इजरायल के प्रोफेसर ने कहा देश में भाषा नीति और प्रबंधन की आवश्यकता
अनूपपुरPublished: Nov 14, 2019 09:38:30 pm
आईजीएनटीयू में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन, दुनियाभर के विभिन्न देशों से 200 प्रतिभागी ले रहे भाग
इजरायल के प्रोफेसर ने कहा देश में भाषा नीति और प्रबंधन की आवश्यकता
अनूपपुर। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में बुधवार को लिंग्विस्टिक्स सोसाइटी ऑफ इंडिया की तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी प्रारंभ हुई। इस अवसर पर भाषा संबंधी नीति बनाने और इसके प्रबंधन पर विशेष बल दिया गया। दुनियाभर के लगभग 200 प्रतिभागी इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग ले रहे हैं। संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए दुनिया के प्रमुख भाषा विज्ञान विशेषज्ञ इयान यूनिवर्सिटी, इजरायल के प्रो. एमिरिट्स बर्नाड स्पोलस्की ने कहा कि भाषा को पूरी तरह से समझ पाना किसी बड़ी चुनौती के समान है। इसके लिए भाषा के विभिन्न भागों को समझने की आवश्यकता होती है। उन्होंने भाषा की नीति और इसके प्रबंधन से जुड़े अहम पहलुओं पर भी विस्तार से जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि भाषा के विकास में व्यक्तिगत, परिवार, पड़ोस, कार्यस्थल, क्षेत्र और देश का विशेष प्रभाव पड़ता है। इसमें बड़ी संख्या में बोली जाने वाली भाषाएं छोटी भाषाओं को खत्म कर देती हैं। ऐसे में छोटी भाषाओं को बचाए रखने की चुनौती बनी हुई है। लिंग्विस्टिक सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. पंचानन मोहंती ने कहा कि भाषा के लिहाज से भारत दुनिया के सबसे अधिक समृद्ध देशों में से है। सभी भाषाएं विभिन्न भाषाओं के शब्दों से मिलकर बनी हैं। ऐसे में शुद्ध भाषा के विषय पर व्यापक बहस की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें सभी भाषाओं का सम्मान कर इनके अधिकाधिक उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। कुलपति प्रो. टीवी कटटीमनी ने कहा सामाजिक जीवन में भाषा का अहम भाग होता है। जनजातीय भाषाओं को सीखने से कोई अधिक आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता। ऐसे में कई जनजातीय भाषाओं के सामने अस्तित्व का संकट है। उन्होंने केंद्र सरकार और विश्वविद्यालय द्वारा जनजातीय भाषा और उनके ज्ञान को समृद्ध बनाए जाने में दिए जा रहे योगदान के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. तारिक खान ने सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन लेंग्वेंजेज के विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी प्रदान की। प्रो. प्रसन्ना कुमार सामल विश्वविद्यालय द्वारा भाषा विकास में दिए जा रहे योगदान के बारे में बताया। कार्यक्रम के दौरान डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. शैलेंद्र मोहन, पूजा तिवारी सहित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में भारत के अलावा जापान और फ्रांस के 200 से अधिक प्रतिभागी रहे।