे में कुछ खबर मिले तो तुरंत एमपी चौधरी, एडीए (नोडल अधिकारी टिड्डी नियंत्रण) अथवा विनोद बिहारी त्रिपाठी, सर्वेयर कृषि विभाग से सम्पर्क करें। वैज्ञानिक सलाह/मार्गदर्शन के किए किसान डॉ. पीसी पांडेय वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक अनूपपुर से सम्पर्क कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त निकटतम राजस्व कार्यालय, ग्राम पंचायत में भी सूचना दी जा सकती है। उप संचालक ने बताया कि टिड्डी दल हवा की गति अनुसार लगभग 100-150 किमी प्रति घंटा की गति से उड़ सकती हैं, जो पश्चिम तथा पश्चिम-उत्तरी मध्यप्रदेश में पहुंच चुकी हैं। टिड्डा टिड्डी दल फसलों को नुकसान पहुंचाने वाला कीट है जो कि समूह में एक साथ चलता है और बहुत लम्बी-लम्बी दूरियों तक उड़ान भरता है। यह फसल को चबाकर, काटकर खाने से नुकसान पहुंचाता है।
बॉक्स: परम्परागत विधि और रसायनिक विधि से करे बचाव
इसके नियंत्रण के लिए टोली बनाकर विभिन्न तरह के परम्परागत उपाय जैसे शोर मचाकर तथा ध्वनि वाले यंत्रो को बजाकर, टिड्डियों को डराकर भगा सकते हैं। मांदल, ढोलक, ट्रैक्टर बाइक का सायलेंसर, खाली टीन के डिब्बे, थाली इत्यादि से भी सामूहिक प्रयास से ध्वनि की जा सकती है। ऐसा करने से टिड्डी नीचे नहीं उतरता है। रासायनिक नियंत्रण में सुबह से कीटनाशी दवा जैसे क्लोरपॉयरीफॉस 20 ईसी 1200 मिली या डेल्टामेथरिन 2.8 ईसी 600 मिली अथवा लेम्डाईलोथिन 5 ईसी 400 मिली, डाईफ्लूबिनज्यूरॉन 25 डब्ल्यूटी 240 ग्राम प्रति हेक्टेयर 600 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करें। सामान्यत: टिड्डी दल का आगमन शाम को लगभग 6 बजे से 8.00 बजे के मध्य होता है तथा सुबह 7.30 बजे तक दूसरे स्थान पर प्रस्थान करने लगता है। ऐसी स्थिति में टिड्डी का प्रकोप हाने पर बचाव के लिए उसी रात्रि में सुबह 3 बजे से लेकर 7.30 बजे तक उक्त विधि से टिड्डी दल का नियंत्रण किया जा सकता है।
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