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कागजों में निर्देश: गिरते जलस्तर से बेखबर अधिकारी, सालों से नहीं कराया भू-जल सर्वेक्षण का कार्य

locationअनूपपुरPublished: Feb 25, 2019 06:55:37 pm

Submitted by:

Rajan Kumar Gupta

कागजों में निर्देश: गिरते जलस्तर से बेखबर अधिकारी, सालों से नहीं कराया भू-जल सर्वेक्षण का कार्य

Instructions in Paper: Unforeseen Officer from Falling Water level, wo

कागजों में निर्देश: गिरते जलस्तर से बेखबर अधिकारी, सालों से नहीं कराया भू-जल सर्वेक्षण का कार्य

जिले में कितना गिरा जलस्तर, विभाग के पास नहीं रिकार्ड
अनूपपुर। जिले की सोन, तिपान, चंदास, केवई, गोडारू, जोहिला जैसी मुख्य नदियों के साथ साथ इन नदियों से निकलने वाली सहायत नदी व नाला अब प्रत्येक गर्मी के सीजन से पूर्व सूख रही है। बारहमासी रही नदियों में अब सालभर की बजाय मात्र छह माह पानी बहता है, शेष माह नालों की भांति रिसती नजर आती है, जो इस बात को स्पष्ट करती है कि अब भू-जल स्तर काफी नीचे चला गया है। जबकि पुष्पराजगढ़ सहित जैतहरी, कोतमा, अनूपपुर के दूरस्थ ग्रामीण अचंल गिरते जलस्तर के कारण पानी के अभाव से प्रतिवर्ष जूझते नजर आ रहे हैं। बावजूद जिले में गिरते भू-जल स्तर के प्रति पीएचई विभाग गम्भीर नहीं दिख रहा है। विभाग के पास इस बात की भी जानकारी नहीं है कि जिले में प्रतिवर्ष कितना जलस्तर नीचे गिरा है। जबकि इससे पूर्व वर्ष २०१५ तक अद्यतन जानकारियां जुटाई गई थी। विभागीय सूत्रों के अनुसार अनूपपुर, कोतमा, जैतहरी और पुष्पराजगढ़ विकासखंड जैसे स्थलों से पिछले चार सालों से कोई भी सर्वेक्षण कार्य नहीं कराया गया है। इससे यह पता नहीं लगाया जा सका है कि किस विकासखंड में कितना फीट नीचे पानी की उपलब्धता हो रही है। विदित हो कि अनूपपुर जिले के चारों विकासखंड में वर्ष २०१४ के दौरान जून माह में अनूपपुर २२.०१ मी., जैतहरी २२.५१मी. कोतमा २१.४१ मी. तथा पुष्पराजगढ़ २६.७१ मी. तक था, जबकि २०१३ के दौरान औसत भू-जलस्तर जून माह के समय अनूपपुर विकासखंड में २३.०४ मी., जैतहरी में २३.४१ मी., कोतमा २२.५९ मी.तथा पुष्पराजगढ़ २३.३१मी. रहा है। इससे पूर्व वर्ष २०१२ में अनूपपुर का जलस्तर ३१.११, जैतहरी ३०.८४, कोतमा ३१.०६ तथा पुष्पराजगढ़ ३३.०० मीटर में रहा। पूर्व आंकड़े और अन्य दो सालों के आंकड़ों में यह स्पष्ट है कि दिनोंदिन जलस्तर नीचे गिर रहा है। यहीं कारण है कि आज पुष्पराजगढ़ के पठारी क्षेत्र के कारण लगभग ५००-६०० फीट नीचे पानी की आवक हो रही है। जबकि कोतमा, अनूपपुर और जैतहरी विकासखंड में ४५०-५०० फीट के बीच पानी का स्तर पाया जा रहा है। लेकिन गर्मी के दौरान यह स्तर भी नीचे खिसक जाता है। जिसके कारण जिले के अधिकांश हैंडपम्प गर्मी सीजन के दौरान हवा उगलने लगते हैं। पीएचई विभाग की जानकारी के अनुसार जिले में ९२९८ हैंडपम्प और १७६ नलजल योजनाएं लगाई गई है। जिसमें लगभग पांच सैकड़ा हैंडपम्प बंद तथा २९ नलजल योजनाएं विभिन्न कारणों से बंद पड़ी है। पीएचई विभाग के अनुसार स्थानी जलस्तरों की जांच पड़ताल का कार्य नियमानुसार प्रति सप्ताह किया जाना निर्धारित है। जिसमें विभागीय टीम सर्वेक्षण कर जगह जगह जलस्तर सम्बंधी जांच रिपोर्ट तैयार किया जाता है। इसमें यह पता चलता है कि कहां-कहां प्रति सप्ताह कितना जलस्तर नीचे उतर रहा है। अगर जलस्तर नीचे जा रहा है तो कारण क्या है। इसकी भी रिपोर्ट तैयार कर उच्च विभाग को भेजी जानी है। बावजूद पिछले चार सालों से जिले में कहीं भी सर्वेक्षण का कार्य कराया ही नहीं गया है। जिसके कारण विभाग आजतक यह नहीं जान पाई कि जिले में वास्तविक भू-जल स्तर कहंा और कितना है।
बॉक्स: तीन माह तक बहती है सोन
जिले की सबसे बड़ी नदी नर्मदा के बाद सोननदी का बहाव अब मात्र ३ माह के लिए होता है। शेष ९ माह नदी में नाली के सामान पानी का बहाव होता है। जबकि चंदास और तिपान जैसी नदियां तो बिल्कुल ही सूख चूकी है।
वर्सन:
अभी आंकड़े नहीं है, विकासखंडों से सर्वेक्षण कराकर जानकारी मंगवाई गई है। जिले में लगातार जलस्तर नीचे उतर रहा है।
एचएस धुर्वे, कार्यपालन यंत्री पीएचई अनूपपुर।
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