अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पुरुष आधारित समाज की अवधारणा को बदलने की आवश्यकता
अनूपपुरPublished: Mar 08, 2019 09:04:22 pm
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पुरुष आधारित समाज की अवधारणा को बदलने की आवश्यकता
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पुरुष आधारित समाज की अवधारणा को बदलने की आवश्यकता
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आईजीएनटीयू में कार्यक्रम आयोजित
अनूपपुर। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के महिला प्रकोष्ठ के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का आह्वान किया गया। वक्ताओं का कहना था कि इसके लिए पुरुष आधारित समाज की अवधारणा को बदलने की आवश्यकता है जिसे शिक्षा के माध्यम से परिवर्तित किया जा सकता है। कार्यक्रम में स्पर्श की अध्यक्ष डॉ. पूनम शर्मा का कहना था कि आधी जनसंख्या वाली महिलाओं को आगे बढऩे के लिए समान अवसर उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का महिला प्रकोष्ठ महिलाओं के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत है। प्रकोष्ठ की पहल से मजदूर, घरेलू कार्य करने वाली तीस से अधिक महिलाओं के बैंक एकाउंट खुलवाए गए हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य और सफाई को लेकर भी प्रकोष्ठ निरंतर कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। निदेशक (अकादमिक) प्रो. आलोक श्रोत्रिय ने महिलाओं के उत्थान के लिए सभी से मानसिकता बदलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सामाजिक उत्थान के लिए सभी वर्गों में संतुलन की आवश्यकता होती है। इसी प्रकार महिला और पुरुष दोनों मिलकर समाज को नई दिशा दे सकते हैं। उन्होंने युवाओं से स्वयं की मानसिकता को बदलकर महिलाओं की भागीदारी को स्वीकार करने का आह्वान किया। वित्ताधिकारी सीएमए ए जेना ने समाज में सभी की बराबरी की भागीदारी पर जोर देते हुए कहा कि महिलाओं का सामाजिक, औद्योगिक और व्यावसायिक विकास में अतुलनीय योगदान संभव है। कॉरपोरेट सेक्टर में भी महिलाओं ने नेतृत्व की नई क्षमता का प्रदर्शन किया है। अब स्वयं की मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है। डीन (छात्र कल्याण) प्रो. भूमिनाथ त्रिपाठी ने ***** आधारित अवधारणा को लोगों की बीमार मानसिकता का परिणाम बताया। उनका कहना था कि छात्राओं को भी स्वयं के पैरों पर खड़े होने में हर संभव सहयोग दिया जाना चाहिए। प्रो. किशोर जी गायकवाड़ ने पुरुष आधारित समाज की सोच को बदलकर बालिकाओं को प्रगति के सभी आयाम उपलब्ध कराने पर बल दिया। कार्यक्रम के दौरान डॉ. मारिया जोसफिन अरोकिया मारिया एस, डॉ. सुनीता मिंज और डॉ. पी श्रीदेवी के निर्देशन में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के पुरस्कार भी वितरित किए गए।